विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण व्रत है जो भगवान गणेश को समर्पित है। संकष्टी शब्द का अर्थ होता है संकट। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। संकष्टी चतुर्थी हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। हिंदू धर्म में संकष्टी शब्द के अनुसार, इस व्रत को करने से जीवन में आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं। इस दिन भगवान गणेश की पूजा विशेष रूप से की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और उनके जीवन में सुख-समृद्धि आती है। 

विघ्नराज संकष्टी का समय : पंचांग के अनुसार विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी शनिवार, सितंबर 21, 2024 को है। चतुर्थी तिथि के दौरान कोई चन्द्रोदय नहीं है। लेकिन, संकष्टी के दिन चन्द्रोदय - 08.29 पी एम का है। आपको ये भी बता दें कि चतुर्थी तिथि सितंबर 20, 2024 को रात 09.15 पी एम बजे से प्रारंभ हो गई और ये सितंबर 21, 2024 को शाम 06.13 पी एम बजे तक रहेगी। 

विघ्नराज संकष्टी व्रत पूजा विधि : अगर आप भी ये व्रत रखते हैं तो आप इसकी सही पूजा विधि भी जान लें। सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद आप साफ वस्त्र पहनें और फिर मंदिर में पूजा करने के लिए चले जाएं। आप अपने घर में गणेश जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करके पूजा कर सकते हैं। गणेश जी का विभिन्न प्रकार के फूलों और चंदन से श्रृंगार करें और फिर गणेश जी को धूप, दीप, नैवेद्य आदि चढ़ाकर उनकी पूजा करें। इस दिन गणेश जी की कथा सुनना बहुत शुभ माना जाता है। पूजा के दौरान उनके मंत्रों का जाप करें। मोदक या किसी अन्य मिठाई का भोग लगाएं और पूजा के बाद गरीबों को दान करें।  अगर आपने व्रत रखा है तो आप इस दिन गलती से भी लहसुन और प्याज का सेवन न करें और किसी भी प्रकार की हिंसा से भी बचें। यह व्रत मन को शांत और स्थिर बनाता है और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है। 

विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश का आशीर्वाद पाने का सुनहरा मौका होता है। इस दिन गणेश जी की पूजा करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।