प्रत्येक वर्ष की भांति इस बार भी अल्फा(आई) ने 78वें स्वतंत्रता दिवस के बहिष्कार का आह्वान किया था। अल्फा(आई) ने असम की जनता से कहा था कि सुबह 6 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक बाहर नहीं निकलें तथा सरकारी कार्यक्रमों का बहिष्कार करें। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा द्वारा नगर के पशु चिकित्सा महाविद्यालय में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद अचानक अल्फा(आई) का ई-मेल आया, जिसमें दावा किया गया था कि राज्य के दस जिलों के 24 जगहों पर बम रखा गया है। आश्चर्य की बात यह है कि अल्फा ने 24 में से 19 जगहों का खुलासा भी कर दिया, जहां बम रखा हुआ था। अल्फा के इस ई-मेल के बाद सुरक्षा बलों का एक्शन में आना स्वाभाविक था। पुलिस ने गुवाहाटी के चार स्थानों से तथा शिवसागर जिले के दो स्थानों से बम जैसी वस्तु बरामद की जिसे निष्कि्रय कर दिया गया। गुवाहाटी के अलावा तिनसुकिया, डिब्रूगढ़, शिवसागर, धेमाजी, लखीमपुर, नगांव, नलबाड़ी, तामुलपुर एवं गोलाघाट में बम लगाने की खबर थी। संतोष की बात यह है कि किसी भी जगह बम के विस्फोट होने की खबर नहीं मिली। शायद इसके पीछे तकनीकी कारण या दहशत फैलाने का उद्देश्य हो सकता है। कुछ सूत्रों का कहना है कि अल्फा ने वर्ष 2004 में धेमाजी जिले में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बल लगाया था। उस बम विस्फोट में कुल 13 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें स्कूली बच्चे भी शामिल थे। इस घटना ने असम के जनमानस को झकझोर कर रख दिया था। अल्फा के इस कदम का राज्य भर में काफी विरोध हुआ था। उसके बाद से ही इस संगठन ने सुरक्षा बलों के प्रतिष्ठानों या कार्यालयों को निशाना बनाना शुरू किया था। हो सकता है कि इस बार भी अल्फा ने स्वतंत्रता दिवस समारोह को इसी कारण सीधा निशाना नहीं बनाया हो, क्योंकि इससे अल्फा का जनसमर्थन प्रभावित हो सकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि अल्फा ने राज्य के 10 जिलों में बम प्लांट किया जिसकी खबर पुलिस और खुफिया विभाग को नहीं लगी। इतनी बड़ी घटना होने के बाद पुलिस हरकत में आई है। राज्य के पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह ने गुवाहाटी में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक कर पूरे मामले की जांच का आदेश दिया है। इसके लिए एसआईटी का भी गठन किया गया है। यह टीम विस्फोटक पदार्थ की प्रकृृति, उनके निर्माण कार्य में सहयोग करने वाले तथा विस्फोटकों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में सहयोग करने वालों का पता लगाएगी। पुलिस ने इस बारे में अहम सुराग देने वाले को पांच लाख रुपए देने की घोषणा भी की है। इसी तरह डिब्रूगढ़ में भी असम के स्पेशल डीजीपी हरमित सिंह की अध्यक्षता में ऊपरी असम के पुलिस अधीक्षकों एवं थाना प्रभारियों की बैठक हुई, जिसमें इस घटना की जड़ तक पहुंचने के लिए एसआईटी का गठन किया गया। स्पेशल डीजीपी ने कहा कि लोगों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। मालूम हो कि ऊपरी असम फिलहाल अल्फा के निशाने पर है। असम पुलिस ने पहले ही कहा था कि स्वतंत्रता दिवस से पहले अल्फा के कुछ कैडर म्यामां की सीमा से भारत में घुसे हैं। पुलिस का यह भी कहना था कि ये अल्फाई असम-अरुणाचल तथा असम-नगालैंड की सीमा के पास सक्रिय हैं। पुलिस के पास इस सूचना के बाद अल्फाइयों का राज्य के विभिन्न भागों में बम लगाने का काम कैसे हुआ, यह जांच का विषय है। निश्चित रूप से यह सुरक्षा बलों की नाकामी है। बांग्लादेश में हाल में हुए राजनीतिक परिवर्तन का तार भी इस मामले से जुड़ा हो सकता है। शेख हसीना की सरकार बांग्लादेश में सक्रिय पूर्वोत्तर के उग्रवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रही थी। लेकिन अब बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी तथा जमात-ए-इस्लामी की अंतरिम सरकार के शासन में पूर्वोत्तर के उग्रवादियों को शह और समर्थन मिलेगा। ऐसी स्थिति में सुरक्षा एजेंसियों के समक्ष बड़ी चुनौती होगी।
अल्फा की बढ़ती गतिविधियां
