चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर एवं हरियाणा में विधानसभा चुनाव का शंखनाद कर दिया है। जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में मतदान होगा, जबकि हरियाणा में केवल एक चरण में ही मतदान होगा। सुरक्षा की दृष्टिकोण से जम्मू-कश्मीर में 18, 24 सितंबर तथा एक अक्तूबर को वोटिंग होगी। चार अक्तूबर को चुनाव परिणाम घोषित किए जाएंगे। जम्मू-कश्मीर में पिछला विधानसभा चुनाव नवंबर-दिसंबर 2014 में पांच चरणों में हुआ था। पांच अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 तथा 35-ए को हटाकर विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया गया था। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख बना दिया गया था। उसके बाद से ही जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन चल रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने के लिए सितंबर 2024 तक का समय दिया था। पहली बार जम्मू-कश्मीर में 90 सीटों के लिए चुनाव होने जा रहा है। पहले वहां 87 विधानसभा क्षेत्र थे किंतु परिसीमन के बाद इनकी संख्या में तीन और बढ़ोत्तरी हो गई है। इसी तरह 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा का चुनाव भी काफी महत्वपूर्ण हो गया है। पिछले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी तथा कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला हुआ था। कुल 10 सीटों में से दोनों पार्टियों के हिस्से में पांच-पांच सीटें मिली थी। जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के साथ-साथ महाराष्ट्र विधानसभा का भी चुनाव होना था। किंतु सुरक्षा बलों के कमी के कारण ऐसा नहीं हो पाया है। झारखंड और दिल्ली का चुनाव भी अगले साल फरवरी-मार्च में होना है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए लोगों में विशेष उत्सुकता है क्योंकि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद वहां चुनाव होने जा रहा हैं। इस चुनाव पर देश-विदेश की नजर लगी हुई हैं। भारतीय जनता पार्टी जम्मू-कश्मीर में बहुमत हासिल करने के लिए पूरा जोर लगा रही है, जबकि कांग्रेस तथा नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन तैयारी करने में है ताकि भाजपा को रोका जा सके। अगर इस चुनाव में भारी मतदान होता है तो इसका यह संदेश जाएगा कि वहां की जनता बदलाव के पक्ष में हैं। इसी तरह हरियाणा विधानसभा चुनाव भी भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ है। कांग्रेस हरियाणा में बहुमत लेकर भाजपा के समक्ष चुनौती पेश करना चाहेगा किंतु उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती आम आदमी पार्टी होगी। आप के चुनाव में उतरने से भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए चुनौती बढ़ेगी। पंजाब और दिल्ली में मिली सफलता से उत्साहित आप की हरियाणा के 27 सीटों पर नजर है, जहां उसका प्रभाव है। पिछले लोकसभा चुनाव में आप को हरियाणा में चार प्रतिशत मत मिले थे। हरियाणा की जजपा भी कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए परेशानी खड़ी कर सकती है। अगर हरियाणा में भाजपा को बहुमत मिलता है तो इसका प्रभाव राष्ट्रीय स्तर की राजनीति पर भी पड़ेगा। किसान आंदोलन में पंजाब के साथ-साथ हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश की किसानों की विशेष भागेदारी रही हैं। किसान आंदोलन भी हरियाणा के विधानसभा चुनाव को प्रभावित कर सकता है। अभी हरियाणा में भाजपा की सरकार है, किंतु राजनीतिक स्थिरता का अभी भी अभाव है। भाजपा ने सरकार विरोधी लहर को कम करने के लिए मनोहर लाल की जगह नायब सिंह  सैनी को मुख्यमंत्री बनाया है। देखना है कि भाजपा द्वारा किए गए नेतृत्व परिवर्तन का विधानसभा चुनाव पर कितना असर पड़ता है। जम्मू-कश्मीर का चुनाव आयोग के लिए अग्नि-परीक्षा के समान है क्योंकि हाल की महीनों में यहां आतंकी गतिविधियों में काफी तेजी आई है।