हमारी दुनिया तेजी से बूढ़ी होती जा रही है। आज 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के 703 मिलियन लोग हैं, यह संख्या 2050 तक 1.5 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है। एक अनुमान के अनुसार  2050 तक दुनिया में 6 में से 1 व्यक्ति 65 वर्ष से अधिक आयु का होगा, जो 2019 में 11 में से 1 था। नवीनतम अनुमान यह भी दर्शाते हैं कि अगले 30 वर्षों में 80 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों की संख्या तीन गुनी हो जाएगी। कई क्षेत्रों में 65 वर्ष की आयु वाले लोगों की जनसंख्या 2050 तक दोगुनी हो जाएगी। दुनिया में जनसंख्या के आंकड़ों में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। कई देशों को अब दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। जनसंख्या गिरावट और वृद्धावस्था। यह बदलाव युवा पीढ़ी के कम बच्चे पैदा करने और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण जीवन प्रत्याशा बढ़ने से हो रहा है। इसका असर समाज और अर्थव्यवस्था पर गहराई से पड़ रहा है। चीन, जो कभी दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश था, 2024 में लगातार तीसरे साल जनसंख्या में गिरावट दर्ज कर रहा है। राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो ने बताया कि चीन की जनसंख्या करीब 14 लाख घटकर 1.408 अरब रह गई। यह छह दशकों की जनसंख्या वृद्धि के बाद बड़ा बदलाव है।  2023 में भारत के दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बनने के बाद चीन अब बूढ़ी होती जनसंख्या और कम जन्मदर की समस्याओं से जूझ रहा है।  2035 तक चीन की एक-तिहाई आबादी 60 साल से ज्यादा उम्र की होगी। 2024 में 60 साल से ऊपर के लोगों की संख्या 31.03 करोड़ हो गई, जो 2023 में 29.7 करोड़ थी। इसे संभालने के लिए चीन ने कदम उठाए हैं। 1 जनवरी 2025 से रिटायर होने की उम्र धीरे-धीरे बढ़ाई जा रही है।  साथ ही एल्डरली यूनिवर्सिटीज जैसे कार्यक्रम शुरू किए गए हैं, जहां बुजुर्ग लोग योग, डांस और गाने जैसी गतिविधियों में हिस्सा ले सकते हैं। जापान की स्थिति और गंभीर है। 2008 में जापान की जनसंख्या 12.8 करोड़ थी।  2024 में यह 12.5 करोड़ तक गिर गई है और 2070 तक 8.7 करोड़ रह जाने का अनुमान है। तब 40 फीसदी आबादी 65 साल या उससे अधिक उम्र की होगी। 2023 में जापान में सिर्फ  7,30,000 बच्चों का जन्म हुआ, जो अब तक का सबसे कम आंकड़ा है। युवा जापानी शादी और बच्चे पैदा करने से बच रहे हैं। इसके पीछे वजह हैं-कम नौकरी के अवसर, महंगी जीवनशैली और कठोर कॉरपोरेट संस्कृृति, जो महिलाओं और कामकाजी माताओं को मुख्यधारा से बाहर कर देती है। सरकार ने इस स्थिति को अत्यंत गंभीर करार दिया है। चीफ कैबिनेट सेक्रेटरी योशिमासा हयाशी ने कहा कि अगले छह साल आखिरी मौका हैं। जन्मदर बढ़ाने के लिए सरकार वित्तीय सहायता और कामकाजी जीवन में संतुलन लाने जैसे कदम उठा रही है। 2023 में जापान की विदेशी आबादी 30 लाख से ज्यादा हो गई, जो कुल  जनसंख्या का लगभग 3 फीसदी है। यह गिरावट की गति को थोड़ा कम कर रहा है। इसी तरह इटली भी जनसंख्या गिरावट की समस्या से जूझ रहा है। 2023 में पहली बार देश में 4,00,000 से कम बच्चों का जन्म हुआ। यह आंकड़ा 19वीं सदी में देश के एकीकरण के बाद सबसे कम है। सरकार और वेटिकन ने 2033 तक हर साल कम से कम 5,00,000 जन्म का लक्ष्य रखा है। पोप  फ्रंासिस ने बार-बार इटली के लोगों से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो देश को गंभीर आर्थिक और सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। इटली में जन्मदर गिरने की वजहें हैं, कम वेतन, बच्चों की देखभाल की सुविधाओं की कमी और महिलाओं पर बुजुर्गों की देखभाल की जिम्मेदारी। अगर जनसंख्या नहीं बढ़ी तो इटली की अर्थव्यवस्था पेंशन और कार्यबल की कमी के कारण मुश्किल में आ जाएगी। दक्षिण कोरिया में 2021 में जनसंख्या घटने लगी थी। 2023 में विदेशी निवासियों की संख्या में 10 फीसदी की वृद्धि से कुल जनसंख्या 5.18 करोड़ तक पहुंच गई। हालांकि, बुजुर्गों की संख्या (65 साल और उससे अधिक) बढ़कर 95 लाख हो गई है।