केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मणिपुर के बारे में नवीनतम वाॢषक रिपोर्ट पेश की है। उसके अनुसार वर्ष 2023 में पूर्वोत्तर क्षेत्र में हिंसा की जितनी घटनाएं हुईं उसमें 77 प्रतिशत घटनाएं मणिपुर में हुईं। इसका कारण यह है कि पिछले 3 मई 2023 से ही मणिपुर के बहुसंख्यक मैतेई समुदाय तथा आदिवासी कुकी समुदाओं के बीच लंबे समय से जातीय हिंसा चल रहा है।  वर्ष 2022 की तुलना में नागरिकों एवं सुरक्षाबलों के हताहतों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। इसका उदाहरण यह है कि पूर्वोत्तर में हिंसा की 243 घटनाएं हुईं जिसमें 187 घटनाएं मणिपुर में हुईं। आतंकवादरोधी अभियानों के दौरान 33 उग्रवादी मारे गए और 184 उग्रवादियों को गिरफ्तार किया गया। इन उग्रवादियों से 47 हथियार बरामद किए गए। केंद्र सरकार द्वारा की गई पहल के बावजूद मणिपुर में जातीय हिंसा रूकने का नाम नहीं ले रहा है। यह सही है कि पिछले तीन-चार महीनों के दौरान जातीय हिंसा की घटनाओं में कमी आई है, किंतु समस्या का अभी तक स्थाई हल नहीं हो पाया है। नए वर्ष की पूर्व संध्या पर मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने राज्य में हुए जातीय संघर्ष के लिए माफी मांगी है तथा सभी समुदायों से पिछली गलतियों को भूलकर राज्यहित में काम करने का अनुरोध किया है। मणिपुर में चल रहे हिंसा के दौरान अभी तक कुल 250 से अधिक लोगों की जानें चली गई हैं, जबकि हजारों लोग बेघर हुए हैं। पिछले 29 मई से 1 जून तक केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी मणिपुर में डेरा डाले हुए थे उस दौरान उन्होंने 15 बैठकें कीं तथा विभिन्न संगठनों के 100 से अधिक लोगों से मुलाकात की। मणिपुर काफी संवेदनशील राज्य है क्योंकि उसकी सीमा म्यामां से लगती है। म्यामां खुद राजनीतिक अस्थिरता के दौरा से गुजर रहा है तथा वहां पूर्वोत्तर के उग्रवादियों का गढ़ भी है। मैतेई और कुकी समुदाय के बीच वैमनस्य काफी पुराना है। इस जातीय संघर्ष में कुकी उग्रवादियों के कुद जाने से स्थिति विस्फोटक हुई है। यह जातीय संघर्ष हिंदू और क्रिश्चियन समुदाय के बीच का संघर्ष बन गया है। मणिपुर के मैदानी क्षेत्रों में मैतेई समुदाय का आधिपत्य है, जबकि पहाड़ी इलाके में कुकी और नगा समुदाय के लोग रहते हैं। जनसंख्या के हिसाब से मैतेई समुदाय का पलड़ा भारी है। राज्य और प्रशासन में भी मैतेई समुदाय का बोलबाला है। इसको लेकर कुकी समुदाय के बीच काफी असंतोष है। मणिपुर के कुछ भागों को तोड़ने के लिए अंतर्राष्ट्रीय साजिश चल रही है। इसी साजिश के तहत कुछ राष्ट्रविरोध शक्तियां मैतेई और कुकी समुदाय के बीच दुरियां बढ़ाने में लगी है। म्यामां के सीमा से भी इस जातीय संघर्ष को हवा दी जा रही है। पड़ोसी देश चीन म्यामां के माध्यम से कुकी उग्रवादियों को सहयोग एवं समर्थन दे रहा है। पश्चिम देश भी भारत को कमजोर करने के लिए ऐसे तत्वों को तरजीह देते रहते हैं। ऐसी स्थिति में भारत सरकार को सतर्क होना पड़ेगा। म्यामां, बांग्लादेश तथा भारत के कुछ हिस्सों को मिलाकर ईसाई बहुल राज्य बनाने की भी साजिश चल रही है। मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष को खत्म कराने के लिए विशेष पहल की जरूरत है। एक तरफ उग्रवादियों का दमन करने के लिए कठोर कदम उठाने की जरूरत है, जबकि दूसरी तरफ दोनों समुदायों के बीच शांति एवं सद्भाव कायम करने के लिए काम करने की आवश्यकता है। सरकार के साथ-साथ सामाजिक एवं दूसरे संगठनों को आगे आना होगा। अशांत मणिपुर को अगर नहीं संभाला गया तो वह भारत के लिए सिरदर्द बन जाएगा। सभी पक्षों को अपने निहित स्वार्थों को छोड़कर राष्ट्रहित में मिलकर काम करने की जरूरत है। केंद्र और राज्य सरकारों को भी इस दिशा में गंभीरता से पहल करना होगा।