इंडिया आउट अभियान चलाने वाले मोहम्मद मुईज नवंबर 2023 में मालदीव के राष्ट्रपति चुने गए थे। इसके बाद दोनों देशों के बीच काफी तनाव आ गया। अब मुईजू के संभावित भारत दौरे से रिश्तों में सुधार आने की उम्मीद जताई जा रही है। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुईजू के सहयोगियों का कहना है कि वह राजनयिक यात्रा पर भारत जाने की तैयारी कर रहे हैं। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान उन्होंने इंडिया आउट अभियान चलाया था। इसके बाद भारत और मालदीव के रिश्तों में खटास बढ़ गई थी। अब मुईजू के संभावित भारत दौरे को दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्ते बेहतर करने की दिशा में बड़े कदम के तौर पर देखा जा रहा है।
मालदीव की राजधानी माले में राष्ट्रपति कार्यालय की मुख्य प्रवक्ता हीना वलीद ने पिछले हफ्ते कहा कि राष्ट्रपति बहुत जल्द भारत का दौरा करने वाले हैं। सर्वविदित है कि ऐसी यात्राएं दोनों देशों के नेताओं की सुविधा के हिसाब से तय की जाती हैं। इस बारे में बातचीत चल रही है। भारत और मालदीव के बीच पारंपरिक रूप से घनिष्ठ संबंध रहे हैं। हालांकि हाल के वर्षों में चीन, मालदीव में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। मुईजू चीन के साथ साझेदारी का आग्रह कर रहे हैं। इस साल अप्रैल में मुईजू की सरकार ने भारत को मालदीव में मौजूद अपनी सेना वापस बुलाने का आदेश दिया था। सेना की इस छोटी टुकड़ी को भारत की ओर से उपलब्ध कराए गए टोही विमानों को संचालित करने के लिए तैनात किया गया था। यह टुकड़ी हिंद महासागर पर नजर रखने का काम करती थी। इसके बाद मई में मालदीव ने चीन के साथ एक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किया। इसके अलावा मालदीव ने हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण पर भारत के साथ 2019 के समझौते को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया। साथ ही इस साल की शुरुआत में जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लक्षद्वीप के आसपास पर्यटन को बढ़ावा देने की बात कही थी तो मालदीव के उप-मंत्री प्रधानमंत्री मोदी के बारे में अपमानजनक बयान देते दिखे। इसके बाद बड़ी संख्या में भारतीय पर्यटकों ने मालदीव का बहिष्कार करने की अपील की, जो पर्यटन पर निर्भर अर्थव्यवस्था वाले देश मालदीव के लिए गंभीर खतरा है। इन तमाम घटनाक्रमों के बावजूद राष्ट्रपति मुईजू अपने देश को धमकाने के कथित प्रयासों की निंदा करते हुए उपेक्षा करते रहे। भारत-मालदीव के रिश्तों में आई खटास के बावजूद राष्ट्रपति मुईजू की भारत यात्रा एक नाटकीय बदलाव को चिह्नित कर सकती है और संबंधों को सुधारने की इच्छा का संकेत दे सकती है। मुईजू की सरकार ने इस बात की जांच की है कि भारत के साथ बेहतर संबंध होने पर उसे क्या लाभ हो सकता है, इसे नीतिगत उलटफेर कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन यह निश्चित रूप से भारत-मालदीव द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है। मालदीव अपनी विदेश नीति में शक्ति संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। इसका उद्देश्य भारत और चीन दोनों के साथ अपने संबंधों से लाभ उठाना है। लक्षद्वीप को आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देने के प्रधानमंत्री मोदी के प्रयास का मजाक उड़ाने वाले मुईजू के दो जूनियर मंत्रियों का इस्तीफा इस बात का संकेत है कि वे भारत के साथ बेहतर संबंध बनाए रखना चाहते हैं। हालांकि, जब तक उनके चीन समर्थक होने का पूर्वाग्रह बना रहेगा। ऐसा होने की संभावना काफी कम है।