1972 के बाद से कोई भी इंसान चांद पर नहीं गया है, लेकिन वहां बिजली बनाने की तैयारी शुरू हो रही है। ये बात भले ही आपको अटपटी लग रही हो। लेकिन जल्द ही हकीकत में बदलने वाली है। रूस चांद पर न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाने की योजना बना रहा है। इस प्रोजेक्ट में भारत और चीन भी शामिल हो सकते हैं। लूनर न्यूक्लियर पावर प्लांट का नेतृत्व रूस की सरकारी न्यूक्लियर पावर कंपनी रोसाटॉम कर रही है। रोसाटॉम के प्रमुख एलेक्सी लिकचेव ने बताया कि यह न्यूक्लियर प्लांट चांद पर एक मानवयुक्त बेस के लिए बिजली बनाएगा, जिसे 2036 तक स्थापित करने की योजना है। रूस का मकसद चांद पर एक छोटा न्यूक्लियर पावर प्लांट स्थापित करना है, जो लगभग आधा मेगावाट बिजली पैदा कर सकेगा। यह बिजली चांद पर बनाए जाने वाले बेस की जरूरतों को पूरा करेगी।

भारत और चीन दे सकते हैं रूस का साथ : इस प्रोजेक्ट में रूस को इंटरनेशनल सहयोग भी मिलने की संभावना नजर आ रही है। भारत और चीन इस प्रोजेक्ट में रुचि दिखा रहे हैं, खासकर भारत, जो 2040 तक चांद पर मानव मिशन भेजने और एक परमानेंट बेस स्थापित करने की योजना बना रहा है। यूरेशियन टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत और चीन, रूस के साथ मिलकर चांद पर न्यूक्लियर पावर प्लांट लगा सकते हैं। रूसी समाचार एजेंसी टास (भ््रस्स्) ने रोसाटॉम के चीफ एलेक्सी लिखाचेव के हवाले से कहा है कि भारत और चीन इस प्रोजेक्ट में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, भारत की तरफ से ऐसे कदम की पुष्टि नहीं की गई है।

ऑटोमेशन से बनेगा न्यूक्लियर पावर प्लांट : चांद पर बनने वाला न्यूक्लियर पावर प्लांट इंसानों की सीधी भागीदारी के बिना ऑटोमेशन के जरिए स्थापित किया जाएगा, जिससे चांद पर काम को ज्यादा प्रभावी बनाया जा सकेगा। रूस और चीन स्पेस एक्सप्लोरेशन में बहुत नजदीकी के साथ काम कर रहे हैं। 2021 में दोनों देशों ने इंटरनेशनल लूनर रिसर्च स्टेशन (ढ्ढरुक्रस्) नामक एक जॉइंट लूनर बेस बनाने के प्लान का ऐलान किया था।

स्पेस में बढ़ेगा रूस का दखल : रूस की यह पहल स्पेस में शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकती है, खासकर जब भारत और चीन जैसे देश एक साथ काम कर रहे हैं। यह सहयोग दोनों देशों के बीच की पारंपरिक दुश्मनी को कम कर सकता है और उन्हें एक साझा साइंटिफिक लक्ष्य की तरफ बढ़ने में मदद कर सकता है। इस तरह चांद पर न्यूक्लियर पावर प्लांट की स्थापना न केवल बिजली पैदा करने का नया दरवाजा खोलेगी, बल्कि यह अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और कंपटीशन के लिए भी एक महत्वपूर्ण उदाहरण बनेगी।