लोकसभा चुनाव के बाद राज्यसभा के खाली पड़े 12 सीटों के लिए आगामी 3 सितंबर को चुनाव होगा। चुनाव आयोग ने 7 अगस्त को इसकी घोषणा करते हुए कहा कि आगामी 15 अगस्त को इसके लिए अधिसूचना जारी की जाएगी तथा 21 अगस्त तक नाम वापस लिये जा सकेंगे। असम, बिहार और महाराष्ट्र के दो-दो सीटों के लिए तथा हरियाणा, मध्यप्रदेश, राजस्थान, त्रिपुरा, ओडिशा एवं तेलंगाना के एक-एक सीट के लिए चुनाव होंगे। केंद्रीय दूर संचार एवं पूर्वोत्तर विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, जहाजरानी एवं बंदरगाह मंत्री सर्वानंद सोनोवाल, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, सांसद कामाख्या तासा, मीसा भारती, विवेक ठाकुर, केसी वेणुगोपाल, विप्लव कुमार देब, दीपेन्द्र हुड्डा, उदयनराजे भोसले, के केशवराव एवं ममता मोहंती के इस्तीफे के कारण सीट खाली हुआ है। 10 सीट लोकसभा चुनाव जीतने के कारण खाली हुई है, जबकि तेलंगाना एवं ओडिशा के दो राज्यसभा सांसदों केशवराव और ममता मोहंती के इस्तीफे के कारण खाली हुई है। कुल 12 सीटों में से सात सीट भाजपा के पास, दो सीट कांग्रेस के पास तथा राष्ट्रीय जनता दल, बीजू जनता दल एवं भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के पास एक-एक सीट थी। बिहार विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों की संख्या को देखते हुए एक सीट पर भाजपा तथा एक सीट पर राष्ट्रीय जनता दल की जीत निश्चित है। इसी तरह तेलंगाना की सीट कांग्रेस के पक्ष में जाएगी। मध्यप्रदेश, राजस्थान, त्रिपुरा तथा ओडिशा में भाजपा की जीत निश्चित है। सर्वानंद सोनोवाल तथा कामाख्या तासा के लोकसभा चुनाव में विजयी होने के बाद खाली दोनों सीटों पर भाजपा की जीत निश्चित है। भाजपा के लिए असली परीक्षा हरियाणा में होगी। 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में अभी कुल 87 विधायक हैं। भाजपा के पास तीन निर्दलीय को लेकर कुल 44 विधायक हैं। विपक्ष के पास कुल 43 विधायक हैं। जननायक जनता पार्टी (जजपा) के 10 विधायकों का भविष्य अभी भी अधर में लटका हुआ है। अगर विपक्ष हरियाणा में राज्यसभा के लिए उम्मीदवार उतारता है तो सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच कांटे की टक्कर होगी। इसी तरह महाराष्ट्र में भी विपक्ष द्वारा उम्मीदवार उतारने के बाद मुकाबला दिलचस्प होगा। वर्तमान में महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा, शिवसेना (शिंदे) तथा एनसीपी (अजित पवार गुट) के भाजपा के साथ आने से बहुमत है, किंतु केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने के कारण गठबंधन में नाराजगी है। देखना है कि भाजपा इस नाराजगी को कैसे दूर करती है? राज्यसभा का चुनाव पक्ष व विपक्ष दोनों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ है। भाजपा ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज कर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहेगी, वहीं विपक्ष भाजपा से सीट छीन कर चुनौती प्रस्तुत करना चाहेगा। लोकसभा चुनाव में पहले से ज्यादा सीट मिलने से गदगद विपक्ष सरकार को हर तरफ से घेरने के लिए कोई मौका नहीं छोड़ रहा है। संसद के वर्तमान सत्र में विपक्ष सरकार पर हमलावर है। राज्यसभा चुनाव के बाद विधानसभा उपचुनाव के लिए भी अधिसूचना जारी होने वाली है। विपक्ष चाहेगा कि वह राज्यसभा चुनाव में भाजपा को शिकस्त देकर अपनी स्थिति मजबूत करे। उपचुनाव के लिए उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों का चुनाव होना है। सरकार चाहती है कि वह सभी 10 सीटों पर विजय दर्ज कर विपक्ष को करारा झटका दे। अगर विधानसभा के उपचुनाव में भी विपक्ष की स्थिति मजबूत होती है तो मोदी सरकार का आगे का रास्ता कठिन होगा। आगे हरियाणा, बिहार जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बरकरार रखने के लिए भाजपा ने पूरी तरह कमर कस ली है। खासकर उत्तर प्रदेश का चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है।