डोनाल्ड ट्रंप के अमरीकी राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित होने के बाद कनाडा सरकार बैकफुट पर आ गई है। अपने चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ने स्पष्ट रूप से कहा था कि बांग्लादेश तथा कनाडा में हिंदुओं, ईसाईयों तथा दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हो रहे अत्याचार को बंद कराने के लिए कदम उठाऊंगा। अब निर्वाचित होने के बाद ट्रंप निश्चित रूप से इस दिशा में कदम उठाएंगे। ट्रंप के विश्वासी तथा अमरीका के बड़े उद्योगपति एलेन मस्क ने इस बारे में कनाडा को स्पष्ट संकेत दे दिया है। अमरीका के वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन की तरफ से ट्रूडो को जो समर्थन मिल रहा है, वह 20 जनवरी के बाद समाप्त हो जाएगा। डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमरीका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। जस्टिन ट्रूडो ने अब स्वीकार किया है कि कनाडा में खालिस्तान समर्थक सक्रिय हैं, किंतु वे सिखों के प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। ट्रूडो ने यह भी स्वीकार किया है कि वे बिना सबूत के भारत पर आरोप लगा रहे थे। कनाडा के हिंदू मंदिर में आयोजित शिविर के दौरान खालिस्तान समर्थकों ने उपस्थित हिंदुओं पर हमला किया तथा मारपीट की। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि खालिस्तानियों के समूह में कनाडा का एक पुलिस अधिकारी भी सादे लिवास में शामिल था। ट्रंप के कड़े रुख को देखते हुए कनाडा सरकार ने हरदीप सिंह निज्जर के खासमखास अर्शदीप डल्ला को गिरफ्तार किया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी अपनी आस्ट्रेलिया यात्रा के दौरान कनाडा सरकार की पोल खोल कर रख दी है। जयशंकर ने स्पष्ट रूप से कहा है कि कनाडा सरकार द्वारा बिना सबूत के आरोप लगाना एक फैशन बन गया है, जहां राजनयिकों पर निगरानी रखी जाती है। कनाडा में अलगाववादियों एवं भारत विरोधी तत्वों को पनाह दी जाती है। अर्शदीप डल्ला खालिस्तानी टाइगर फोर्स का सर्वेसर्वा है। पहले इसकी कमान हरदीप सिंह निज्जर संभालता था। डल्ला का गैंगस्टर नेटवर्क बहुत बड़ा है, जिसके तहत 700 शूटर काम करते हैं। डल्ला को कनाडा के अलावा पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आईएसआई से भी सहयोग एवं समर्थन मिलता है। आईएसआई खालिस्तान टाइगर फोर्स को आर्थिक सहायता भी देती है। भारत में गैर-कानूनी गतिविधियां चलाने वाले खालिस्तानियों को कनाडा में आसानी से शरण मिल जाती है तथा वहां की नागरिकता प्राप्त हो जाती है। ट्रूडो सरकार अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए खालिस्तानियों को संरक्षण देती है। कनाडा में सिखों की अच्छी आबादी है। वहां का सिख समुदाय ट्रूडो सरकार का समर्थक रहा है। लेकिन पिछले कुछ महीनों से ट्रूडो की लोकप्रियता में काफी कमी आई है। अगले वर्ष कनाडा में चुनाव होने वाले हैं। ट्रूडो सरकार बाहरी और भीतरी दोनों चुनौतियों से जूझ रही है। भारत के खिलाफ कनाडा सरकार द्वारा अपनाई जा रही नीति उसे विनाश के कगार पर ले जा रही है। अमरीका का भी पूरा समर्थन मिल रहा है। लेकिन ट्रंप के राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद परिस्थिति बदलनी शुरू हो गई है।
बैकफुट पर कनाडा
