भारतीय सनातन परंपरा के हिन्दू धर्मग्रंथों में हर माह के विशिष्ट तिथि की खास पहचान है। हिन्दू धर्मग्रन्थों के अनुसार तिथियों का संबंध किसी न किसी देवी-देवताओं से जुड़ा है। तिथि विशेष पर पूजा-अर्चना करके सुख-समृद्धि की प्राप्ति की जाती है। आश्विन मास के कृष्णपक्ष की एकादशी तिथि इन्दिरा एकादशी नाम से जानी जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार जो इस इंदिरा एकादशी का व्रत करके व्रत का पुण्य अपने पितरों को समर्पित करता है उनके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है तथा
व्रतकर्ता को भी मृत्योपरांत मुक्ति मिलती है। प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि आश्विन मास के कृष्णपक्ष की एकादशी तिथि 27 सितंबर, शुक्रवार को दिन में 01 बजकर 21 मिनट पर लगेगी जो 28 सितंबर, शनिवार को दिन में 2 बजकर 51 मिनट तक रहेगी। आश्लेषा नक्षत्र 27 सितंबर, शुक्रवार को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 1 बजकर 21 मिनट से 28 सितंबर, शनिवार को अर्द्धरात्रि के पश्चात् 3 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। उदया तिथि के अनुसार 28 सितंबर, शनिवार को एकादशी तिथि का मान होने से इंदिरा एकादशी का व्रत इसी दिन रखा जाएगा। भगवान् श्रीहरि की पूजा का विधान : विमल जैन ने बताया कि व्रतकर्ता को संकल्प के साथ व्रत करना चाहिए। प्रातःकाल तिथि विशेष पर अपने दैनिक कृत्यों से निवृत्त हो स्वच्छ जल या गंगाजल से स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। श्रीगणेशजी का ध्यान करके अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गन्ध व कुश लेकर इंदिरा एकादशी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इंदिरा एकादशी के दिन विशेषकर भगवान श्रीविष्णुजी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। उनकी महिमा में श्रीविष्णु सहस्रनाम, श्रीपुरुषसूक्त तथा श्रीविष्णुजी से संबंधित मंत्र ‘ॐ श्रीविष्णवे नमः’ या ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जप अधिक से अधिक संख्या में करना चाहिए। संपूर्ण दिन निराहार रहकर व्रत सम्पन्न करना चाहिए।