अमरीका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आगामी 20 जनवरी को शपथ लेंगे, लेकिन उन्होंने अभी से ही अपनी नई टीम का गठन शुरू कर दिया है। टीम में कई ऐसे लोग हैं जो भारत समर्थक के रूप में जाने जाते है। ट्रंप के जीतने के साथ ही दुनिया के देशों में कई तरह के कयास लगाए जा रहे है। कुछ देश ट्रंप के निर्वाचित होने से टेंशन में है। लेकिन भारत उसको लेकर किसी चिंता में नहीं है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ट्रंप को आने से भारत को कई परेशानी नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप की जीत के बाद सबसे पहले फोन करके उनको बधाई दी थी तथा कहा कि भारत अमरीका के साथ नए सिरे से अपने संबंधों को मजबूत करना चाहता है। भारत विश्व शांति और स्थिरता के लिए मिलकर काम करने को तैयार है। यह सबको मालूम है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा ट्रंप के बीच अच्छा तालमेल हैं। दोनों नेताओं ने अपने संबोधन में एक-दूसरे के लिए मित्र शब्द का इस्तेमाल किया था। ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान भारत और अमरीका का संबंध काफी मधुर रहे। ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल के लिए प्रतिनिधि सभा के सदस्य तथा इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष माइकल वॉल्ट्ज को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्ति किया है। वॉल्ट्ज अमरीका के आर्मी नेशनल गार्ड के अवकाश प्राप्त सैन्य अधिकारी है। चीन के प्रति कठोर रुख रखने के लिए जाने जाते है। इनको भारत समर्थक माना जाता है। इनके सामने सबसे बड़ी चुनौती रूस-यूक्रेन तथा इजरायल-हमास युद्ध रुकवाने की है। ट्रंप ने अपने चुनावी भाषण में वादा किया था कि अगर वे निर्वाचित होते है तो रूस-यूक्रेन तथा इजरायल-हमास युद्ध रुकवा देंगे। हिंद प्रशांत क्षेत्र तथा हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती दादागिरि के खिलाफ हैं। उनके आने से चीन के परेशानी बढ़ेगी। फ्लोरिडा के सीनेटर मार्को रुबियो को ट्रंप ने अपना विदेश मंत्री नियुक्त किया है। लेटिन अमरीका मूल के अमरीकी नागरिक रुबियो भी चीन के खिलाफ सख्ती के लिए जाने जाते हैं। कोरोना के वक्त बीजिंग में आयोजित शीतकालीन ओलंपिक का बहिष्कार का उन्होंने सुझाव दिया था। रुबियो भी भारत के प्रति नरम रुख रखने वाले नेता के रूप में जाने जाते हैं। अमरीका में विदेश मंत्री तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दो ऐसे महत्वपूर्ण पद है, जो अमरीका की रणनीति निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ट्रंप ने अपने दो विश्वासपात्र एवं बड़े उद्योगपति एलेन मस्क तथा भारतीय मूल के अमरीकी विवेक रामास्वामी को सरकारी दक्षता विभाग का मंत्री बनाया गया है। ये दोनों मिलकर अमरीकी प्रशासन में सुधार करने तथा खर्चों में कटौती करने आदि के बारे में काम करेंगे। इन दोनों के ऊपर ट्रंप की भावी योजना काफी हद तक निर्भर है। इसके अलावा टॉम होमैन को सीमा संबंधी मामले को सौंपा गया है। डोनाल्ड ट्रंप अमरीका में अवैध प्रवासियों के घुसपैठ को रोकना चाहते है ताकि अमरीका में वहां के लोगों को रोजगार के ज्यादा अवसर मिल सके। इसके लिए वे सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना चाहते है। रक्षा तैयारियों को गति देने के लिए ट्रंप ने फॉक्स न्यूज के एंकर पीट हेगसेथ को नया रक्षा मंत्री बनाया है। हेगसेथ एक सैनिक अधिकारी के रूप में आफगानिस्तान में काम कर चुके है। अपने सख्त स्वभाव एवं बुद्धिमानी के प्रसिद्ध हेगसेथ अमरीका फर्स्ट नीति का समर्थक रहे है। ट्रंप के मंत्रीमंडल में अभी तक केवल विवेक रामास्वामी को ही जगह मिली है। निक्की हेली, तुलसी गेबार्ड, बबी जिंदल जैसे भारतीय मूल के नेताओं को जगह नहीं मिली है। सीआईए के निदेशक के रूप में कश्यप पटल का नाम सबसे आगे चल रहा था लेकिन अंत में जॉन रैटक्लिफ को अमरीकी जांच एंजेसी (सीआईए) का निदेशक बनाया गया है। कुल मिलाकर देखा जाए तो ट्रंप मंत्रिमंडल भारत समर्थक कहा जा सकता है। ट्रंप के मंत्रिमंडल को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि भविष्य में चीन और पाकिस्तान की परेशानी बढ़ने वाली है। यूरोपीय देशों के लिए भी ट्रंप वर्तमान राष्ट्रपति बाइडेन की तरह नरम रुख नहीं रखेंगे।
डोनाल्ड ट्रंप की नई टीम
