भारत पड़ोसी प्रथम की नीति पर काम कर रहा है। संकट के समय भारत सबसे पहले आगे बढ़कर पड़ोसियों की मदद करता है। लेकिन पड़ोसी देश समय आने पर भारत को ही धोखा देते हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण बांग्लादेश है। बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए भारत ने हरसंभव मदद की है। शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद प्रो. मोहम्मद यूनुस ने बागडोर संभाली है। उनके कार्यकाल में भारत विरोधी गतिविधियां तेज हो गई हैं। यूनुस सरकार पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आईएसआई तथा जमात-ए-इस्लामी संगठन के साथ मिलकर भारत विरोधी गतिविधियों को हवा दे रही है। हाल ही में अमरीका के न्यूयार्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन के दौरान बांग्लादेशी प्रधानमंत्री यूनुस ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के साथ भेंट कर फिर से सार्क को सक्रिय करने पर चर्चा की। आश्चर्य की बात यह है कि इस काम में नेपाल भी शामिल हो गया। यह सबको मालूम है कि बांग्लादेश के साथ-साथ नेपाल को भी भारत लगातार मदद करता रहा है। नेपाल में जब भी प्राकृृतिक आपदा आती है उस वक्त भारत ही बढ़चढ़ कर हिस्सा लेता है तथा मदद करता है। आवश्यक खाद्य सामग्री तथा दूसरी चीजों के लिए नेपाल पूरी तरह भारत पर आश्रित है। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि नेपाल हमेशा चीन की गोद में बैठने के लिए आतुर रहता है। चीन हमारे पड़ोसियों को कर्ज जाल में फंसाकर अपना हित साधने में लगा रहता है। लेकिन हमारे पड़ोसियों को चीन की दोस्ती ही अच्छी लगती है। डीजल, बिजली तथा दूसरी खाद्य सामग्रियों के लिए बांग्लादेश भारत पर निर्भर करता है। लेकिन आंख दिखाने में पीछे नहीं हटता। पाकिस्तान तो पहले से ही भारत के खिलाफ साजिश रचने में लगा रहता है। पाकिस्तान से आतंकियों की घुसपैठ कराया जाता है ताकि वे भारत में हिंसात्मक गतिविधियों को अंजाम दे सकें। भारत पाकिस्तान को अपने हिस्से का पानी भी देता रहा है। पाकिस्तान चीन के साथ मिलकर भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने में पीछे नहीं है। कश्मीर के मुद्दे को लेकर पाकिस्तान लगातार अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ जहर उगलता रहता है। म्यामां में सैनिक शासन है। अभी स्थिति यह है कि वहां कुछ हिस्सों पर सेना का नियंत्रण है, जबकि कुछ हिस्सों पर विद्रोही संगठनों का दबदबा है। म्यामां पूर्वोत्तर भारत के उग्रवादी संगठनों का अड्डा बना हुआ है। वहां से उग्रवादी संगठन पूर्वोत्तर क्षेत्र में अपनी गतिविधियां चलाते रहते हैं। म्यामां का सैनिक शासन भारत के मुकाबले चीन के ज्यादा नजदीक है। चीन म्यामां में अपनी उपस्थिति बढ़ाकर अपनी पैठ मजबूत करने में लगा हुआ है ताकि वह जरूरत पड़ने पर भारत के खिलाफ दबाव बढ़ा सके। श्रीलंका को भारत हमेशा मदद करता रहा है। लेकिन श्रीलंका की पिछली सरकारों ने चीन से भारी भरकम कर्ज लेकर श्रीलंका को दिवालिया बना दिया। उसका नतीजा यह हुआ कि श्रीलंका में जनता सड़कों पर उतर गई, जिसके कारण वहां के तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को देश छोड़ना पड़ा। बाद में रानिल बिक्रमसिंघे के नेतृत्व में नई सरकार का गठन हुआ। भारत ने उस वक्त श्रीलंका को काफी मदद की, जिस कारण श्रीलंका आर्थिक संकट से उबर सका। इसके बाद वहां हुए राष्ट्रपति चुनाव में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता अनुरा दिशानायके राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित हुए। अनुरा भारत के मुकाबले चीन के ज्यादा नजदीक माने जाते हैं। हालांकि राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने कहा कि श्रीलंका भारत और चीन के बीच समन्वय के साथ आगे बढ़ेगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि श्रीलंका को दिवालिया होने से भारत ने बचाया, जबकि चुनाव में जीत चीन समर्थक राष्ट्रपति की हुई। कुल मिलाकर भूटान ही एक ऐसा पड़ोसी है जो हमेशा से भारत के साथ रहा है। भारत को अपने पड़ोसियों के प्रति चल रही वर्तमान नीति पर समीक्षा करने का वक्त है। हम ऐसे पड़ोसी को क्यों मदद करें जो हमारे हितों को ध्यान में नहीं रखता।