अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने शानदार जीत हासिल की और अब वे एक बार फिर व्हाइट हाउस में लौटेंगे।  ट्रंप की जीत के बाद भारत दोनों देशों के आपसी संबंधों को लेकर आशावादी है।  भारत और अमरीका-ये दोनों ऐसे देश हैं जहां एक तरफ बहुत सारे अवसर हैं, लेकिन कई चुनौतियां भी हैं। अपने पहले कार्यकाल के दौरान ट्रंप के नरेन्द्र मोदी के साथ अच्छे संबंध थे।  हालांकि, इस बार भू-राजनीतिक परिदृश्य पहले की तुलना में अधिक जटिल दिख रहा है। यह स्पष्ट नहीं है कि दोनों नेता यूक्रेन-रूस युद्ध, एशिया में चीन के बढ़ते प्रभाव, इमिग्रेशन और द्विपक्षीय व्यापार जैसे मुद्दों से कैसे निपटेंगे? राजनयिकों और विदेश नीति विशेषज्ञों को भारत और अमरीका के आपसी रिश्तों के कुछ बेहतर होने की उम्मीद भी है और चिंता भी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ट्रंप की अप्रत्याशित नेतृत्व शैली को देखते हुए इन दोनों देशों के रिश्तों को हल्के में नहीं लेना चाहिए। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमरीकी चुनावों में ट्रंप को विजेता घोषित किए जाने के तुरंत बाद उन्हें बधाई दी और दोस्त  कहा। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्रंप के साथ अपनी पुरानी हंसती-मुस्कराती, गले लगाती तस्वीरें साझा करते हुए लिखा कि मेरे दोस्त डोनाल्ड ट्रंप, आपकी ऐतिहासिक चुनावी जीत पर हार्दिक बधाई। जैसा कि आप अपने पिछले कार्यकाल की सफलताओं को आगे बढ़ाने पर काम कर रहे हैं, मैं भारत-अमरीका के व्यापक वैश्विक और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए हमारे सहयोग को आगे बढ़ाने को तत्पर हूं। आइए हम सब मिलकर अपने लोगों की भलाई के लिए और वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए काम करें। मोदी और ट्रंप दोनों ही वैश्विक नेताओं के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों को अन्य मामलों से ज्यादा तरजीह देने के लिए जाने जाते हैं। सितंबर 2019 में मोदी ने अमरीका का दौरा किया था, तब मोदी और ट्रंप ने टेक्सास में हाउडी मोदी रैली में एक-दूसरे की खूब तारीफ की थी। यहां ट्रंप ने करीब 50 हजार भारतीय अमरीकियों को संबोधित किया था, जो अमरीका-भारत संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण था। इसके बाद फरवरी 2020 में गुजरात में नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। यहां ट्रंप ने अमरीका-भारत संबंधों को मजबूत करने का संकल्प लिया था।  ट्रंप ने 2024 के चुनाव अभियान के दौरान मोदी की प्रशंसा भी की थी। एक पॉडकास्ट में उन्होंने मोदी को सबसे अच्छा इंसान और दोस्त बताया था। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस हफ्ते की शुरुआत में कहा था कि चुनाव के नतीजे चाहे जो भी हों, अमरीका के साथ हमारे रिश्ते और मजबूत ही होंगे। कैनबरा में भारत-ऑस्ट्रेलिया विदेश मंत्रियों के फ्रेमवर्क डायलॉग के मौके पर जयशंकर ने कहा कि भारत-अमरीका संबंध पांच अलग-अलग राष्ट्रपतियों के कार्यकाल के दौरान न केवल बने रहे हैं, बल्कि बेहतर भी हुए हैं। अमरीका के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखने को लेकर जयशंकर का विश्वास दोनों देशों के साझा उद्देश्य से उपजा है। दोनों का उद्देश्य है हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन को नियंत्रित करना। पिछले साल जून में मोदी की अमरीका यात्रा के दौरान नई दिल्ली और वॉशिंगटन ने नए रक्षा सौदे पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत भारत को 20 अरब डॉलर के सैन्य उपकरण और नई रक्षा तकनीकें खरीदने की अनुमति मिली। ट्रंप, भारत और क्वाड (अमरीका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया का समूह) के साथ भू-राजनीतिक जुड़ाव को और बेहतर बना सकते हैं, जबकि चीन के साथ प्रतिस्पर्धा और बढ़ा सकते हैं। इसका नतीजा यह होगा कि भारत वैश्विक आपूर्ति शृंखला को ज्यादा आकर्षित कर सकता है और यहां निजी निवेश बढ़ सकता है। इसके अलावा रक्षा और तकनीक के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच साझेदारी बढ़ सकती है। ट्रंप के नेतृत्व में अमरीका और दक्षिण एशिया में भारत की चिंताओं को ज्यादा समझ सकेगा। अगर ट्रंप यूक्रेन और गाजा में संघर्ष को खत्म कराने में सफल रहे तो इससे भारत को लाभ होगा। वह इस प्रयास में भारत को भी शामिल कर सकते हैं।