उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में पिछले 13 जनवरी से सनातन धर्म का महापर्व महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। 26 फरवरी तक चलने वाले इस महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ हो रही हैं। देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु संगम में मोक्ष की प्राप्ति के लिए डुबकी लगा रहे हैं। समूचा महाकुंभ लगभग 40 किमी के दायरे में समाया हुआ है। इसकी भव्यता देखते ही बनती है। अभी तक 20 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु डुबकी लगा चुके हैं। 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन लगभग 6 करोड़ लोगों ने स्नान किया है। तमाम सुरक्षा-व्यवस्था के बीच महाकुंभ के संगम क्षेत्र में बुधवार को तड़के पवित्र स्नान करने के लिए बड़ी संख्या में पहुंचे तीर्थयात्रियों के बीच मची भगदड़ में कई लोगों की मौत हो गई हैं तथा सैकड़ों लोग घायल हो गए हैं। ऐसी खबर है कि संगम नोज (संगम घाट) पर स्नान के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी जिस दौरान इस हादसा हुआ। हिंदू धर्म में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम को अत्यंत पवित्र माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि महाकुंभ के दौरान विशेष रूप से मौनी अमावस्या के दिन वहां डुबकी लगाने से लोगों के पाप धुल जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्रशासन द्वारा अगर और सर्तकता बरती जाती तो शायद इस तरह की त्रासदी नहीं होती। घटना के तुरंत बाद मुख्यमंत्री ने उच्चस्तरीय बैठक बुलाकर आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार बार दिल्ली के मुख्यमंत्री से घटना की जानकारी ली है तथा सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाना का निर्देश दिया है। 29 जनवरी को देश के द्वारकापीठ, ज्योतिष पीठ तथा श्रृंगरी पीठ के शंकराचार्यों ने संगम तट पर डुबकी लगाई तथा सनातनी जनता से अनुरोध किया कि वे अपनी जीवन की सुरक्षा को ध्यान में रहते हुए संयम के साथ स्नान करें। तीनों शंकराचार्यों ने यह भी कहा है कि महाकुंभ में किसी भी जगह स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होगी। इसी बीच अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने भगदड़ को विपक्ष की साजिश बताते हुए जांच कराने की मांग की है। इससे पहले वर्ष 1954 में महाकुंभ के दौरान बड़ा हादसा हुआ था, जिसमें सैकड़ों लोगों की जाने गई थी। तीर्थयात्रियों की बड़ी भीड़ को देखते हुए मेला अधिकारियों ने एक परामर्श जारी किया है जिससे भक्तों की सुरक्षा एवं सुविधा सुनिश्चित हो सके। मेले की परंपराओं के अनुसार तीनों संप्रदायों संन्यासी, वैरागी और उदासीन से संबंधित अखाड़े संगम घाट पर एक भव्य जुलूस के बाद निर्धारित क्रम में पवित्र डुबकी लगाते हैं। इसी परंपरा का पालन करते हुए सभी अखाड़े एक-एक कर संगम तट पर पहुंचे तथा अमृत स्नान किया। हालांकि महाकुंभ की परंपरा वर्षों से चली आ रही है, लेकिन उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के सत्ता में आने के बाद साधु-संतों की उनसे अपेक्षाएं बढ़ गई हैं। इतना भव्य आयोजन शायद पहले कभी नहीं हुआ था। 144 वर्ष बाद आए इस कुंभ के दौरान संगम तट पर डुबकी लगाने के लिए सभी लोग आतुर हैं। केवल भारत से नहीं बल्कि दूसरे देशों से भी श्रद्धालु महाकुंभ में पहुंच रहे हैं। ऐसी उम्मीद है कि इस महाकुंभ में 40 करोड़ से ज्यादा लोग पवित्र डुबकी लगाएंगे। अभी प्रयागराज दुनिया के किसी बड़े शहर से बड़ा है। करोड़ों करोड़ लोग डुबकी लगाने के लिए प्रयागराज की धरती पर हैं। रेलवे ने मौनी अमावस्या पर महाकुंभ तक पहुंचने के लिए 190 विशेष ट्रेन शुरू की है। लेकिन रेलवे का यह प्रयास श्रद्धालुओं के जनसैलाब को देखते हुए कम हो रहा है। विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को गंतव्य तक पहुंचाने के लिए रेलवे काफी मशक्कत करनी पर रही है। 2 फरवरी को वसंत पंचमी तथा 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन भी संगम तट पर डुबकी लगाने वालों की भारी भीड़ इकट्ठी होगी। प्रशासन को वर्तमान घटना से सीख लेते हुए ऐसा कदम उठाना चाहिए ताकि फिर इस तरह की घटनाओं की पुनरावृति न हो।
महाकुंभ की त्रासदी
