पिछले लोकसभा चुनाव में संतोषजनक प्रदर्शन नहीं होने तथा पार्टी के भीतर एवं बाहर से मिल रही चुनौती को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने संगठन को और मजबूत करने का निर्णय लिया है। इसी पहल के तहत भाजपा ने 2 सितंबर से अपना सदस्यता अभियान शुरू किया है। पहले ही भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है। अब भाजपा ने दस करोड़ और लोगों को पार्टी के साथ जोड़ने का बड़ा निर्णय लिया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार इस बार देश के 50 लाख मुसलमानों को भी भाजपा से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। सदस्यता अभियान की शुरुआत के लिए नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया। अभियान की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह कार्यक्रम एक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि हमारे परिवार का विस्तार है। यह सदस्यता अभियान एक वैचारिक और भावनात्मक आंदोलन है। पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र के लिए लोकतांत्रिक मूल्यों को महत्व देना जरूरी है। भाजपा एक ऐसी पार्टी है जो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए संगठन का विस्तार कर रही है। इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने नेताओं एवं कार्यकर्ताओं से कहा कि भाजपा बड़ी पार्टी होने के साथ-साथ विश्वसनीय भी है। हमलोग समाज और देश को बनाने के लिए राजनीति करते हैं। सर्वप्रथम भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रधानमंत्री की सदस्यता का नवीकरण कर उनको सदस्यता प्रदान की। इसके बाद से ही पूरे देश में सदस्यता अभियान की शुरुआत हो गई है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपने नेताओं से कहा कि वे सदस्यता अभियान के माध्यम से हर व्यक्ति और हर वर्ग तक पहुंचने की कोशिश करें। उन्होंने आगे कहा कि सदस्यता अभियान राष्ट्र प्रथम की भावना, जनसेवा के संकल्प, अंत्योदय के प्रण और विकसित भारत - आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के साथ शुरू होना चाहिए। इससे प्रधानमंत्री के नारा सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास एवं सबका विश्वास को सही रूप में जमीन पर उतारा जा सकेगा। असम में भी प्रदेश अध्यक्ष भवेश कलिता ने मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा को सदस्यता के नवीकरण प्रमाण-पत्र देकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। धुबड़ी से सदिया तक राज्य के सभी जिलों में सदस्यता अभियान शुरू हो चुका है। असम में 50 लाख लोगों को पार्टी से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। नए लोगों को मिस कॉल, क्यूआर कोड, नमो एप तथा वेबसाइट-बीजेपी.ओआरजी के माध्यम से जोड़ा जा सकता है। लोकसभा चुनाव में जिस तरह दूसरे दलों से आए नेताओं को टिकट देने में तरजीह दी गई, उससे भाजपा तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक वर्ग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से नाराज बताया जाता है। चुनाव जीतने के लिए भाजपा ने अजित पवार, मधु कोड़ा, अशोक चव्हाण जैसे दूसरी पार्टी से आए भ्रष्ट नेताओं को तरजीह दी उससे पार्टी के कार्यकर्ताओं में नाराजगी स्वाभाविक है। पिछले लोकसभा चुनाव में ऐसे कई नेताओं को टिकट नहीं मिली जिन्होंने अपने खून-पसीने से पार्टी को सींचा है। उत्तर प्रदेश में भाजपा की करारी हार के लिए पार्टी की नीति को ही जिम्मेवार ठहराया जा रहा है, जिसके तहत बाहर से आए नेताओं को तरजीह मिली थी। इसको लेकर पार्टी में नाराजगी देखी जा रही है। लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा ने अपनी गलतियों को सुधारने के लिए कई कदम उठाए हैं। नाराज भाजपा कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए राज्यसभा चुनाव में पुराने नेताओं को महत्व दिया गया है। भाजपा सदस्यता अभियान के माध्यम से जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं तक पहुंचने का प्रयास करेगी। साथ ही मोदी सरकार के कार्यकलापों से जनता को अवगत कराएगी। पहली बार पार्टी मुसलमानों तक पहुंच बढ़ाने के लिए कोशिश कर रही है। विपक्षी दलों के बढ़ते प्रभाव को कम करने में भी सदस्यता अभियान मदद करेगा।