हिजबुल्ला प्रमुख नसरल्लाह तथा हमास प्रमुख हानिया की मौत के बाद बौखलाया ईरान ने इजरायल पर मंगलवार को जोरदार हमला किया। ईरानी सेना ने इजरायल पर 180 मिसाइल दागे लेकिन इजरायल के डिफेंस सिस्टम आयरन डोम ने अधिकांश मिसाइलों को नष्ट कर दिया। ईरानी सेना ने इजरायल की राजधानी तेलअवीव स्थित मोसाद के मुख्यालय पर भी हमला किया। इस घटना के बाद इजरायल जवाबी कार्रवाई के लिए पूरी तरह तैयार है। इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने स्पष्ट कहा है कि हमारा देश इसका जवाब जरूर देगा। समय और स्थान इजरायल खुद तय करेगा। अमरीका भी ईरानी हमले के बाद पूरी तरह सक्रिय हो गया है। अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उपराष्ट्रपति कमला हैरिस तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति की समीक्षा की। बाइडेन ने अमरीकी सेना को स्पष्ट आदेश दिया है कि वह ईरान की तरफ से आ रहे मिसाइल तथा ड्रोनों को नष्ट कर दे। मालूम हो कि मध्यपूर्व के कई देशों में अमरीका का सैन्य अड्डा है जहां अमरीका के हजारों सैनिक तैनात हैं। अगर इजरायल हमला करता है तो निश्चित रूप से ईरान भी जवाब देगा। ऐसी स्थिति में युद्ध का दायरा बढ़ने से कोई नहीं रोक पाएगा। ईरान अपने दो मोहरे नसरल्लाह और हानिया के मारे जाने के बाद बौखलाया हुआ है। हिजबुल्ला और हमास को खड़ा करने में ईरान का बहुत बड़ा हाथ है। हमास की कमर टूट चुकी है, जबकि हिजबुल्ला के 20 से ज्यादा शीर्ष कमांडर इजरायली सेना के हमले में मारे जा चुके हैं। अब इजरायल लेबनान में घुसकर हिजबुल्ला के खिलाफ जमीनी ऑपरेशन चलाना शुरू कर दिया है। इससे हिजबुल्ला को भारी नुकसान पहुंच रहा है। पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के कारण गुटबंदी भी शुरू हो गई है। इजरायल के पक्ष में अमरीका, ब्रिटेन, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, जापान जैसे देश खुलकर सामने आ गए हैं। नाटो के देश भी इजरायल के समर्थन में है। ईरान के समर्थन में अभी तक कोई देश खुलकर सामने नहीं आया है। लेकिन ऐसा अनुमान है कि अगर लड़ाई आगे बढ़ी तो रूस, चीन सहित कुछ देश ईरान का साथ दे सकते हैं। अगर सैनिक क्षमता के बारे में देखा जाए तो ईरान की रैंकिंग 14वीं है, जबकि इजरायल की 17वीं है। ईरान के पास 11.80 लाख सैनिक हैं, जबकि इजरायल के पास 6.7 लाख फौज है। टैंक और युद्धक विमान की दृष्टि से इजरायल ईरान से काफी मजबूत है। मध्यपर्व के कुछ देश इस पूरे मामले में तटस्थ भूमिका अपनाए हुए हैं। इजरायल हिजबुल्ला को खत्म करने पर आमादा है। पिछले 7 अक्तूबर से ही इजरायल और हमास के बीच युद्ध चल रहा है। शुरूआत हमास ने की थी। हमास ने इजरायल पर हमला कर वहां के 1200 नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया था। उसके बाद इजरायल ने ऑपरेशन शुरू किया था, जिसके तहत हमास के लगभग सभी प्रमुख नेताओं को मौत के घाट उतार दिया गया। ऐसी खबर है कि इजरायल ईरान के परमाणु ठिकाने सहित तेल प्रतिष्ठानों को निशाना बनाएगा। अगर इजरायल ने तेल प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया तो इससे ईरान को बड़ी आर्थिक क्षति होगी। साथ में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी हो सकती है। ईरानी हमले के तत्काल बाद तेल की कीमतों में पांच प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है। एक तरफ जहां विश्व रूस-यूक्रेन युद्ध से त्रस्त है, वहीं पश्चिम एशिया में दूसरा मोर्चा खुलने से दुनिया आर्थिक तबाही के मोड़ पर पहुंच जाएगा। युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है। समस्या का हल तो बातचीत और कूटनीति से ही संभव हो पाएगा। ईरानी हमले के बाद अमरीका का सक्रिय होना स्वाभाविक है, क्योंकि उसका हित इजरायल के साथ जुड़ा हुआ है। पश्चिम एशिया और मध्यपूर्व के देशों को नियंत्रित करने के लिए अमरीका को इजरायल की जरूरत है। यही कारण है कि अमरीका हमेशा इजरायल की मदद के लिए तैयार रहता है।
इजरायल पर हमला
