प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ब्रुनेई और सिंगापुर की यात्रा रणनीतिक एवं आर्थिक दोनों ही दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण रही है। मोदी 3 सितंबर को दक्षिण-पूर्व एशियाई देश ब्रुनेई पहुंचे, जहां उनका शानदार स्वागत किया गया। अपनी एक्ट-ईस्ट पॉलिसी के तहत भारत आसियान देशों के साथ संबंध मजबूत करने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है। ब्रुनेई की भौगोलिक स्थिति भी भारत को उसके नजदीक लाने के लिए बाध्य कर रही है। यह सबको मालूम है कि एशिया में भारत और चीन के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। चीन भारत को घेरने के लिए हमारे पड़ोसी देशों को कर्जजाल में फंसाकर अपना मकसद पूरा करने में लगा हुआ है। पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल एवं मालदीव का उदाहरण सामने है। ब्रुनेई दक्षिण चीन सागर के तट पर बसा लगभग पांच लाख की आबादी वाला छोटा-सा देश है, किंतु उसकी रणनीतिक अहमियत है। आर्थिक दृष्टिकोण से ब्रुनेई काफी समृद्ध है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा ब्रुनेई के सुल्तान हाजी हसमल बोलकिया के बीच हुई बैठक में द्विपक्षीय मामलों पर विस्तार से चर्चा हुई। बैठक में ब्रुनेई की राजधानी बांदर सेगी बेगावान तथा चेन्नई के बीच सीधी विमान सेवा शुरू करने सहित रक्षा, व्यापार एवं निवेश, खाद्य सुरक्षा, क्षमता निर्माण एवं संस्कृृति के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के मामले में कई समझौते पर हस्ताक्षर किये गए। जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद के मुद्दे पर भी दोनों देशों के समान दृष्टिकोण हैं। दोनों देशों के लोगों के बीच संबंध बढ़ाने के विषय में भी विस्तार से चर्चा हुई। मोदी की यात्रा के बाद अचानक ब्रुनेई चर्चा में आ गया है। सेटेलाइट और लांचिंग वाहनों के लिए टेलीमैट्री ट्रैकिंग तथा टेलीकमान स्टेशन के संचालन में भारत ब्रुनेई की मदद करेगा। अपने शानो-शौकत के लिए मशहूर ब्रुनेई के सुल्तान ने मोदी का शानदार स्वागत किया। ब्रुनेई के ऐतिहासिक मस्जिद से अपनी यात्रा शुरू कर मोदी ने भारत और दुनिया के अन्य देशों को शांति एवं सद्भावना का संदेश दिया। चीन और ब्रुनेई का दक्षिण चीन सागर को लेकर विवाद चल रहा है। भारत ने अपने हिंद-प्रशांत नीति के तहत दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में नौवहन की स्वतंत्रता बनाए रखने पर जोर दिया है। भारत का कहना है कि इस मामले में अंतर्राष्ट्रीय नियम का पालन होना चाहिए। दोनों देशों का यह बयान चीन के लिए एक बड़ा झटका है। ब्रुनेई के बाद प्रधानमंत्री मोदी 4 सितंबर को सिंगापुर पहुंचे। व्यापार के क्षेत्र में सिंगापुर काफी आगे निकल चुका है। सिंगापुर में दुनिया के सात से दस प्रतिशत तक सेमीकंडक्टर का निर्माण होता है। इसी तरह ताइवान में 37 से 40 प्रतिशत तक सेमीकंडक्टर बनता है। वाहनों के निर्माण में सेमीकंडक्टर अनिवार्य है। भारत सेमीकंडक्टर के उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना चाहता है। सिंगापुर में प्रधानमंत्री ने वहां के उद्योगपतियों से भारत में निवेश करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि स्किल डेवलपमेंट, हेल्थकेयर, डिजिटल टेक्नोलॉजी एवं सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में सिंगापुर के उद्यमी निवेश कर सकते हैं। भारत ने स्टार्टअप के क्षेत्र में भी काफी प्रगति की है। अंतरिक्ष को भी अब प्राईवेट निवेशकों के लिए खोल दिया गया है। उन्होंने कहा कि भारत में राजनीतिक स्थिरता है तथा पारदर्शी तरीके के साथ काम हो रहा है। सिंगापुर भी आसियान संगठन का मजबूत देश है। भारत ने अपने स्वतंत्रता दिवस समारोह में आसियान के सभी दस देशों को आमंत्रित किया था। ब्रुनेई और सिंगापुर से बढ़ता द्विपक्षीय संबंध भारत की बढ़ती लोकप्रियता एवं स्वीकार्यता को दर्शाता है। इससे पहले मलेशिया के प्रधानमंत्री ने भारत का दौरा किया था। दोनों देशों के बीच कई समझौते हुए थे। मलेशिया भी चीन की विस्तारवादी नीति से त्रस्त है। दोनों देशों के बीच पहले से ही मजबूत व्यापारिक संबंध है। रणनीतिक दृष्टिकोण से मलेशिया भी दक्षिण एवं पूर्वी चीन सागर के किनारे बसा देश है। जरुरत पड़ने पर मलेशिया को भी चीन के खिलाफ लाया जा सकता है, क्योंकि लगभग सभी आसियान देश चीन की आक्रामकता से परेशान है।