डॉ टी महादेव राव
आज का जीवन इतना सरल, सफल और असहज हो गया है तो इसका कारण आप सभी जानते हैं .....जी हां सेलफोन। हर आदमी के कर की शोभा बना सेल अपने आप में एक दिव्यापस्त्र की तरह शोभायमान और सदैव सेवा में तत्पजरता लिए हुए विष्णुन के सुदर्शन चक्र की भांति निरंतर चलायमान रहता है। विष्णु, तो जब चाहते थे तभी सुदर्शन चक्र उनकी तर्जनी में दर्शन देता और दुष्टोंण का काम तमाम करता पर सेलफोन तो कर की शोभो बन हर एक का काम हमेशा तमाम करने पर लगा रहता है। पत्नी का फोन आया तो कह दिया ऑफिस की मीटिंग में व्यस्त हूं बाद में फोन करता हूं भले ही अपने सेक्रेटरी के साथ आप काफी शॉप में हों। बार में बैठे हों और बॉस का फोन आया तो कह दिया कि सर मैं अपने घर में कंप्यूटर पर कल की मीटिंग के प्रेजेंटेशन्सर बना रहा हूं। आपका काम भी बन गया और बॉस भी खुश। गर्लफ्रेंड ने फोन किया और आप नहीं मिलना चाहते क्योंकि आप ने उसकी मांग (सिन्दूर वाला नहीं) पूरी नहीं की, क्योंकि महीने के आखिरी दिन जो हैं और तनख्वारह मिलने में चार-पांच दिन का समय जो है। आप कह देते हैं कि ऑफिस में हूं बॉस के साथ जबकि आप होते हैं अपनी किसी पुरानी दोस्ते के साथ रामकृष्णा बीच में मुर्री मसाला खाते हुए। अर्थ यह है कि आपको समस्याओं से बचाने वाला जो यंत्र है सेल फोन। ये अलग बात है कि आप सारे दिन में सच कम या नहीं के बराबर बोलते हैं और झूठ के शहंशाह बन जाते हैं। साथ ही एक और खास बात यह भी है कि आपकी सर्जना शक्ति क्रियेटिविटी बढ़ जाती है। बस बिना तैयारी के आप झूठ बोलने में ऐसे माहिर हो जाते हैं कि सामने वाला आपको विश्व में सबसे अधिक ईमानदार और कर्मठ मानने लगता है, क्योंकि आप इतना विश्वासनीय और आत्मि्वश्वास से भरे अंदाज में बोलते हैं कि सामने वाले की बोलती बंद हो जाती है। सेल फोन आपको इतना अधिक कॉन्फिवडेंट बना देता है कि आप झूठ भी ऐसे बोलते हैं कि सच को भी कभी-कभी अपने आप पर शक होने लगता है कि वह सच है या झूठ का प्रतिबिम्ब। व्यक्ति चाहे जैसा भी हो उसमें आमूलचूल परिवर्तन लाने में सेल फोन का महत्व नकारा नहीं जा सकता। यह ऐसा चंदन है जिस पर विष व्याप जाता है लिपटे हुए सेलफोन रूपी भुजंग की वजह से। सेलफोन का महत्व ही कारण है कि सेलफोन लेने वाले सभी कमोबेश एक जैसे ही हो जाते हैं। वैसे ही जैसे खरबूजा खरबूजा को देखकर रंग पकड़ता है। और एक बार चढ़ गया यह रंग तो फिर चढ़े न दूजो रंग। सेलफोन की करामात यह है कि जाने अंजाने में हम उसके दास हो जाते हैं, ठीक उसी तरह जिस तरह जादुई चराग का जिन उस चराग के मालिक का गुलाम होता है। कभी कभी जब हम सेलफोन कहीं भूल जाते हैं या खो देते हैं तो ऐसा लगने लगता है कि शरीर का कोई अंग कट गया है या छूट गया है, कोई कमी है जो हमें लगातार परेशान कर रही है किसी देनदार की तरह, शादी के लिए पीछे पड़ी पुरानी प्रेमिका की तरह और दवाइयों के बावजूद न छूटने वाली मर्ज की तरह। तो जीवन का अभिन्न अंग बना सेलफोन खतरे भी कम पैदा नहीं करता। गलती से कभी जब आप धड़ल्ले से अपना सेलफोन नंबर किसी अजनबी को दे दिए तो बस वही गलती शादी की गलती की तरह आपको त्रस्ते करती रहेंगी। कोई नारी आपसे बात करेगी और कहेगी कि आपको फलां फलां रिसॉट या अमुक अमुक योजना के अंतर्गत चुना गया है और आपको अपने परिवार के साथ उनके द्वारा आयोजित रात्रिभोज (जो कि उनका बिजनेस प्रमोशन का तरीका है) में आमंत्रित किया जा रहा है। यदि नारी स्वर के मोह में फंसकर या ‘चुने’ जाने की लालच के कीचड़ में धंसकर फंस गए तो समझिये जितना पैसा वे लोग ऐंठ लेंगे उससे आप बीस सेलफोन तो आराम से खरीद सकते हैं। ये है खतरा नंबर एक। गलती नंबर दो पर आएं। अपनी ही लोगों में सेलफोन पर हम इतने झूठ बोलते हैं कि पकड़ में आने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। जैसे बीवी से कह दिए दफ्तर में हूं और अपनी महिला मित्र के साथ आप किसी शॉपिंग मॉल में उसके लिए साड़ियां खरीदते हुए और आपकी बीवी ने देख लिया आपको वहां उस ममि (महिला मित्र) के साथ महंगी साड़ी खरीदते हुए तो बस अठारह दिन में समाप्त महाभारत के युद्ध से भी बड़ा युद्ध आपको कुरुक्षेत्र का मैदान बनने पर विवश करेगा और आप जीवन भर सेल (कोशिका) विहीन हो जाएंगे। आपको अपने सारे झूठों पर यह एक मात्र झूठ भारी पड़ेगी बहुत भारी। इसी तरह कभी बॉस के हत्थे चढ़ गए किसी झूठ के कारण तो बस। सेलफोन के कारण जीवन एक और बहुत अधिक सुविधामय हो गया है लेकिन दूसरी ओर गले में फंसे कांटे की तरह जी का जंजाल भी। ऐसा हो रहा है कि लोग सच बोलने से कतरा रहे हैं और सिवाय झूठ के कुछ नहीं बोल रहे हैं।
विशाखपत्तनम, मोः9394290204