तबला वादक जाकिर हुसैन का सोमवार को सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में निधन हो गया। उनके परिवार की तरफ से इस दुखद खबर की पुष्टि कर दी गई है। वे 73 साल के थे। इससे पहले 15 दिसंबर की रात को फैमिली ने मौत की खबरों का खंडन किया था। उतबला वादक जाकिर हुसैन का सोमवार को सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में निधन हो गया। उनके परिवार की तरफ से इस दुखद खबर की पुष्टि कर दी गई है। वे 73 साल के थे। इससे पहले 15 दिसंबर की रात को फैमिली ने मौत की खबरों का खंडन किया था। उनकी बहन खुर्शीद ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा था कि उनकी सांसें चल रही हैं, लेकिन हालत नाजुक है। उनकी सेहत के लिए दुआ करें। पर, 16 दिसंबर की सुबह जाकिर हुसैन ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। परिवार के अनुसार मशहूर तबला वादक की मौत इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (फेफड़े की गंभीर बीमारी) की परेशानियों के कारण हुई है। वे दो हफ्ते से हॉस्पिटल में एडमिट थे और तबीयत बिगडऩे के बाद आईसीयू में थे। वह लंबे समय से इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस नामक बीमारी और इसके कारण होने वाली स्वास्थ्य जटिलताओं से पीडि़त थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वह पिछले दो सप्ताह से अस्पताल में थे जहां उनकी हालत बिगडऩे के बाद आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया था। इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (आईपीएफ) फेफड़ों में होने वाली एक क्रोनिक बीमारी है जिसके कारण समय के साथ सांस लेना तक मुश्किल हो जाता है और कई अन्य प्रकार की जटिलताएं होने लगती हैं। इस बीमारी के कारण फेफड़ों में स्कार टिशू (फाइब्रोसिस) बनने लगता है जिस वजह आपके फेफड़े रक्तप्रवाह में ऑक्सीजन को प्रभावी ढंग से पहुंचाने में कठिनाई महसूस करते हैं। डॉक्टर कहते हैं कि फेफड़ों की ये बीमारी किसी को भी हो सकती है। इसलिए समय रहते इसके लक्षणों की पहचान करना और बचाव के लिए निरंतर प्रयास करते रहना जरूरी है। इसी कड़ी में 15 दिसंबर की देर रात को खबर फैल गई कि जाकिर हुसैन अब नहीं रहे। इसके बाद श्रद्धांजलि देने वाले पोस्ट की सोशल मीडिया पर बाढ़ आ गई। फिल्म इंडस्ट्री से लेकर स्पोर्ट्स और कई नेताओं ने भी एक्स पर दुख व्यक्त किया। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने पोस्ट किया कि हान तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन की खबर बेहद दुखद है। उनका निधन संगीत जगत के लिए बहुत बड़ी क्षति है। दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और फैंस के साथ हैं। उस्ताद जाकिर हुसैन अपनी कला की ऐसी विरासत छोड़ गए हैं, जो हमेशा हमारी यादों में जिंदा रहेगी। असम के सीएम हिमंत विश्वशर्मा ने भी एक्स पर दुख जताया। संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने भी सोशल मीडिया पर दुख व्यक्त किया, लेकिन देर रात को ही परिवार की तरफ से पुष्टि की गई कि जाकिर हुसैन अभी जिंदा हैं। उनकी सांस चल रही है, लेकिन हालत नाजुक है। परिवार की तरफ से पुष्टि के बाद कई जानी-मानी हस्तियों ने शोक व्यक्त करने वाले पोस्ट डिलीट कर दिए। जाकिर की बहन, भतीजे आमिर औलिया और सिंगर रेखा भारद्वाज ने जाकिर के निधन की खबरों को गलत बताया था। जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। उनके पिता का नाम उस्ताद अल्लारक्खा कुरैशी था और वे भी तबला वादक थे। उनकी मां का नाम बावी बेगम था। उन्होंने महज 11 साल की उम्र में अमरीका में अपना पहला कॉन्सर्ट किया था। इसके बाद 1973 में अपना पहला एल्बम लांच किया। उन्हें भारत सरकार ने 1988 में पद्मश्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से नवाजा। उन्होंने इसी साल फरवरी में तीन ग्रैमी अवॉर्ड भी जीते थे। पर्सनल लाइफ की बात करें तो जाकिर हुसैन ने कत्थक डांसर और टीचर तथा अपनी मैनेजर अंटोनिया मिनेकोला से शादी की थी। दोनों की दो बेटियां हैं। एक बेटी अनीसा कुरैशी ने फिल्म मेकिंग की पढ़ाई की है तो दूसरी बेटी इसाबेला विदेश में डांस में पढ़ाई कर रही है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि उस्ताद जाकिर हुसैन के निधन से  फिल्म व कला जगत को भारी नुकसान पहुंचा है, जिसकी निकट भविष्य में भरपाई संभव नहीं है।