झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की तिथि नजदीक आने के साथ ही राजनीतिक माहौल गर्म होता जा रहा है। 81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा में बहुमत के लिए 41 सदस्यों की जरुरत होगी। पिछले विधानसभा में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) को सबसे ज्यादा 27 सीटें मिली थी, जबकि भाजपा को 24 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। कांग्रेस के खाते में 18 सीटें गई थी। जेएमएम ने कांग्रेस, भाकपा(माले) तथा राष्ट्रीय जनता दल के सहयोग से सरकार का गठन किया था। इस बार भी जेएमएम के नेतृत्व वाले गठबंधन तथा भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के बीच सीधा मुकाबला है। दोनों गठबंधन मतदाताओं को लुभाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। आरोप-प्रत्यारोप का तीखा दौर जारी है। इस बार के चुनाव में घुसपैठ तथा भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा बना हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हेमंत सोरेन सरकार को घुसपैठिया समर्थक तथा माफिया का गुलाम बता दिया है। भ्रष्टाचार का मुद्दा भी प्रमुखता से उठ रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने झारखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने का वादा किया है। असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा जो झारखंड के सह-प्रभारी भी हैं, वहां डेरा डाले हुए हैं। डॉ. हिमंत विश्वशर्मा लगातार सोरेन सरकार पर हमलावर हंै। दूसरी तरफ झारखंड मुक्ति मोर्चा तथा कांग्रेस भाजपा पर धर्म के नाम पर लोगों को बांटने का आरोप लगा रही है। अपने न्याय पत्र में जेएमएम ने महिलाओं को ढाई हजार सम्मान राशि, पिछड़ा वर्ग आयोग गठित करने, दस लाख लोगों को नौकरी देने तथा किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 2400 से बढ़ाकर 3200 करने का वादा किया है। इसी तरह भाजपा भी अपने पिटारे से वादों की झड़ी लगाने में पीछे नहीं है। कुल मिलाकर झारखंड विधानसभा का चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है। भाजपा ने पिछली गलती से सीख लेते हुए अखिल झारखंड छात्र संघ (आजसू), जनता दल-यू तथा लोक जनशक्ति पार्टी के साथ गठबंधन किया है। पिछले चुनाव में भाजपा तथा आजसू के बीच गठबंधन नहीं हो पाया था। ऐसी उम्मीद है कि इस बार राजग के मतों में विभाजन नहीं होगा। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जा चुके हैं। अभी वे जमानत पर बाहर हैं। हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद भाजपा का मनोबल बढ़ा हुआ है। झारखंड व महाराष्ट्र चुनाव जीत कर भाजपा देश में बड़ा संदेश देना चाहती है। लोकसभा चुनाव में संतोषजनक सफलता नहीं मिलने के बाद भाजपा पूरे देश में अपनी स्थिति मजबूत करने में लगी हुई है। महाराष्ट्र में भी भाजपा पूरी रणनीति के साथ चुनाव मैदान में उतर चुकी है। झारखंड में 13 और 20 नवंबर को दो चरणों में मतदान हो रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी प्रचार अभियान में कूद चुके हैं। विपक्ष खासकर कांग्रेस के लिए भी महाराष्ट्र और झारखंड का चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ है। अगर कांग्रेस का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा तो राष्ट्रीय राजनीति में उसकी अहमियत घट जाएगी।