पिछले लगभग डेढ़ वर्षों से हिंसाग्रस्त मणिपुर फिर से बेकाबू होता जा रहा है। पिछले शनिवार को कुकी उग्रवादियों द्वारा किये गए हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई तथा पांच अन्य घायल हो गए। उसके बाद मणिपुर के पूर्वी तथा पश्चिमी इंफाल में तनाव बढ़ गया है। कुकी उग्रवादियों द्वारा जिरीबाम में किये गए हमले के बाद ग्रामीण स्वयंसेवकों तथा पुलिस के बीच हुई झड़प में अब तक कुल छह लोग मारे जा चुके हैं। हथियारबंद कुकी उग्रवादियों तथा दूसरे पक्ष द्वारा की जा रही जवाबी कार्रवाई ने फिर से मणिपुर का माहौल बिगाड़ दिया है। अब तो मणिपुर राइफल के मुख्यालय पर भी हमले की कोशिश की गई है। सुरक्षा बलों द्वारा अभियान चलाकर तीन बंकरों को नष्ट किया गया। अभी मणिपुर की स्थिति तनावपूर्ण किंतु नियंत्रण में है, लेकिन चिंता की बात यह है कि अब सुरक्षा बलों को रॉकेट तथा ड्रोन से निपटने के लिए ड्रोन रोधी प्रणाली तैनात करना पड़ा है। इंफाल में ड्रोन द्वारा विस्फोटक गिराने की घटना के बाद सुरक्षा बलों को ऐसा कदम उठाना पड़ा है। 1 सितंबर को ड्रोन के जरिए विस्फोटक गिराने के बाद दो लोग मारे गए थे। इसके बाद भी अगले दिन इसी तरह की घटना हुई थी, जिसमें तीन लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। पिछले लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों ने मणिपुर को एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था। स्थिति अब यहां तक आ गई है कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को राज्यपाल से मुलाकात कर मणिपुर में शांति स्थापित करने के लिए केंद्र से अनुरोध करना पड़ा है। अपने पूरे दल-बल के साथ पहुंचे मुख्यमंत्री ने मणिपुर को संयुक्त कमान को सौंपने तथा निर्वाचित सरकार को पर्याप्त अधिकार देने की मांग की है। मुख्यमंत्री ने वर्ष 2008 के परिचालन निलंबन समझौते को रद्द करने की भी मांग की है। मालूम हो कि उस समझौते पर केंद्र, मणिपुर सरकार तथा कुकी नेशनल ऑर्गेनाइजेशन एवं यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट के नेताओं ने हस्ताक्षर किये थे। बांग्लादेश में विपक्षी बांग्लादेश नेशलिस्ट पार्टी एवं जमात-ए-इस्लामी समर्थित अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद बांग्लादेश में आतंकी गतिविधियों में तेजी आई है। पूर्वोत्तर के उग्रवादी संगठन जिनका बेस बांग्लादेश में है, वे अचानक सक्रिय हो गए हैं। ये उग्रवादी संगठन मणिपुर की अस्थिरता का फायदा उठाते हुए अपनी गतिविधियां बढ़ा रहे हैं। हाल ही में मणिपुर में कुकी उग्रवादियों की बढ़ी गतिविधियां इसका उदाहरण है। पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई, चीन तथा कट्टरपंथी संगठन मिलकर पूर्वोत्तर क्षेत्र को फिर से अशांत करने में लगे हुए हैं। कुछ विदेशी शक्तियां बांग्लादेश की तर्ज पर मणिपुर में गृह युद्ध जैसी स्थिति पैदा करना चाहती है। कुछ हद तक उनको सफलता भी मिली है। भारत के लिए यह गंभीर चिंता का विषय है। केंद्र को इस मामले में कारगर कदम उठाना चाहिए, ताकि स्थिति नियंत्रण से बाहर नहीं हो। पिछले वर्ष भी मणिपुर में इसी तरह अराजकता की स्थिति पैदा हुई थी। विपक्षी दलों द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर बार-बार आरोप लगाया जा रहा है कि वे मणिपुर के मामले में गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं। रॉकेट और ड्रोन का हो रहा इस्तेमाल भारत की आंतरिक सुरक्षा को सीधे चुनौती है, जिसकी रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाने की जरुरत है। उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
मणिपुर फिर बेकाबू
