बांग्लादेश में आतंकियों और कट्टरपंथियों का बढ़ता वर्चस्व भारत के लिए खतरा बनता जा रहा है। शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश में विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) तथा जमात-ए-इस्लामी समर्थित अंतरिम सरकार बनी है, जिसका भारत के खिलाफ शुरू से ही नकारात्मक रुख रहा है। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में गठित अंतरिम सरकार भारत विरोधी कार्यों में जुटी हुई है। इस सरकार को चीन और पाकिस्तान का समर्थन मिल रहा है। सरकार गठन के बाद से ही बांग्लादेश के जेलों में बंद कई आतंकी एवं कट्टरपंथी नेता रिहा हो चुके हैं। स्थिति यहां तक पहुंच चुकी है कि कट्टरपंथियों ने जेल तोड़कर अपने कैदियों को छुड़वा लिया। हाल ही में बांग्लादेश की सरकार ने अलकायदा के बड़े नेता जसीमुद्दीन रहमानी को रिहा कर दिया है, जो कई गंभीर अपराधों में लिप्त है। जेल से छूटने के बाद रहमानी ने भारत के खिलाफ जहर उगलना शुरू कर दिया है। उसका कहना है कि हमलोग पाकिस्तान के साथ मिलकर कश्मीर को आजाद करवाएंगे तथा पंजाब, पूर्वोत्तर क्षेत्र तथा पश्चिम बंगाल को भारत से अलग करने के लिए मुहिम की शुरुआत करेंगे। उसने यहां तक कह दिया है कि सिलीगुड़ी के पास स्थित चिकेन नेक को चीन की मदद से छीन लिया जाएगा, ताकि भारत और पूर्वोत्तर का संपर्क टूट जाए। आश्चर्य की बात यह है कि यह सारा काम ऐसे व्यक्ति के शासन में हो रहा है जिसे शांति के लिए नोबल पुरस्कार मिला है। सबको मालूम है कि मोहम्मद यूनुस अमरीका का एजेंट है जो उसके इशारे पर ही काम करता है। यूनुस सरकार ने अपनी सेना के लिए चीन से हथियार खरीदने का निर्णय लिया है। चीन से पहले खरीदे गए हथियार अपनी गुणवत्ता को साबित करने में नाकाम साबित हुए हैं। पाकिस्तान में चीन के हथियारों का दबदबा है। बांग्लादेश के आतंकी खालिस्तानियों को भी समर्थन देने से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसी स्थिति में भारत को अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए गंभीरता से सोचना होगा। बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं पर पहले से ही अत्याचार हो रहे हैं। उनके घरों को जलाया जा रहा है। ऐसी खबर है कि बांग्लादेश की सरकार ने विभिन्न पदों पर कार्यरत हिंदू अधिकारियों की रिपोर्ट मांगी है। ऐसे निर्देश के बाद हिंदू अधिकारियों में भय का माहौल है। उनको लगता है कि कहीं उन्हें नौकरी से निकाल नहीं दिया जाए। अब भारत सरकार ने भी धीरे-धीरे बांग्लादेश की नकेल को कसना शुरू किया है। डीजल की आपूर्ति रोक दी गई है तथा बिजली की आपूर्ति भी रोकी जा सकती है। बांग्लादेश में बिजली आपूर्ति करने वाले अडानी ग्रुप का 800 करोड़ रुपए का बकाया है। डीजल और बिजली की आपूर्ति रुकने से वहां के उद्योग-धंधों पर खराब प्रभाव पड़ेगा। अभी से ही बांग्लादेश की टेक्सटाइल इंडस्ट्री डांवाडोल हो रही रही है, जो उनकी आमदनी का बहुत बड़ा स्रोत है। खाने-पीने की चीजों के लिए भी बांग्लादेश काफी हद तक भारत पर निर्भर है। अगर भारत ने इन चीजों की आपूर्ति रोक दी तो बांगलादेश की स्थिति पाकिस्तान जैसी हो जाएगी। मोहम्मद यूनुस सरकार को नियंत्रित करना बहुत जरूरी है। आश्चर्य की बात यह है कि भारत के खिलाफ कार्रवाई के लिए बांग्लादेश को चीन और अमरीका दोनों देशों से समर्थन मिल रहा है। मणिपुर में बढ़ती उग्रवादी गतिविधियों का तार भी बांग्लादेश से जुड़ा हुआ है। कुल मिलाकर भारत को बांग्लादेश की तरफ से मिल रही चुनौतियों से निपटने के लिए समय रहते कदम उठाना पड़ेगा।