पाकिस्तान में 15 एवं 16 अक्तूबर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक होने वाली है। इस बैठक में एससीओ के सदस्य देशों के प्रमुख या प्रतिनिधि हिस्सा लेने वाले हैं। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भी इस बैठक में शिरकत करेंगे। नौ साल के बाद भारत का कोई विदेश मंत्री पाकिस्तान का दौरा करने वाला है। इससे पहले वर्ष 2015 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पाकिस्तान गई थीं। एससीओ बैठक से पहले पाकिस्तान में अराजगकता की स्थिति पैदा हो गई है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी (पीटीआई) तथा आतंकी संगठनों ने कोहराम मचा रखा है। बलोच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने पिछली रात कराची अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास भीषण विस्फोट कर तहलका मचा दिया है। इस विस्फोट में दो चीनी नागरिक सहित चार विदेशी नागरिकों के मारे जाने की खबर है। इस घटना ने पाकिस्तान के सदा बहादुर दोस्त चीन को भी दहशत में डाल दिया है। पीटीआई के समर्थकों द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन से पहले ही पाकिस्तान की सरकार बैकफुट पर है। बीएलए द्वारा किए गए विस्फोट में पाकिस्तान सरकार का सिर दर्द बढ़ा दिया है। फिलहाल पाकिस्तान में गृहयुद्ध जैसी स्थिति पैदा हो गई है। बिगड़ती स्थिति को देखते हुए पाकिस्तानी सेना ने इस्लामाबाद और लाहौर को अपने कब्जे में ले लिया है। इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है तथा सामान्य नागरिकों के आवागमन पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। पाकिस्तान सरकार के सामने एससीओ बैठक शांतिपूर्ण करवाना बड़ी चुनौती बनी हुई है। चीनी के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पहले ही पाकिस्तान आने से इनकार कर चुके हैं। अगर यही स्थिति रही तो चीन के प्रधानमंत्री का आना भी अनिश्चित हो जाएगा। अगर स्थिति और बिगड़ती है तो शायद विदेश मंत्री जयशंकर भी पाकिस्तान जाने से परहेज जाने से परहेज कर सकते हैं। मालूम हो कि भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान के अलावा और कई देश भी एससीओ में शामिल हैं। इस बैठक के दौरान संबंधित देशों के बीच आ रही समस्याओं तथा सहयोग पर चर्चा होगी। पाकिस्तान चाहता है कि जयशंकर की यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच अलग से बैठक हो, जिसमें द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा हो। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 तथा 35-ए हटने के बाद पाकिस्तान ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए भारत के साथ व्यापार बंद कर दिया है। इसका नतीजा यह हुआ है कि पाकिस्तान में आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं। लोगों को खाने-पीने की चीजें उपलब्ध नहीं हो पा रही है। व्यापार बंद होने से पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। जयशंकर ने पाकिस्तान यात्रा से पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान जब तक सीमा पार आतंकवाद को प्रोत्साहित करना बंद नहीं करेगा तब तक पाकिस्तान के साथ कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं होगी। जयशंकर के इस बयान ने पाकिस्तान की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। यह सही है कि जो देश भारत के खिलाफ लगातार षड्यंत्र रच रहा है, उस देश के साथ व्यापार कैसे किया जा सकता है। पाक अधिकृृत कश्मीर की जनता वहां के शासन से तंग आकर भारत में शामिल होना चाहती है, किंतु वहां की सेना आंदोलनकारियों पर कहर ढा रही है। भारत का कहना है कि पीओके भारत का हिस्सा है। अगर भारत को कश्मीर मुद्दे पर वार्ता करना है तो उसे केवल पीओके पर ही वार्ता करनी होगी। बलुचिस्तान के बीएलए उग्रवादियों ने भी चीन के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। उनका मानना है कि चीन उनकी धरती का दोहन कर रहा है, जिसे वे कभी स्वीकार नहीं करेंगे। कुल मिलाकर देखा जाय तो पाकिस्तान की स्थिति गाजा की तरह होती जा रही है। वहां सरकारी प्रशासन नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। उग्रवादी संगठनों का बोलबाला है, जहां आम जनता सुरक्षित नहीं है।