नई दिल्लीः कई राज्यों में हुए उपचुनावों के परिणाम के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर सियासत तेज है। केंद्र सरकार के पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती के बाद राज्यों में अपने टैक्स में कमी का दबाव बढ़ा है। पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि से मांग और बिक्री पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) के आंकड़ों के मुताबिक, पेट्रोल और डीजल की मांग में अगस्त के मुकाबले सितंबर पर कुछ कमी आई थी। पर इसकी वजह कीमतों में इजाफे के बजाए बरसात थी। ज्यादा बरसात की वजह से यातायात काफी बड़े पैमाने पर प्रभावित हुआ था। अगस्त में 2693 हजार मीट्रिक टन पेट्रोल की बिक्री हुई थी। इस माह पेट्रोल की कीमतों में एक अगस्त से 31 अगस्त के बीच चालीस पैसे की कमी आई थी। सितबंर में पेट्रोल की मांग घटकर 2599 हजार मीट्रिक टन रह गई। इस माह पेट्रोल के दाम में पूरे माह में औसत तीस पैसे की वृद्धि हुई थी। अक्तूबर में पेट्रोल की मांग बढकर 2750 हजार मीट्रिक टन हो गई। यह पिछले तीन साल में एक माह के दौरान हुई सबसे बड़ी खपत है। जबकि इस माह यानी एक से 31 अक्तूबर के बीच पेट्रोल की कीमतों में 7.45 रुपए प्रति लीटर का इजाफा हुआ था। पेट्रोल के दाम 109.34 रुपए लीटर तक पहुंच गए थे। डीजल की मांग भी अगस्त के मुकाबले सितंबर में कुछ कम हुई। पर अक्तूबर में एक बार फिर बढ़ी है। अगस्त में डीजल 5605 हजार मीट्रिक टन की खपत हुई। जबकि इस माह कीमतों में लगभग एक रुपए की कमी आई थी। सितंबर में मांग 5514 हजार मीट्रिक टन रही और एक से 30 तारीख के बीच कीमत एक रुपए बढ़ी थी। पेट्रोल की तरह अक्तूबर में डीजल की मांग बढकर 6612 हजार मीट्रिक टन तक पहुंच गई।
100 रुपए के पार होने के बावजूद पेट्रोल की अक्तूबर में रिकार्ड बिक्री, मांग पर असर नहीं
