बीते दिनों ओडिशा से एक परेशान करने वाली खबर आई। एक महिला ने आरोप लगाया कि राजधानी भुवनेश्वर के एक पुलिस थाने में उनके साथ यौन उत्पीड़न किया गया।  कथित घटना 14-15 सितंबर की दरमियानी रात को हुई। महिला कुछ युवकों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए भुवनेश्वर के भरतपुर पुलिस स्टेशन गई थी।  उनके साथ उनके मंगेतर भी थे, जो सेना में अधिकारी हैं। महिला ने मीडिया से कहा कि थाने में मेरी एफआईआर दर्ज नहीं की गई,बल्कि मेरे मंगेतर को कस्टडी में डाल दिया। विरोध करने पर दो महिला अफसरों ने मुझे पीटना शुरू कर दिया।  जैकेट से मेरे हाथ बांध दिए और एक स्कॉर्फ से पैर बांधकर मुझे कमरे में डाल दिया। पुलिस ने तब महिला को गिरफ्तार भी कर लिया था। महिला को 18 सितंबर को ओडिशा हाईकोर्ट से जमानत मिली। उसके बाद उन्होंने मीडिया के सामने आकर पुलिस पर यह आरोप लगाए। इस मामले में थाने के प्रभारी निरीक्षक समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है और उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है। मामले की न्यायिक जांच के आदेश भी दिए गए हैं। भरतपुर पुलिस स्टेशन की नई इमारत का उद्घाटन इसी साल मार्च में हुआ था, लेकिन उसमें सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए गए थे। मामले की जांच कर रही क्राइम ब्रांच ने कहा है कि कैमरे ना होने की वजह से सबूत जुटाने में दिक्कत आएगी। ओडिशा हाईकोर्ट ने भी थाने में सीसीटीवी कैमरे ना होने पर नाराजगी व्यक्त की और कहा कि इस वजह से सच्चाई सामने नहीं आ सकी।  हाईकोर्ट ने राज्य के सभी थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश भी दिया।  दरअसल,पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों का होना कानूनी रूप से जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2020 में इस संबंध में दिशा- निर्देश जारी किए थे। जस्टिस आरएफ नरीमन, केएम जोसेफ और अनिरुद्ध बोस की बेंच ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया था कि हर थाने में सीसीटीवी कैमरे लगे होने चाहिए। जानकारों के मुताबिक इस फैसले का उद्देश्य पुलिस हिरासत में होने वाली हिंसा पर लगाम लगाना था, जिससे फरियादियों और आरोपियों दोनों के मानवाधिकार सुरक्षित रहें। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के मुताबिक पूरे देश में साल 2018 से 2023 के बीच पुलिस हिरासत में हुई मौतों के संबंध में 650 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए। सबसे ज्यादा मामले गुजरात (81) और महाराष्ट्र (80) में दर्ज हुए। इसके अलावा एमपी में 50, यूपी में 41, पश्चिम बंगाल में 40 और  तमिलनाडु में 36 मामले सामने आए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अभी तक देश के सभी थानों में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हैं। ओडिशा का भरतपुर थाना इसका ताजा उदाहरण है। पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के डेटा के मुताबिक एक जनवरी, 2023 को देशभर में करीब 18 हजार पुलिस थाने थे, इनमे से करीब 15 हजार पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे थे और करीब तीन हजार थानों में नहीं थे। यानी देश के हर छठवें पुलिस थाने में सीसीटीवी रिकॉर्डिंग की व्यवस्था नहीं थी। वहीं, ओडिशा की बात करें तो एक जनवरी 2023 को वहां कुल 679 पुलिस थाने थे, जिनमें से 88 थानों में सीसीटीवी कैमरे नहीं थे। इसके अलावा अलग-अलग राज्यों की पुलिस के पास मौजूद सीसीटीवी कैमरों की संख्या में भी भारी अंतर है। डेटा के मुताबिक  एक जनवरी 2023 को देश भर में पुलिस के पास करीब साढ़े पांच लाख सीसीटीवी कैमरे थे, इनमें से करीब दो लाख 80 हजार कैमरे सिर्फ तेलंगाना पुलिस के पास थे, वहीं ओडिशा पुलिस के पास सिर्फ 780 सीसीटीवी कैमरे मौजूद थे। इसके अलावा असम, झारखंड, बिहार और उत्तराखंड आदि राज्यों में भी पुलिस के पास हजार से कम सीसीटीवी थे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक थानों में लगाए जाने वाले सीसीटीवी कैमरे चौबीसों घंटे चलने चाहिए, उनमें नाइट विजन और ऑडियो रिकॉर्डिंग की सुविधा होनी चाहिए। साथ ही कम से कम साल भर की फुटेज सुरक्षित रखने की क्षमता होनी चाहिए।