केला सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। यह शरीर को फिट रखने में मदद करता है। साथ ही इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर में ऊर्जा भरने का काम करता है। हालांकि, बाजार में ज्यादातर केले केमिकल से पकाए हुए रहते हैं। जिनको खाने से शरीर को फायदे की बजाय नुकसान होता है। अब मन में यह सवाल उठता है कि केमिकल से पकाए हुए केले और प्राकृृतिक रूप से पके हुए केले की पहचान कैसे करें। ऐसे में कुछ तरीके हैं, जिनके जरिए आसानी से पता लगाया जा सकता है कि केला केमिकल से पकाया हुआ है। आइए जानते हैं ए तरीके कौन से हैं।
इस तरह करें पहचान
ज्यादातर लोग केले को पकाने के लिए कार्बाइड का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि यह बाजार में आसानी से मिल जाता है। ऐसे में कार्बाइड से पकाया हुए केले के छिलके पर सफेद धब्बा नजर आता है, इसके अलावा, केले का रंग भी ज्यादा चमकदार और आकर्षक रहता है। जबकि प्राकृृतिक रूप से पकाए हुए केले की तो इसका रंग हल्का और नॉर्मल होता है।
असली और नकली केले की पहचान पानी के सहारे भी कर सकते हैं। कार्बाइड से पका हुआ केला पानी में नहीं डूबता है। वह पानी में तैरता रहता है। जबकि प्राकृृतिक रूप से पका हुआ केला पानी में आसानी से डूब जाता है।
केमिकल युक्त केले की पहचान डंठल के सहारे भी कर सकते हैं। कार्बाइड से पके हुए केले का डंठल हरे रंग का होता है। जबकि प्राकृृतिक तरीके से पके हुए केले का डंठल काला होता है।
असली और नकली केले की पहचान छूकर भी किया जा सकता है। प्राकृृतिक रूप से पके हुए केले को छूने पर केले में मुलायमपन रहता है। लेकिन जो केला कार्बाइड से पका हुआ होता है, वह छूने पर सख्त होता है।
प्राकृृतिक और केमिकल युक्त केले की पहचान उसके पकने की स्टाइल से भी पता लगाया जा सकता है। कार्बाइड से पका हुआ केला एक जैसा नहीं होता है। यह कहीं ज्यादा पका होता है, तो कहीं कम। लेकिन जो केला प्राकृृतिक रूप से पका होता है वह एक सा होता है।