पीएम विद्यालक्ष्मी योजना को मंजूरी मिल गई है। ऐसे में इसका स्वागत किया जाना चाहिए। 22 लाख से अधिक विद्यार्थियों को अपने दायरे में लेने वाली इस वित्तीय सहायता योजना के अंतर्गत उन प्रतिभाशाली और उत्कृृष्ट विद्यार्थियों को शैक्षिक ऋ ण प्रदान किया जाएगा जिन्हें उच्च शिक्षा संस्थानों में दाखिला मिला हो, लेकिन वे वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रहे हों। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार की तरफ से विद्यार्थियों को बिना गारंटी के 10 लाख रुपए तक का लोन देने के लिए पीएम विद्यालक्ष्मी योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना को मंजूरी बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की मीटिंग में मिली, जिसमें प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी योजना को विस्तार दिया गया है। अब देश के किसी भी छात्र के आगे की पढ़ाई में आर्थिक स्थिति आड़े नहीं आ सकती है। इस योजना के जरिए 10 लाख रुपए तक का लोन बिना किसी गिरवी या गारंटी के दिया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि सात लाख से अधिक के शिक्षा ऋ ण पर गारंटी देनी पड़ती थी। इसी समस्या का समाधान देते हुए प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी योजना को शुरू किया गया है। प्रधानमंत्री जी ने बताया कि यह योजना देश के युवा शक्ति को सशक्त बनाने और काबिल बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए एक बड़ा कदम साबित होगा। बच्चों को आर्थिक सहायता देने के साथ-साथ उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना भी इस योजना का उद्देश्य है। शुरुआत में यह योजना देश के शीर्ष 860 गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा संस्थानों पर लागू होगी। सेंट्रल सेक्टर ब्याज सब्सिडी (सीएसआईएस) और शैक्षणिक ऋ ण के लिए ऋ ण गारंटी फंड योजना (सीजीएफएसईएल) के पूरक के रूप में पीएम विद्यालक्ष्मी योजना स्थगन अवधि के दौरान 4.5 लाख रुपए तक की पारिवारिक आय वाले विद्यार्थियों को पूर्ण ब्याज अनुदान प्रदान करेगी। इसके अलावा 8 लाख रुपए तक की पारिवारिक आय वाले विद्यार्थियों को स्थगन अवधि के दौरान 10 लाख रुपए तक के ऋ ण के लिए 3 फीसदी की ब्याज सब्सिडी दी जाएगी। 7.5 लाख रुपए तक के ऋ ण की पात्रता रखने वाले विद्यार्थियों को बकाया देनदारी पर 75 फीसदी की ऋ ण गारंटी मिलेगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि गारंटर मुक्त शिक्षा ऋ ण गरीब छात्रों को उच्च शिक्षा हासिल करने में मदद करेगा। देश में शिक्षा ऋ ण का बाजार बीते कुछ वर्षों में काफी विकसित हुआ है। शिक्षा ऋ ण के तहत बकाया पोर्टफोलियो 2022-23 में 17 फीसदी बढ़कर 96,847 करोड़ रुपए हो गया। बहरहाल देश के शिक्षा ऋ ण का 90 फीसदी से अधिक हिस्सा विदेशों में पढ़ाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा 2022-23 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की ओर से वितरित कुल शिक्षा ऋ ण का करीब 8 फीसदी फंसे हुए कर्ज में तब्दील हो गया। यह बैंकिंग क्षेत्र के औसत फंसे हुए कर्ज से अधिक है। औसत डिफॉल्ट दर भी प्रमुख संस्थानों के छात्रों के शिक्षा ऋ ण की डिफॉल्ट दर से बहुत अधिक है। इससे संकेत मिलता है कि शिक्षा ऋ ण के क्षेत्र में ऐसे छात्रों का योगदान अधिक है जो दूसरे दर्जे के संस्थानों में पड़ते हैं। इस संदर्भ में योजना न केवल गरीब विद्यार्थियों को ऋ ण तक आसान पहुंच मुहैया कराएगी बल्कि कुछ हद तक बैंकों को भी बचाएगी। बहरहाल, यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि आसान ऋ ण की मदद से उच्च शिक्षा को सब्सिडी देना जरूरी हो सकता है लेकिन यह वांछित परिणाम पाने के लिए पर्याप्त नहीं है। देश में समस्या न केवल ऋ ण के किफायती होने या वित्तीय मदद के विकल्पों की है, बल्कि गुणवत्तापूर्ण संस्थानों की उपलब्धता भी एक अहम मुद्दा है। राष्ट्रीय पात्रता सह अर्हता परीक्षा समेत शीर्ष परीक्षाओं में बार-बार पेपर लीक होने, कोचिंग सेंटरों का विस्तार और शीर्ष संस्थानों में प्रवेश की तैयारी कर रहे हैं। बच्चों की ओर से आत्महत्या करने जैसी घटनाएं अच्छे उच्च शिक्षा संस्थानों की कमी की एक बढ़ी समस्या का संकेत हैं। इस वजह से अधिकांश शैक्षणिक ऋ ण विदेशों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की ओर से लिये जाते हैं। ऐसे में जहां उच्च शिक्षा के ऋ ण की उपलब्धता में सुधार का स्वागत किया जाना चाहिए, वहीं सरकार को अधिक गहरी समस्या पर भी नजर रखनी चाहिए। भारत को अगर तेजी से बदलती दुनिया में अगली पीढ़ी को प्रासंगिक रखना है तो उसे बड़ी संख्या में गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा संस्थान तैयार करने होंगे।