विशिष्ट तिथियों पर किए जाने वाले व्रत उपवास से मनोकामना की पूर्ति तो होती ही है साथ ही सुख-सौभाग्य में अभिवृद्धि भी होती है। भगवती श्रीमहालक्ष्मीजी की प्रसन्नता के लिए रखा जाने वाला श्रीमहालक्ष्मी व्रत 24 सितंबर, मंगलवार को रखा जाएगा। ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन श्रीमहालक्ष्मी व्रत रखा जाता है। पुत्र के आरोग्य व दीर्घायु के लिए महिलाएं जीवित्पुत्रिका व्रत रखती हैं। जीवित्पुत्रिका का व्रत वे महिलाएं भी रखती हैं, जिनके पुत्र जीवित नहीं रहते या अल्पायु रहते हों। यह व्रत आश्विन कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी अष्टमी तिथि के दिन रखा जाता है। आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 सितंबर, मंगलवार को दिन में 12 बजकर 40 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन 25 सितंबर, बुधवार को दिन में 12 बजकर 11 मिनट तक रहेगी। चंद्रोदय व्यापिनी अष्टमी तिथि का मान 24 सितंबर, मंगलवार को होने के फलस्वरूप श्रीमहालक्ष्मी व्रत एवं जीवित्पुत्रिका (जिउतिया) व्रत इसी दिन रखा जाएगा। व्रत-पूजा का विधा : ज्योतिषविद् ने बताया कि व्रत के दिन प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर अपने समस्त दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करने के पश्चात् श्रीमहालक्ष्मी जी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। अपनी जीवनचर्या में पूर्ण शुचिता रखते हुए व्रत के प्रारंभ में अष्टमी तिथि के दिन निराजल रहकर अपनी परंपरा और मान्यता के अनुसार विधि-विधानपूर्वक लक्ष्मीजी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। दूसरे दिन नवमी तिथि के दिन व्रत का पारण किया जाता है। महालक्ष्मी जी के व्रत के पारण के पश्चात् ब्राह्मण को भोजन भी करवाकर दान-दक्षिणा देना चाहिए।
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