पूर्वांचल प्रहरी डेस्क संवाददाता
गुवाहाटी :असम के राज्यपाल जगदीश मुखी ने रविवार को कहा कि नई शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 में देश के भविष्य की दिशा तय करने के लिए युवाओं को उच्च गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक अवसर प्रदान करने के अलावा देश के पुराने गौरव को ‘फिर से प्राप्त’ करने की क्षमता है। एनईपी-2020 पर पूर्वोत्तर शिक्षा कॉन्क्लेव के समापन सत्र में मुखी ने कहा कि दुनिया में दर्शन, गणित, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की काफी प्रतिष्ठा रही है। दुनिया भर के विद्वानों को इसने आकर्षित किया है। उन्होंने कहा कि एनईपी-2020 की परिकल्पना देश को अपने पुराने गौरव को फिर से प्राप्त करने में मदद करने के लिए की गई है और नई शिक्षा नीति वैश्विक विकास, सामाजिक न्याय और वैज्ञानिक उन्नति समेत अन्य क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर भारत के नेतृत्व की कुंजी होगी। उन्होंने कहा कि प्राचीन और शाश्वत भारतीय ज्ञान की समृद्ध विरासत इस नीति का मार्गदर्शक रही है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक नीति दस्तावेज नहीं है बल्कि भारत के विद्यार्थियों और भारत के नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है। उन्होंने कहा कि अगले एक या दो दशक में भारत में काम करने की उम्र हासिल करने वाले युवाओं की आबादी सबसे ज्यादा होगी। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में युवाओं को उच्च गुणवत्ता वाले शैक्षिक अवसर प्रदान करने की अंतर्निहित गुणवत्ता भारत के भविष्य का निर्धारण करेगी। नीति अनिवार्य रूप से इस सिद्धांत पर आधारित है कि शिक्षा को न केवल उच्च क्रम की संज्ञानात्मक क्षमता विकसित करनी चाहिए बल्कि सामाजिक, नैतिक और भावनात्मक क्षमता और स्वभाव भी विकसित करना चाहिए। यह शिक्षा नीति 21वीं सदी की जरूरतों और आकांक्षाओं के अनुरूप देशवासियों, खासकर युवाओं को आगे ले जाने में सक्षम होगी। सम्मेलन के आयोजन के लिए राज्य सरकार और शंकरदेव एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन की सराहना करते हुए कहा, सभी राज्यों का यह कर्तव्य है कि वे अवसर का अच्छा उपयोग करें और एनईपी 2020 की सफलता में योगदान दें। यह भी कहा कि असम ने कई पहल की हैं। कई अहम फैसलों के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए कदम राज्य सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति को अधिसूचित किया है जो पहले ही एनईपी ट्रैकर्स के आधार पर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत कर चुकी है।