कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी एवं हत्या का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। पहले कलकत्ता हाई कोर्ट ने और अब सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर इस मामले की सुनवाई शुरू कर दी है। सीबीआई ने पहले ही जांच का जिम्मा कोलकाता पुलिस से ले लिया है। साजिश के लगातार खुलासे के बाद ममता बनर्जी सरकार की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। अब मामला दिल्ली तक पहुंच चुका है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने इस मामले की पूरी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तथा गृह मंत्री अमित शाह को सौंप दी है। राज्यपाल का भी मानना है कि इस पूरे मामले में सरकार और पुलिस की लापरवाही सामने आई है। अब तो ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस में भी इस दरिंदगी को लेकर मतभेद उभर कर सामने आ चुके हैं। टीएमसी के सांसद ने भी न्याय के लिए हाई कोर्ट का रुख किया है। आज सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चन्द्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीश की खंड पीठ ने सुनवाई की है। मुख्य न्यायाधीश ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्राचार्य संदीप घोष की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। कोर्ट का कहना है कि संदीप घोष अपनी भूमिका से बच नहीं सकते। घोष द्वारा रेजिडेंट डॉक्टर की हत्या को आत्महत्या बताना तथा उनके माता-पिता को शव देने में आना-कानी करना साजिश की ओर इशारा करता है। मालूम हो कि पिछले 8 अगस्त की रात चेस्ट मेडिसीन विभाग के पीजी द्वितीय वर्ष की प्रशिक्षु डॉक्टर की हत्या हो गई थी। कोलकाता पुलिस मामले को रफा-दफा करने में लगी हुई थी। पुलिस पहरा के बीच हजारों की संख्या में आए उपद्रवियों ने तोड़-फोड़ किया तथा सबूत मिटाने की कोशिश की। उससे पहले पुनर्निर्माण के नाम पर भी सबूत मिटाने की कोशिश की गई थी। इस कॉलेज के प्राचार्य संदीप घोष के इस्तीफे के तत्काल बाद दूसरे मेडिकल कॉलेज का प्राचार्य नियुक्त होना यह दर्शाता है कि सरकार और घोष के बीच मिलीभगत थी। भारी दबाव के बीच घोष के खिलाफ आर्थिक धांधली का भी आरोप है जिसकी जांच बंगाल की एसआईटी टीम कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने एम्स दिल्ली के निदेशक के नेतृत्व में एक टास्क फोर्स का गठन किया है, जो डॉक्टरों की सुरक्षा, कार्य स्थल पर वर्किंग कंडीशन तथा बेहतर सुविधा के बारे में तीन सप्ताह के भीतर कोर्ट में रिपोर्ट सौंपेगी। सीबीआई को भी 22 अगस्त तक स्टेट्स रिपोर्ट देने एवं तीन महीने में पूरी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने एफआईआर में की गई देरी तथा राज्य प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। पुलिस ने इस मामले में अब तक संजय राय नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। संजय राय की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है। उसकी पहुंच आला अधिकारियों से लेकर राजनीतिज्ञों तक बताई जाती है। सीबीआई इस अभियुक्त का साईको एवं पॉली टेस्ट करवा रही है। जरुरत के हिसाब से नारको टेस्ट भी कराया जा सकता है। इस घटना के विरोध में देश व्यापी आंदोलन जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने आंदोलनकारी डॉक्टरों से आंदोलन बंद कर काम पर लौटने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने आश्वासन दिया है कि कोर्ट डॉक्टरों की मांग पर विचार कर रही है। इस मुद्दे पर विपक्षी दलों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। भाजपा का आरोप है कि इंडी गठबंधन के नेता ममता सरकार को बचाने में लगे हैं। इस मामले में राजनीति बिल्कुल नहीं होनी चाहिए। दोषी व्यक्तियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए, चाहे वे किसी भी ऊंचे ओहदे पर क्यों नहीं हो?
मुश्किल में ममता सरकार
