असम विधानसभा का मानसून सत्र काफी हंगामेदार रहा। पूरे सत्र में मियां-मुसलमान का मुद्दा छाया रहा। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री हिमंत विश्वशर्मा तथा विपक्षी सदस्यों के बीच काफी नोकझोंक हुई। सदन में असमिया और गैर-असमिया का मुद्दा जरूर उठा, किंतु उतनी प्रमुखता नहीं मिली जितनी उठनी चाहिए थी। सदन में मौजूद हिंदीभाषी मंत्री या विधायकों ने ऊपरी असम में हिंदीभाषी विशेष रूप से मारवाड़ी समाज के लोगों के साथ जो कुछ हो रहा है, उसको नहीं उठाया। इसको लेकर मारवाड़ी समाज में काफी गुस्सा है। मानसून सत्र की सबसे बड़ी कामयाबी असम मुस्लिम विवाह, तलाक पंजीयन विधेयक का पारित होना है। पहले मुस्लिम समुदाय में होने वाली शादी का पंजीकरण काजी करते थे, लेकिन नए कानून के बनने के बाद अब पंजीकरण का काम सरकारी अधिकारी करेंगे। इससे बाल-विवाह पर अंकुश लगाने में सहायता मिलेगी। असम सरकार ने शादी के लिए लड़के की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष तथा लड़कियों की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष निर्धारित की है। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि वर्ष 2026 तक राज्य में बाल-विवाह पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने ये भी कहा है कि अप्रैल 2025 से बहुविवाह पर रोक के लिए भी कानून बनाया जाएगा। बहुविवाह भी ज्यादातर मुस्लिम समाज में होता है। वर्तमान सत्र का दूसरा सबसे बड़ा निर्णय मंदिरों, नामघरों एवं पारंपरिक स्थलों को बचाने को लेकर किया गया। सरकार ने असम भूमि और राजस्व विनियमन विधेयक पारित किया। इसके कानून बनने से माजुली, श्रीमंत शंकरदेव की जन्मभूमि बटद्रवा थान तथा बरपेटा सत्र जैसे ऐतिहासिक स्थलों को घुसपैठियों से बचाने में मदद मिलेगी। ज्ञातव्य है कि राज्य के कई मंदिरों, नामघरों तथा ऐतिहासिक स्थलों के आसपास बड़ी संख्या में घुसपैठिये बस गए हैं। राज्य सरकार ने इस तरह के घुसपैठ को रोकने के लिए कानून बनाया है। यह कानून उन मंदिरों, नामघरों तथा ऐतिहासिक स्थलों पर लागू होगा जो ढाई सौ साल या उससे भी पुराने हैं। बटद्रवा थान को घुसपैठियों से मुक्त कराने के पहले से ही मांग की जा रही है। सदन के सत्र की शुरुआत मियां-मुसलमान मामले को लेकर हुई तथा समापन विधानसभा में शुक्रवार को नमाज के लिए होने वाले दो घंटे की छुट्टी की समाप्ति के साथ हुई। मुख्यमंत्री का कहना था कि यह फैसला विधानसभा का है, सरकार का नहीं। असम में वर्ष 1937 से ही प्रत्येक शुक्रवार को नमाज के लिए दो घंटे की छुट्टी होती थी ताकि विधायक नमाज अता कर सके। इस मुद्दे पर राष्ट्रव्यापी प्रतिक्रियाएं भी आई हैं। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल सहित कुछ अन्य पार्टियों ने सदन के फैसले का विरोध किया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भाजपा की सहयोगी पार्टी जनता दल (यू) ने भी इसका विरोध किया है। कुल मिलाकर विधानसभा का वर्तमान सत्र कुछ ठोस निर्णय के साथ समाप्त हुआ।