इजरायल और हमास के बीच चल रहे युद्ध को विराम देने के लिए हुए करार को सिक्योरिटी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की अगुवाई में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया कि जंग रोकने के लिए किये गए समझौते सही हैं। इजरायली मीडिया में युद्धविराम के इस समझौते को असल में बंधकों की रिहाई के लिए किया गया डील बताया जा रहा है। नेतन्याहू कैबिनेट में वित्त मंत्री बेजलेल स्मोट्रिच और राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इटामार बेन ग्विर ने सिक्योरिटी कैबिनेट में इस समझौते के खिलाफ मतदान किया। इस मीटिंग से पहले प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने उस टीम के साथ भी बैठक की थी, जो दोहा से एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करके लौटी थी। कई हफ्तों तक दोहा में बातचीत करने के बाद आखिरकार गुरुवार को इजरायल और हमास के बीच एक समझौते का एलान हुआ। उल्लेखनीय है कि अमरीका, कतर और मिस्र ने इस समझौते के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभाई। इस समझौते ने दोनों पक्षों के बीच जारी संघर्ष को फिलहाल रोक दिया है। यह संघर्ष 7 अक्तूबर 2023 को इजरायल पर हमास के हमले के बाद से ही चला आ रहा था। इस हमले में 1,200 लोगों की मौत हुई और 250 से ज्यादा बंधक बनाए गए। इसके बाद इजरायली सेना के गाजा पर जवाबी हमलों में 47,000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, इनमें 18,000 से ज्यादा बच्चे हैं। बुधवार की शाम एक प्रेस कांफ्रेंस में कतर के प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल थानी ने कहा कि संघर्षविराम का पहला चरण रविवार को शुरू होगा और 42 दिनों तक चलेगा। हमास बाकी बचे 98 बंधकों में से 33 लोगों को रिहा करेगा। इसके बदले में इजरायल के कब्जे में मौजूद सैकड़ों फलीस्तीनी कैदी रिहा होंगे। अल थानी ने बताया कि समझौते के बाद गजा के लिए मानवीय सहायता भी काफी ज्यादा बढ़ जाएगी। यह पहली बार नहीं है कि कतर ने वैश्विक संकट के समाधान में मध्यस्थ की भूमिका निभाई हो। कतर ने ईरान, अफगानिस्तान और वेनेजुएला में पकड़े गए अमरीकी नागरिकों की रिहाई के लिए भी समझौते कराए हैं। रूस ले जाए गए यूक्रेनी बच्चों को वापस लाने के समझौते में भी कतर ने भूमिका निभाई थी। कतर ने सूडान और चाड के अलावा इरिट्रिया और जिबूती के बीच राजनयिक समझौतों के लिए हुई बातचीत की भी अध्यक्षता की। इतना ही नहीं 2011 में दारफुर शांति समझौता कराने में भी उसकी भूमिका थी। 2020 में कतर ने अमरीका के अफगानिस्तान से निकलने के लिए तालिबान के साथ समझौता कराया। इसके बाद नवंबर 2023 में इजरायल-हमास के बीच अस्थाई संघर्ष विराम में भी वह शामिल था। कतर के प्रमुख मध्यस्थ के रूप में उभार ने उसकी कूटनीतिक स्थिति को मजबूत कर दिया है, उसे क्षेत्रीय रूप से पराया करने की बजाए दुनिया के मंच पर एक मजबूत खिलाड़ी में बदल दिया है। इस नई भूमिका ने दोहा का प्रभाव बढ़ा दिया है और वैश्विक समुदाय में उसे शांति के लिए सहयोगी के रूप में अपरिहार्य बना दिया है। कतर क्यों खुद को दुनिया में मध्यस्थ के रूप में तैयार कर रहा है, इसका भी लेखा-जोखा मौजूद है। कूटनीतिक मामलों में अपनी हद से बाहर जाकर कतर अस्थिर इलाके में स्वतंत्र रूप से अपने लिए सुरक्षा कायम करना चाहता है। अपनी विदेश नीति को ढालने के लिए उदाहरण के तौर पर वह असंतुष्टों और विद्रोहियों के साथ ही क्रांतिकारी और चरमपंथी गुटों को मदद देकर उनके साथ खड़ा हो रहा है। अपने पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी संयुक्त अरब अमीरात से मुकाबले का यह उसका एक तरीका है। कतर अपने पड़ोसी सऊदी अरब से भी आदेश लेने से इनकार कर रहा है। रिश्तेदारियां अहम हैं और कतर को अपने व्यापक और विस्तृत संपर्कों के नेटवर्क के लिए जाना जाता है। उसने कई गुटों को बेस, हथियार या फिर धन देकर उनका समर्थन किया है। इसमें तालिबान से लेकर, मिस्र के मुस्लिम ब्रदरहुड, लीबिया की मिलिशिया और सीरिया, ट्यूनीशिया, यमन में सरकार विरोधी क्रांतिकारी भी शामिल हैं, जो कथित अरब वसंत के दौरान उठ खड़े हुए थे। कुल मिलाकर कतर की भूमिका अहम है, जिसका अब सभी सम्मान कर रहे हैं।
अहम भूमिका
