आगामी फरवरी माह से शुरू होने वाले चैंपियंस ट्रॉफी क्रिकेट मैच को लेकर एक बार फिर भारत-पाकिस्तान आमने-सामने आ गए हैं। पाकिस्तान में बढ़ती आतंकी गतिविधियों को देखते हुए भारत सरकार ने बीसीसीआई को भारतीय क्रिकेट टीम को पाकिस्तान भेजने से मना कर दिया है। सरकार ने कहा है कि सुरक्षा को देखते हुए टीम को वहां भेजना संभव नहीं है। सरकार के इस फैसले के बाद दोनों देशों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) का कहना है कि वह इस मामले को आईसीसी के समक्ष उठाएगा। साथ ही पीसीबी ने यह भी कहा है कि जरुरत पड़ने पर हमलोग अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का दरवाजा भी खटखटा सकते हैं। दूसरी तरफ बीसीसीआई ने इस मामले में आईसीसी को पूरी रिपोर्ट दे दी है। भारत ने चैंपियंस ट्रॉफी यूएई में भी कराने का प्रस्ताव दिया है, जिस पर सहमति लगभग बन चुकी है। इस मुद्दे पर दोनों देश आमने-सामने आ गए हंै। पाकिस्तान का कहना है कि भारत ने हमें नीचा दिखाने के लिए इस तरह का कदम उठाया है। हाल ही में पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत स्थित क्वेटा रेलवे स्टेशन पर खड़ी एक ट्रेन सफर एक्सप्रेस में हुए धमाके के बाद दहशत का माहौल है। सेना को निशाना बनाकर किये गए हमले में 25 से ज्यादा लोग मारे गए हैं तथा 50 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। मरने वालों में ज्यादातर पाकिस्तानी सेना के जवान हैं। इस फिदायीन हमले की जिम्मेवारी बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने ली है। बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना कई वर्षों से वहां के लोगों पर कहर ढा रही है। चीन और पाकिस्तान की सरकार बलूचिस्तान के खनिज संपत्ति का दोहन कर रही है। यही कारण है कि बीएलए पाकिस्तानी के साथ-साथ चीनी नागरिकों को भी निशाना बना रही है। चीन-पाक आर्थिक गलियारा (सी-पैक) योजना के तहत चीन ने बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को विकसित किया है। बलूचिस्तान की जनता को यह हजम नहीं हो रही है। वहां की जनता बलूचिस्तान में चीनी दखल के खिलाफ है। इससे पहले भी आतंकियों ने पाकिस्तान में दो अलग-अलग जगहों पर स्कूलों के सामने बिस्फोट किया था, जिसमें कुल सात बच्चे मारे गए तथा कई घायल हो गए। पाकिस्तान आतंकियों के लिए सुरक्षित पनहगार बना हुआ है। लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे कई आतंकी संगठन पाकिस्तान में रहकर भारत में हिंसात्मक गतिविधियां चलाते रहते हैं। अमरीका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद के लिए जीत के बाद पाकिस्तान पर दबाव बढ़ सकता है। पिछले कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा निर्णय लिया था तथा उसको दी जाने वाली सामरिक और आर्थिक सहायता बंद कर दी थी। पाकिस्तान के वर्तमान नेतृत्व के साथ ट्रंप का अच्छा रिश्ता नहीं रहा है। ऐसे में उम्मीद है कि ट्रंप कार्यभार ग्रहण करने के बाद शहबाज सरकार के खिलाफ जरूर कदम उठाएंगे। टीम इंडिया को पाकिस्तान न भेज कर भारत सरकार ने अच्छा फैसला लिया है, क्योंकि खिलाड़ियों के जान की रक्षा करना जरूरी है। पाकिस्तान एक ऐसा देश है, जहां कोई भी सुरक्षित नहीं है।
भारत-पाक आमने-सामने
