राज्यसभा के 12 सीटों के लिए अधिसूचना जारी हो चुकी है। 27 अगस्त तक नाम वापस लेने की तिथि चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित की गई थी। लेकिन 12 में से 11 सीटों पर निर्विरोध चुनाव हो चुका है क्योंकि त्रिपुरा छोड़ बाकी सीटों पर केवल एक-एक उम्मीदवार ही मैदान में रह गए थे। अब केवल त्रिपुरा की एकमात्र सीट पर भी तीन सितंबर को मतदान होगा। त्रिपुरा सीट पर भाजपा का पलड़ा भारी है क्योंकि 60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के पास 33 विधायक हैं। टिपरा मोथा तथा आईपीएफटी एनडीए के साथ हैं, जिनके पास क्रमशः 13 और एक विधायक हैं। माकपा के उम्मीदवार सुधान दास हैं, जिनकी पार्टी के पास केवल 10 विधायक हैं। ऐसी स्थिति में भाजपा उम्मीदवार राजीव भट्टाचार्य की जीत निश्चित है। आगामी लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के कारण राज्यसभा की 10 सीटें रिक्त हो गई थी, जबकि दो सांसदों के इस्तीफे के कारण और दो सीटें खाली हो गई थी। पहले के आकंड़ें के अनुसार कुल 12 सीटों में से भाजपा के पास 7, कांग्रेस के पास 2 तथा राष्ट्रीय जनता दल, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) तथा बीजू जनता दल एक-एक सांसद थे। चुनाव के बाद भाजपा के पास अब 8 सांसद हो गए हैं। अगर त्रिपुरा को भाजपा के पक्ष में मान लिया जाए तो कुल 9 सांसद हो जाएंगे। असम से राज्यसभा के दो सीटों के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री रामेश्वर तेली तथा मिशन रंजन दास निर्वाचित हुए हैं। ये सीटें केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल तथा कामाख्या प्रसाद तासा के लोकसभा चुनाव जीतने के कारण खाली हुई थी। बिहार से पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा तथा सुप्रीम कोर्ट के वकील मनन कुमार मिश्रा निर्वाचित हुए हैं। इसी तरह महाराष्ट्र से एनसीपी के नितिन पाटिल तथा भाजपा के धैर्यशील पाटिल निर्वाचित हुए हैं। मध्य प्रदेश से केंद्रीय मंत्री जार्ज कुरीयन, राजस्थान से केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू तथा हरियाणा से किरण चौधरी भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज किए हैं। ओडिशा के एक मात्र सीट से बीजू जनता दल से आए भाजपा उम्मीदवार ममता मोहंता निर्वाचित हुई हैं। 245 सदस्यीय राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर के चार स्थानों तथा मनोनीत होने वाले चार उम्मीदवारों का स्थान रिक्त है। ऐसी स्थिति में मौजूदा 237 सदस्यीय राज्यसभा में बहुमत के लिए 119 सदस्य की जरूरत होगी। मंगलवार तक राज्यसभा में 6 मनोनीत तथा एक निर्दलीय सांसद को लेकर भाजपा के पास कुल संख्या 118 हो गई है। अगर त्रिपुरा को भी मिला दें तो कुल संख्या 119 तक पहुंच जाएगी, जो बहुमत का आंकड़ा होगा। बहुमत होने के बाद भाजपा राज्यसभा में मजबूत हो जाएगी। अभी तक राज्यसभा में भाजपा के पास बहुमत नहीं था। इस कारण कई मौके पर महत्वपूर्ण विधायकों को पारित कराने के लिए पार्टी को दूसरे समान विचारवाले दलों के साथ ताल-मिल करना पड़ता था। आगे नरेंद्र मोदी सरकार वक्फ संशोधन विधायक, समान नागरिक संहिता विधायक लाने की तैयारी कर रही है। ऐसी स्थिति में लोकसभा के साथ-साथ राज्यसभा में भी मजबूत होना जरूरी है। अब मोदी सरकार अपनी पार्टी के एजेंडों को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण विधायकों को सांसद में पेश कर सकती है। राज्यसभा में पार्टी की सांसदों की संख्या बढ़ने से कार्यकर्ताओं का मनोबल भी बढ़ेगा तथा सरकार की स्थिरता को और बल मिलेगा। मालूम हो कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। अकेले भाजपा के पास 543 सदस्यीय लोकसभा में 240 सांसद हैं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को लेकर यह संख्या 292 तक पहुंच जाती हैं, जो बहुमत से 20 ज्यादा हैं। अब राज्यसभा चुनाव के बाद विधानसभा के लिए उपचुनाव होने वाले हैं। बहुत से विधायक लोकसभा का चुनाव जीतकर सांसद बन चुके हैं। रिक्त हुए इन सीटों पर मतदान होगा। यह चुनाव भी भाजपा के लिए प्रतिष्ठा प्रश्न होगा।
एनडीए को राज्यसभा में बहुमत
