रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे भीषण जंग के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यूक्रेन यात्रा से शांति की उम्मीद जगी है। यह तभी संभव है जब दोनों ही पक्ष दिल से शांति वार्ता के लिए तैयार हों। प्रधानमंत्री मोदी सर्वप्रथम जुलाई में रूस की यात्रा पर गए थे। वहां उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के साथ कई दौर की बातचीत की थी। द्विपक्षीय मुद्दों के साथ-साथ यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध पर भी चर्चा हुई थी। मोदी ने पुतिन से स्पष्ट रूप से कहा था कि यह युद्ध का समय नहीं है। किसी भी समस्या का हल बातचीत तथा कूटनीति से किया जाना चाहिए। दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत के सभी पहलुओं को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। मोदी की रूस यात्रा को लेकर अमरीका तथा पश्चिमी देशों द्वारा आलोचना की गई थी। मास्को यात्रा के लगभग डेढ़ महीने बाद 23 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंचे। यूक्रेन बनने के बाद पहली बार कोई भारतीय प्रधानमंत्री यूक्रेन पहुंचा था। ट्रेन से 10 घंटे की यात्रा पूरी कर प्रधानमंत्री केवल 7 घंटे यूक्रेन में रहे तथा उन्होंने राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। मोदी ने यूक्रेन की धरती से स्पष्ट कहा कि भारत केवल शांति के पक्ष में है। अगर दोनों पक्ष चाहें तो भारत इस मामले में भूमिका निभाने को तैयार है। अमरीका नहीं चाहता है कि यह युद्ध बंद हो, क्योंकि अमरीकी कंपनियों के हथियारों की धड़ल्ले से बिक्री हो रही है। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध से यूक्रेन काफी हद तक तबाह हो चुका है, लेकिन वह अमरीका और नाटो देशों की मदद से अभी तक युद्ध के मैदान में टिका हुआ है। हाल के दिनों में अमरीकी सहायता के बल पर यूक्रेन ने रूस में काफी तबाही मचाई है एवं रूस के कुर्स्क के कुछ क्षेत्रों पर कब्जा भी कर लिया है। यूक्रेन के इस कदम के बाद दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। ऐसी खबर है कि रूस अब परमाणु हमले के लिए युद्धाभ्यास शुरू कर दिया है। अगर परमाणु युद्ध शुरू हुआ तो दुनिया तबाह हो जाएगी। एक तरफ से परमाणु हमला शुरू होने पर दूसरा पक्ष भी जवाबी कार्रवाई करेगा। परमाणु हमले को देखते हुए पूरे यूरोप में भय का माहौल है, क्योंकि युद्ध के कारण पहले ही महंगाई चरम पर पहुंच गई है तथा अर्थ-व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। लेकिन अमरीका सहित कुछ शक्तियां अपने निहित स्वार्थ के लिए दुनिया को विनाश की ओर धकेलने से परहेज नहीं कर रही है। मोदी की यूक्रेन यात्रा के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ ने युद्ध समाप्त होने की उम्मीद जताई है। मोदी की यात्रा के तुरंत बाद अमरीका द्वारा यूक्रेन को 125 बिलियन डॉलर की सैन्य सहायता देने की घोषणा ने आग में घी डालने का काम किया है। इस युद्ध को लेकर दुनिया अभी दो धड़ों में बंटी हुई है। जहां यूक्रेन के साथ अमरीका और नाटो के सभी देश खड़े हैं, वहीं दूसरी ओर रूस के साथ चीन, उत्तर कोरिया, ईरान जैसे देश हैं। भारत इस पूरे मामले में तटस्थ रहा है, लेकिन रूस पर लगाये गए प्रतिबंध का कभी समर्थन नहीं किया है। रूस भारत का सच्चा दोस्त है, जिसने हर संकट के समय भारत का साथ दिया है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध पहले से ही बहुत मजबूत हैं। रूस भारत पर बहुत विश्वास करता है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शांति के लिए की जा रही पहल पर दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। भारत एक ऐसा देश है, जो पूरे मामले में निरपेक्ष है। दोनों ही पक्ष भारत की बात सुनेंगे। यह तभी संभव है जब दोनों पक्षों द्वारा ईमानदारी से पहल हो। अमरीका तथा कुछ पश्चिमी देशों को मानवता के हित में इस युद्ध को बंद कराने की दिशा में सकारात्मक सोच के साथ काम करना चाहिए। युद्ध किसी समस्या का हल नहीं हो सकता है।