दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने शराब घोटाले के मामले में सशर्त जमानत दे दी हैं। कोर्ट ने कहा है कि केजरीवाल न तो सरकारी कार्यालय जा सकेंगे और न सरकारी फाइलों पर हस्ताक्षर कर सकेंगे। कोर्ट के इस आदेश के बाद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। साथ में उन्होंने सरकारी निवास खाली करने की भी घोषणा की है। आप विधायक दल की बैठक में दिल्ली की मंत्री आतिशी को विधायक दल का नेता चुना गया है। आतिशी ने उप-राज्यपाल से भेंट कर सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया है। अरविंद केजरीवाल के इस पहल के बाद दिल्ली में फिर से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है, क्योंकि आम आदमी पार्टी अपने जनाधार को मजबूत करने के लिए पूरी तरह सक्रिय हो गई है। शराब घोटाले में गिरफ्तार दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तथा आप नेता संजय सिंह भी बाहर आ चुके हैं। अगले साल की शुरुआत में दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा को दिल्ली की सभी सात सीटों पर विजय हासिल हुई थी। उससे सबक लेते हुए आम आदमी पार्टी ने अपने जनाधार को मजबूत करने के लिए अभी से ही कमर कस रही है। अभी हरियाणा एवं जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का चुनाव हो रहा है। आप हरियाणा की सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इसके अलावा आप जम्मू-कश्मीर के सात विधानसभा सीटों पर भी अपना किस्मत आजमा रही है। फिलहाल केजरीवाल हरियाणा में चुनाव प्रचार के लिए अपना ध्यान केंद्रित करेंगे। दिल्ली एवं पंजाब में पहले से ही आप की सरकार है। आप चाहती है कि हरियाणा में भी उसकी मजबूत उपस्थिति दर्ज हो। फिलहाल हरियाणा में भाजपा तथा कांग्रेज के बीच सीधा मुकबला है। भाजपा और कांग्रेस को छोड़कर आप केवल ऐसी राजनीतिक पार्टी है जिसकी दो राज्यों में सरकार है। केजरीवाल शराब घोटाले में खराब हुई अपनी छवि को सुधारने में लगे हुए हैं। अन्ना आंदोलन के दौरान केजरीवाल की एक ईमानदार नेता के रूप में जो छवि बनी थी, पिछले 10 वर्षों के दौरान खत्म हो गई है। शराब घोटाले में शामिल होने के आरोप लगने के बाद वे अपनी छवि सुधारने में जुट गए हैं। दिल्ली के मतदाताओं का एक वर्ग जो मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी का इस्तेमाल कर रहा है, उस वर्ग को फिर से साधने के लिए केजरीवाल जुट गए हैं। भले ही मुख्यमंत्री के पद पर आतिशी रहें, किंतु फैसला तो केजरीवाल का ही चलेगा। दिल्ली में अपनी पकड़ मजबूत बनाने के साथ-साथ केजरीवाल की नजर राष्ट्रीय राजनीति पर भी है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की स्वीकार्यता नहीं होने को देखते हुए केजरीवाल विपक्ष का चेहरा बनना चाहते हैं। मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने के बाद देश में अपना वजूद दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। भारतीय जनता पार्टी भी लोकसभा चुनाव की तरह दिल्ली में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए पूरी कोशिश कर रही है। पिछले कुछ महीनों से भाजपा ने दिल्ली में आप के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। भाजपा केजरीवाल से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की मांग कर रही थी। केजरीवाल में पास इस्तीफा देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था। कांग्रेस भी दिल्ली में अपनी पुराने जमीन हासिल करने के लिए प्रयासरत है। लोकसभा चुनाव में अल्पसंख्यक मतदाताओं का समर्थन मिलने से कांग्रेस काफी उत्साहित है। अब देखना है कि दिल्ली का अगला विधानसभा चुनाव भाजपा और आप के बीच होगा या कांग्रेस भी महत्वपूर्ण भूमिका में होगी। अगर हरियाणा में आप को सफलता मिलती है तो उसका प्रभाव दिल्ली में निश्चित रूप से पड़ेगा।