पश्चिम एशिया में युद्ध का दायरा बढ़ता जा रहा है। इजरायल-हमास तथा इजरायल-हिजबुल्ला के बीच चल रहे युद्ध के बाद इसका दायरा सीरिया और यमन तक पहुंच गया है। जहां इजरायल हिजबुल्ला के खिलाफ जमीनी युद्ध के लिए तैयार है, वहीं अमरीका ने सीरिया तथा यमन में स्थित आतंकी संगठनों के ठिकानों पर हमला किया है। अमरीका तथा उसके सहयोगी देशों ने यमन स्थित हूति उग्रवादियों तथा सीरिया स्थित आईएस एवं अलकायदों के ठिकानों पर बमबारी की है। युद्ध के बढ़ते दायरे को देखते हुए कई देश चिंतित हैं। मालूम हो कि पिछले वर्ष 7 अक्तूबर को हमास ने इजरायल पर अचानक हमला किया था जिसमें 1200 इजरायलों की मौत हो गई थी तथा पांच हजार से ज्यादा लोग घायल हुए थे। हमास आतंकियों ने 240 इजरायलों को बंधन बना लिया था। अभी तक दर्जनों इजरायली हमास के कब्जे में हैं। उसके बाद इजरायल द्वारा शुरू की गई जवाबी कार्रवाई में अब तक 40 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है तथा 20 लाख लोग गाजा विस्थापित हुए हैं। जिस वक्त इजरायल और हमास के बीच युद्ध चल रहा था उस वक्त हिजबुल्लाह तथा हूति उग्रवादियों ने भी हमास के समर्थन में हमला किया था। हमास के निपटने के बाद अब इजरायल ने अपने हथियारों की दिशा लेबनान की तरफ मोड़ दी है। इजरायली सेना ने हिजबुल्ला के सरगना नसरल्लाह सहित उसके बीस से ज्यादा शीर्ष कमांडरों को मौत के घाट उतार दिया है। इजरायली सेना ने हिजबुल्ला के कई हथियारों के डिपो बर्बाद कर दिए हैं। इस घटना के बाद ईरान द्वारा इजरायल को लगातार धमकी दी जा रही है। संयुक्त राष्ट्र की महासंघ के अधिवेशन के दौरान इजरायली प्रधानमंत्री ने भी ईरान को करारा जवाब देने की धमकी दी है। ईरान को उस वक्त बड़ा धक्का लगा जब हमास के प्रमुख इस्मायल हानिया को तेहरान में ही बम विस्फोट से उड़ा दिया गया। हानिया ईरान के नए राष्ट्रपति मशूद पेजेशकियन के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए तेहरान में गए थे। ईरान को शक है कि इस बम विस्फोट के पीछे इजरायल का हाथ है। फिर एक अप्रैल 2024 को सीरिया में ईरानी दुतावात पर हमला किया गया, जिसमें ईरानी दूतावात के वरिष्ठ अधिकारी सहित कुल 11 लोगों की मौत हो गई। उस वक्त से ही दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है। हाल ही में पेजर रेडियो विस्फोट के बाद तो हिजबुल्ला संगठन में दहशत मच गई है। उसके बाद भी नसरल्लाह ने जवाबी कार्रवाई की धमकी दी थी। अमरीका ने हूति विद्रोहियों तथा सीरिया स्थिति आईएस एवं अलकायदा के विद्रोही ठिकानों पर हमला करके नया मोर्चा खोल दिया है। अमरीकी हमले में अलकायदा एवं आईएस के 37 से ज्यादा उग्रवादी मारे गए हैं। मध्य सीरिया में इन उग्रवादियों की मजबूत पैठ है। इसी तरह हूति उग्रवादी भी अमरीका तथा पश्चिमी देशों के लिए सिर दर्द बने हुए हैं। इजरायल-हमास युद्ध शुरू होने के बाद हूति विद्रोहियों ने हमास के समर्थन में लाल सागर में अपनी गतिविधियां बढ़ा दी है। लाल सागर से गुजरने वाले व्यापारिक जहाजों पर हमला करके हुती विद्रोही अपने कब्जे में ले रहे हैं ताकि दुनिया पर शर्त थोपा जा सके। भारत ने अपने जहाजों को सुरक्षा देने के लिए नौसेना के कई युद्धक जहाजों को लाल सागर में तैनात किया हुआ है। कई विदेशी जहाजों को भारतीय नौसेना ने कब्जे से छुराया है। दुनिया के अन्य कई देशों में इस युद्ध का प्रभाव पड़ रहा है। अगर तत्काल हस्तक्षेप नहीं हुआ तो पश्चिमी एशिया विश्व युद्ध की वजह बन सकता है।