चीन ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नद पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की घोषणा कर भारत के खिलाफ फिर से साजिश करने का मन बना लिया है। चीन तिब्बत में यारलुंग जांगबो नदी पर बांध बनाने जा रहा है। जिस पर 137 अरब अमरीका डॉलर खर्च होने का अनुमान है। यह परियोजना बेहद नाजुक हिमालय क्षेत्र में बनाई जा रही है जो टेकटनिक सीमा पर स्थित है, जहां अक्सर भूकंप आता रहता है। चीन का कहना है कि यह निर्णय पूरे सर्वेक्षण करने के बाद लिया गया है। तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नद का नाम ही यारलुंग जांगबो है। दुनिया के सबसे बड़े इस बांध से भारत और बांग्लादेश को खतरा हो सकता है। चीन विवाद या युद्ध की स्थिति में इस बांध को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकता है। वर्ष 2021 से ही चीन तिब्बत में इस नदी पर बांध बनाने की योजना बना रहा है,किंतु अब चीन ने इस योजना को मंजूरी दे दी है। अगर यह योजना पूरी हो गई तो ब्रह्मपुत्र को मुख्य रूप से भूटान एवं अरुणाचल प्रदेश के पानी पर ही निर्भर होना पड़ेगा। इससे असम में इको सिस्टम में भी बदलाव हो सकता है। हालांकि चीन ने कहा है कि दुनिया के सबसे बड़े इस बांध से किसी भी देश को कोई क्षति नहीं होगी। लेकिन चीन की नीयत पर कभी भरोस नहीं किया जा सकता है। चीन की इस पहल से असम की जीवन रेखा ब्रह्मपुत्र पर गहरा संकट मंडरा रहा है। बरसात के दिन में ज्यादा पानी होने पर असम की ओर छोड़ सकता है, किंतु सूखे मौसम में अगर वह पानी को अपनी तरफ रोक लेता है तो असम के लिए बड़ी समस्या पैदा हो जाएगी। ब्रह्मपुत्र का पानी असम के साथ-साथ बांग्लादेश की ओर भी जाता है। सबसे बड़ा खतरा बांग्लादेश को ही होगा। अरुणाचल प्रदेश में भी इसको लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है। अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने इस मुद्दे को केंद्र सरकार के समक्ष उठाया है। असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने भी इस मुद्दे से विदेश मंत्रालय को अवगत कराया है। डॉ. शर्मा ने कहा है कि चीन का यह फैसला असम और अरुणाचल के लिए घातक है। ऐसी खबर है कि अगर चीन बड़ी बांध परियोजना को आगे बढ़ाता है तो भारत भी अपने क्षेत्र में ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बना सकता है। ऐसी स्थिति में परेशानी कम हो सकती है। चीन इस बांध के माध्यम से सालाना 300 बिलियन किलोवाट बिजली का उत्पादन करेगा। यह सबको मालूम है कि चीन विवाद के समय इस बांध को वाटर बम के रूप में इस्तेमाल करने से परहेज नहीं करेगा। अगर बाढ़ के समय बांध को खोल दिया जाए तो अरुणाचल और असम बाढ़ की चपेट में आ जाएंगे। भारत सरकार को कूटनीतिक स्तर पर इस मामले को चीन के समक्ष उठाना चाहिए ताकि ऐसी परियोजनाओं को आगे बढ़ने से रोका जा सके। इस मामले में चीन पर दबाव बनाना बेहद जरूरी है।
फिर चीन की साजिश
