प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन दिवसीय अमरीकी दौरा के दौरान भारत और अमरीका के बीच कई महत्वपूर्ण समझौते हुए, जिससे दोनों देशों के संबंधों में काफी प्रगाढ़ता आई है। राष्ट्रपति जो बाइडन तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच उनके गृह नगर विलमिंगटन में हुई द्विपक्षीय बैठक के दौरान एमक्यू-9 ड्रोन के बारे में महत्वपूर्ण समझौता हुआ है। यह ड्रोन सेना, नौसेना एवं वायु सेना के लिए गेम चेंजर साबित होगा। बैठक के दौरान भारत में सेमी केंडक्टर प्लांट लगाने पर भी सहमति बनी है। कोलकाता में सेमी कंडक्टर का प्लांट लगेगा, जहां से सेना के वाहनों के लिए चिप का इस्तेमाल होगा। रिसर्च एंड डेवलपमेंट तथा स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में भी दोनों देशों के बीच समझौते हुए हैं। कुल मिलाकर प्रधानमंत्री का अमरीका दौरा सफल कहा जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें अधिवेशन के संबोधन से पहले प्रधानमंत्री ने अमरीका के शीर्ष 15 कंपनियों के सीईओ के साथ बैठक की तथा भारत में पूंजी निवेश के लिए आमंत्रित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में पूंजी निवेश के लिए अनुकूल वातावरण है तथा सरकार सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाएगी। इस दौरान क्वाड के देशों के साथ भी बैठक हुई, जिसमें हिंद प्रशांत क्षेत्र में स्वतंत्र नौवहन सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने का निर्णय लिया गया। क्वाड के सदस्य देश संयुक्त रूप से गश्त की व्यवस्था करेंगे। क्वाड का यह निर्णय चीन के लिए एक कड़ा संदेश है जो अपने पड़ोसी देशों को धौंस दिखाकर दादागिरी करता रहा है। अमरीका में प्रवासी भारतीयों के साथ बैठक कर मोदी ने भारत में चल रहे विकास परियोजनाओं के बारे में बताया तथा उनको भारत में निवेश करने के लिए भी कहा। इस बार भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन में भविष्य की योजना पर आधारित बैठक में भारत के तरफ से किए जाने वाले योगदान के बारे में दुनिया के देशों को बताया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस बार संयुक्त राष्ट्र महासभा के सदस्य देशों को बताया कि अब भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता देने का वक्त आ गया है। भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है तथा भारत की अर्थव्यवस्था पांचवें नंबर पर है। इस बार अमरीका ने भी संयुक्त राष्ट्र के मंच से भारत को स्थायी सदस्यता देने के लिए हरसंभव प्रयास करने को कहा है। रूस पहले से ही भारत को स्थायी सदस्यता तथा वीटो पावर देने की वकालत कर रहा है। इस काम में सबसे बड़ी बाधा चीन है जो लगातार भारत के इस प्रयास में अड़ंगा लगा रहा है। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार होना चाहिए। भारत के इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र संघ के 158 देशों से समर्थन दिया है। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव तथा संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष ने भी संयुक्त राष्ट्र संघ के कानून में संशोधन कर भारत को वीटो के साथ स्थायी सदस्यता देने की बात कही है। संयुक्त राष्ट्र संघ के दोनों अधिकारियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर भारत को स्थायी सदस्यता नहीं मिली तो भारत सामानांतर संगठन खड़ा कर सकता है। मालूम हो कि भारत बहुत पहले से जापान, जर्मनी एवं ब्राजील के साथ मिलकर सुरक्षा परिषद का विस्तार करने तथा उपरोक्त चारों देशों को वीटो के साथ स्थायी सदस्यता देने की मांग करता रहा है। रूस भारत और ब्राजील का समर्थन तो करता है, किंतु जापान और जर्मनी का विरोध कर रहा है। इसी तरह अमरीका भारत, जापान और जर्मनी का समर्थन करता है, लेकिन वह ब्राजील का विरोध करता है। भारत एक ऐसा देश है जिसे चीन को छोड़कर बाकी सभी स्थायी देश समर्थन दे रहे हैं। चीन द्वारा वीटो लगाने के कारण भारत को सदस्यता नहीं मिल पा रही है। अमरीका भी भारत का समर्थन तो करता है किंतु वह संयुक्त राष्ट्र संघ के प्लेटफॉर्म पर ऐसी पहल नहीं करता जिससे भारत के लिए स्थायी सदस्यता का मार्ग प्रशस्त हो सके। इस बार अमरीका संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच से जो वायदा किया है उससे भारत के लोगों की आशा बढ़ी है। अमरीका भारत को रूस और चीन से दूर करने के लिए कारगर पहल कर सकता है। लेकिन अमरीका को भय है कि भारत को वीटो पावर मिलने से उसके हितों को नुकसान पहुंच सकता है। कुल मिलाकर देखा जाए तो मोदी की अमरीका यात्रा से दुनिया को कई महत्वपूर्ण संदेश गए हैं। भारत अपने को ग्लोबल साऊथ का नेता स्थापित करने में लगा हुआ है। संयुक्त राष्ट्र संघ की बैठक के अलावा भारत ने छह देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ अलग से बैठक की तथा द्विपक्षीय मामलों पर विचार-विमर्श किया। कुल मिलाकर भारत विश्व की उभरती शक्ति के रूप में दिख रहा है।
मोदी का अमरीका प्रवास
