नई दिल्ली : पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) अफगानिस्तान में छोटे जिहादी ग्रुप्स को सपोर्ट कर रही है। इन जिहादी ग्रुप्स की विचारधारा ज्यादा कट्टर है। इनका इस्तेमाल तालिबान को कमजोर करने के लिए किया जा रहा है। ये दावा फॉरेन पॉलिसी की एक रिपोर्ट के आधार पर किया गया है। न्यूज रिपोर्ट में एक डॉक्युमेंट के आधार पर कहा गया है, आईएसआई फंडेड इस्लामिक इनविटेशन अलायंस (आईआईए) को तालिबान की जीत सुनिश्चित करने के मकसद से 2020 की शुरुआत में बनाया गया था। अब इसका मकसद पूरे अफगानिस्तान में चरमपंथ को सशक्त बनाकर तालिबान को अस्थिर करना है। आईआईए एक साल से ज्यादा समय से अमेरिकी खुफिया विभाग के रडार पर भी है। न्यूज रिपोर्ट में कहा गया है कि आईआईए में करीब 4,500 लड़ाके हैं। इसके जरिए आईएसआई अफगानिस्तान में जिहाद आंदोलन को जीवित रखकर तालिबान पर अपना दबाव बनाकर रखना चाहती है। इसमें ये भी कहा गया है कि आईएसआई से मिलने वाली फंडिंग को आईआईए अपने मेंबर ग्रुप्स को दे रहा है। इससे आतंकी संगठन आईएस-के को बूस्ट मिल रहा है। मेंबर ग्रुप्स के किए हमलों की जिम्मेदारी लेकर आईएस-के को खुद को एक मजबूत संगठन के तौर पर दिखाने में मदद मिल रही है। आईआईए के उदय ने तालिबान में राजनीतिक परिदृश्य को और ज्यादा जटिल बना दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि तालिबान के भीतर पहले से ही मतभेद दिखाई दे रहे हैं।