छत्तीसगढ़ के नारायणपुर-दंतेवाड़ा क्षेत्र में सुरक्षाबलों ने नक्सल विरोधी अभियान चलाकर लगभग 40 नक्सलियों को मौत के घाट उतार दिया।  इस अभियान के दौरान सुरक्षाबलों ने नक्सलियों से एके-47 रायफल सहित बड़ी संख्या में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया। इस नक्सल विरोधी अभियान में चार सौ से ज्यादा जवानों ने हिस्सा लिया था। कुछ दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ के दौरे के दौरान कहा था कि नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई अंतिम चरण में है। वर्ष 2026 तक नक्सल समस्या का हल कर लिया जाएगा। मालूम हो कि अमित शाह ने नक्सल प्रभावित राज्यों की एक बैठक बुलाई थी, जिसमें नक्सली समस्या की समीक्षा की गई थी। उस बैठक में छत्तीसगढ़ के अलावा आंध्र प्रदेश, झारखंड, केरल, मध्यम प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव एवं डीजीपी तथा अर्द्धसैनिक बलों के शीर्ष अधिकारियों ने हिस्सा लिया था। उस बैठक में नक्सलियों के खिलाफ अभियान तेज करने के बारे में व्यापक रणनीति बनी थी। उसीके तहत सुरक्षाबलों ने नारायणपुर-दंतेवाड़ा में एक बड़ा ऑपरेशन चलाया था। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु साय ने भी ऑपरेशन के सफल होने पर सुरक्षाबलों को बधाई दी तथा कहा कि वर्ष 2026 तक नक्सलियों का सफाया हो जाएगा। ऐसी खबर है कि बरसात के बाद नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन और तेज किया जाएगा। छत्तीसगढ़ में मिली सफलता को देखते हुए केंद्रीय गृहमंत्री ने 7 अक्तूबर को नक्सल प्रभावित राज्यों के शीर्ष अधिकारियों की फिर बैठक बुलाई है, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी। केंद्र सरकार ने पहले से ही कहा है कि नक्सल समस्या देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है। देश के 38 जिले नक्सलियों की समस्या से त्रस्त है लेकिन सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ प्रभावित है क्योंकि वहां के 15 जिले नक्सलियों की चपेट में है। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा, सुकमा, नारायणपुर तथा बीजापुर में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ की घटनाएं घटती रहती हैं। इस आदिवासी क्षेत्र में विकास की प्रक्रिया काफी धीमी है। इसको लेकर नक्सली वहां रहने वाले आदिवासियों की भावनाओं को भड़का कर अपना स्वार्थ सिद्धि करते रहते हैं। केंद्र एवं राज्य सरकारों को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास की प्रक्रिया तेज करनी चाहिए ताकि लोगों का ध्यान आतंकवाद से हटकर अपने रोजमर्रा के काम में लग सके। सुरक्षाबलों के लिए सबसे बड़ी समस्या यह है कि नक्सली घटना को अंजाम देने के बाद दूसरे राज्यों की सीमा में चले जाते हैं। पहाड़ एवं जंगल होने के कारण सुरक्षाबलों को वहां पहुंचना मुश्किल हो जाता है। कुछ स्थानीय संगठन या लोग इन नक्सलियों के लिए जासूसी का काम करते हैं। जरूरत इस बात की है कि नक्सलियों के खिलाफ अभियान के लिए संबंधित राज्यों के बीच समन्वय होना जरूरी है। इसके साथ ही खुफिया सूचनाओं का आदान-प्रदान भी होना चाहिए। दंतेवाड़ा की घटना से नक्सलियों की निश्चित रूप से कमर टूटी है किंतु उनकी तरफ से जवाबी हमले भी किए जा सकते हैं। ऐसी स्थिति में सुरक्षाबलों को पूरी तैयारी के साथ आगे बढ़ना होगा। गृहमंत्री ने यह भी कहा था कि नक्सली या तो आत्मसमर्पण कर दें या कार्रवाई के लिए तैयार रहें। नक्सलियों को चीन सहित कुछ राष्ट्रविरोधी तत्वों से सहयोग एवं समर्थन मिलता रहा है। अब उनके पूरी तरह सफाए के लिए कार्य योजना बनाकर आगे बढ़ने की जरूरत है।