भूकंप को हमेशा एक विनाशकारी प्राकृतिक आपदा के तौर पर देखा जाता है। यह इमारतों को ढहाता है, जान-माल का नुकसान करता है और तबाही मचाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भूकंप सोना बनाने में भी अहम भूमिका निभाता है? यह सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन साइंस तो इसी बात की ओर इशारा कर रही है। भूकंप एक ऐसा शब्द है जो हमारे दिमाग में जबरदस्त तबाही का मंजर लाता है। लेकिन जरा सोचिए यही प्राकृतिक आपदा जमीन के अंदर सोना भी बनाती है। साइंटिस्ट्स ने पता लगाया है कि भूकंप क्वार्ट्ज को कैसे बड़े सोने के डले बनाने के लिए एक तरह से उकसाता है। दशकों से रिसर्चर्स यह रहस्य जानने की वजह से उलझन में थे, और आखिरकार उन्होंने इस रहस्य को सुलझा लिया है। सोने के डले जमीन के नीचे क्वार्ट्ज से होकर गुजरने वाली फ्रैक्चर लाइन के साथ बनते हैं। लेकिन इसकी वजह कभी पता नहीं चली थी।

क्वार्ट्ज में बनता है सोना : यह तो जगजाहिर है कि क्वार्ट्ज में सोना बनता है। फेल्डस्पार के बाद क्वार्ट्ज पृथ्वी के क्रस्ट में दूसरा सबसे ज्यादा पाया जाने वाला मिनरल है। लेकिन दूसरे तरह के गोल्ड रिजर्व के उलट क्वार्ट्ज में पाए जाने वाले सोने के डले अक्सर बड़े डलों में बदल जाते हैं। जियोलॉजिस्ट्स जिन्हें क्वार्ट्ज शिरा कहते हैं, ये डले उनके बीच में तैरते हैं। क्वार्ट्ज शिराएं दरअसल क्वार्ट्ज से समृद्ध चट्टानों में दरारें हैं जो समय-समय पर क्रस्ट के अंदर से आने वाले हाइड्रोथर्मल लिक्विड से भर जाती हैं।

जमीन में लगातार होता है सोने का निर्माण : ऑस्ट्रेलिया में मोनाश यूनिवर्सिटी के जियोलॉजिस्ट और नेचर जियोसाइंस जर्नल में पब्लिश्ड नई स्टडी के लीड ऑथर क्रिस वोइसी के मुताबिक, क्वार्ट्ज में सोना हर समय बनता है। उन्होंने बताया कि जो चीज अजीब है वह वास्तव में बहुत बड़ी सोने की डली का बनना है। किसी को नहीं पता था कि यह कैसे काम करता है। यह जानना था कि एक छोटी सी जगह में बड़ी मात्रा में सोना कैसे मिलता है। हाइड्रोथर्मल लिक्विड सोने के एटम्स को गहराई से ऊपर ले जाता है, और उन्हें क्वार्ट्ज शिराओं के जरिए बहाता है। इसका मतलब है कि सोने को सैद्धांतिक तौर पर सोने की डली में कंसंट्रेट होने के बजाय दरारों में बराबर फैल जाना चाहिए। स्टडी के अनुसार, ये सोने की डली मूल्यवान हैं और अब तक खनन किए गए सभी सोने का 75 फीसदी तक रिप्रेजेंट करती हैं। यहां है सोने की सबसे बड़ी डली : वोइसी के अनुसार, दो अलग-अलग सुरागों ने सोने की डली के रहस्य को सुलझाने में उनकी और उनके सहयोगियों की मदद की। पहला यह था कि सबसे बड़ी डली ऑरोजेनिक गोल्ड रिजर्व में होती है, जो भूकंप के दौरान बनने वाले रिजर्व होते हैं। दूसरा यह था कि क्वार्ट्ज एक पीजोइलेक्टि्रक मिनरल है, जिसका मतलब है कि यह जियोलॉजिकल स्ट्रेस, जैसे भूकंप से बने तनाव के जवाब में अपना खुद का इलेक्टि्रक चार्ज बनाता है। 

सोना और पीजोइलेक्टि्रक इफेक्ट : क्वार्ट्ज एक पीजोइलेक्टि्रक मैटेरियल है, जिसका मतलब है कि जब इस पर मैकेनिकल तनाव लगाया जाता है तो यह इलेक्टि्रक चार्ज पैदा कर सकता है। यह ऐसा गुण है जो इसे घडç¸यों और इलेक्ट्रॉनिक्स में काफी बेशकीमती बनाता है। बिजली भी लिक्विड में सोने के आयन्स को ठोस सोना बनाने के लिए इलेक्ट्रॉन पाने की वजह बन सकती है। पीजोइलेक्टि्रक इफेक्ट कुछ मैटेरियल के मैकेनिकल तनाव लगने पर इलेक्टि्रक चार्ज पैदा करने की काबिलियत है। यह एक रिवर्सिबल प्रोसेस है, जिसका मतलब है कि जो मैटेरियल सीधे पीजोइलेक्टि्रक इफेक्ट दिखाती है, वह रिवर्स पीजोइलेक्टि्रक इफेक्ट भी दिखाती है। पीजोइलेक्टि्रक इफेक्ट से निकली बिजली की चिंगारी क्वार्ट्ज सतह पर लिक्विड से सोने के एटम्स को निकालती है, जिससे आगे सोने के इकट्ठा होने के लिए अच्छी कंडीशन बनती है। जैसे-जैसे क्वार्ट्ज पर टेक्टोनिक हलचल से बार-बार दबाव डाला जाता है, समय के साथ यह महीन परत पहले सोने के क्रिस्टल का एक नेटवर्क बनाती है, और आखिर में एक बड़ा सोने का टुकड़ा बनाती है।