बांग्लादेश के साथ चल रहे तनातनी के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की चीन यात्रा कूटनीतिक एवं रणनीतिक दोनों ही दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण रही। अमरीका सहित पश्चिमी देशों की नजर डोभाल की यात्रा पर लगी हुई थी। उनकी यात्रा से भारत और चीन के बीच तनाव कम करने में मदद मिली है। डोभाल की चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ द्विपक्षीय तथा अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। डोभाल और यी के बीच हुई बैठक के बाद कुल छह ङ्क्षबदुओं पर सहमति बनी। मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने, नाथुला सीमा से व्यापार शुरू करने, सीमा पर स्थायी शांति के लिए आगे वार्ता जारी रखने, दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली के कदम उठाने तथा द्विपक्षीय हितों के लिए मिलकर काम करना शामिल है। आगे दोनों की फिर बैठक होगी, जिसमें सीमा विवाद के स्थायी समाधान पर विस्तार से चर्चा होगी। वर्ष 2020 में भारत और चीन के बीच गलवान में हुई ङ्क्षहसक झड़प के बाद तनाव चरम पर पहुंच गया था। पिछले पांच वर्षों से दोनों देशों के बीच कोई उच्च स्तरीय वार्ता नहीं हुई थी, हालांकि कई दौर की सैन्य वार्ता हुई, जो बेनतीजा रही। बदलते विश्व परिदृश्य में भारत और चीन दोनों को मिलकर काम करना होगा। अमरीका में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की वापसी से चीन को भारत के साथ संबंध सुधारने पर मजबूर होना पड़ा है। आगामी 20 जनवरी को ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद चीन और अमरीका के बीच व्यापार युद्ध शुरू होना तय है। ट्रंप ने कार्यभार संभालने से पहले ही चीनी उत्पादों पर भारी टेरिफ लगाने का ऐलान किया है। पिछले कुछ महीनों से अमरीका भारत को भी तंग करने के लिए हथकंडे अपनाता रहा है। बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन भी अमरीका की भारत विरोधी नीति का जीता-जागता उदाहरण है। अमरीका बांग्लादेश के सेंट माॢटन द्वीप में सैन्य अड्डा बनाना चाहता था, जिसको बांग्लादेश के तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना ने स्वीकार नहीं किया था। बांग्लादेश के कार्यवाहक प्रधानमंत्री (मुख्य सलाहकार) मोहम्मद यूनुस अमरीकी गुप्तचर एजेंसी सीआईए के इशारे पर काम कर रहे हैं। भारत ने चीन को यह समझाने का प्रयास किया है कि यूनुस का शासन उसके लिए भी नुकसानदेह है। अगर चीन बांग्लादेश के मुद्दे पर तटस्थ रुख अपनाता है तो इससे भारत को राहत मिल सकती है। दोनों देशों के बीच घट रही दूरी के लिए रूस की पहल भी महत्वपूर्ण है। चीन की बिगड़ती आॢथक स्थिति, हिंद प्रशांत क्षेत्र में अमरीका की बढ़ती सक्रियता ने भी चीन को नरम रुख अपनाने को बाध्य किया है। भारत को चीन के साथ तनाव घटाने के साथ-साथ सतर्क भी रहना पड़ेगा। क्योंकि विश्वासघात के मामले में चीन का रिकॉर्ड रहा है। वर्ष 2020 से चीन ने डोकलाम से सटे इलाके में अब तक आठ गांव बसा लिया है। भूटान बोर्डर के पास चीन ने पिछले दो वर्षों के दौरान 22 गांवों का निर्माण किया है, जिसमें 7,000 से ज्यादा लोग बसाये गए हैं। उन्हीं गांवों के आसपास चीनी सेना का पोस्ट भी है। उपरोक्त सीमावर्ती क्षेत्रों में चीन द्वारा गांव बसाने से सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकेन नेक) के लिए खतरा हो सकता है। संबंध सुधारने के नाम पर भारतीय हितों की अनदेखी नहीं होनी चाहिए। वैसे ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद फिर से नया वर्ल्ड ऑर्डर बन सकता है। ट्रंप के मंत्रिमंडल में कई मंत्री भारत समर्थक माने जाते हैं जिसका असर आपसी संबंधों पर निश्चित रूप से पड़ेगा। भारत और चीन के बीच मधुर संबंध दोनों देशों के लिए फायदेमंद है।