पिछले 1 जुलाई से लोकसभा में विभिन्न मुद्दों पर सत्तापक्ष एवं विपक्ष के बीच टकराव जारी है। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार और भाजपा को 20 से ज्यादा मुद्दों पर घेरा। राहुल गांधी ने हिंदू, अग्निवीर, किसान, मणिपुर, नीट, बेरोजगारी, नोटबंदी, जीएसटी, एमएसपी, हिंसा, भय, धर्म, अयोध्या, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख एवं अडानी-अंबानी जैसे मुद्दों पर सरकार को कठघरे में खड़ा किया। अपने 90 मिनट के भाषण की शुरुआत संविधान की कॉपी दिखाकर की। इस दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच जमकर बहस हुई। राहुल के भाषण के दौरान प्रधानमंत्री को दो बार, गृह मंत्री अमित शाह तथा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को तीन-तीन बार और शिवराज सिंह एवं भूपेन्द्र यादव को एक-एक बार खड़े होकर सरकार का पक्ष रखना पड़ा। सबसे ज्यादा हंगामा हिंदुओं के ऊपर की गई टिप्पणी को लेकर हुआ। राहुल ने कहा कि खुद को हिंदू कहने वाले हिंसा-हिंसा कहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि जो लोग खुद को हिंदू कहते हैं वे केवल हिंसा, घृणा एवं असत्य की बात करते हैं। इसको लेकर संसद में काफी हंगामा हो गया। इस मामले को लेकर तुरंत प्रधानमंत्री खड़े हुए और कहा कि पूरे हिंदू समाज को हिंसक कहना एक गंभीर विषय है। इसके तुरंत बाद राहुल गांधी ने कहा कि हमने केवल भाजपा को बोला है, पूरे हिंदू समुदाय को नहीं। भाजपा 24 घंटे नफरत एवं हिंसा फैलाती रहती है। राहुल ने लोकसभा में भगवान शिव, गुरु नानक तथा ईसा मसीह के फोटो दिखाकर यह दिखाने का प्रयास किया कि किसी भी धर्म में हिंसा की कोई जगह नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2 जुलाई को लोकसभा में राहुल गांधी द्वारा उठाये गए मुद्दों पर पलटवार किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश का हिंदू समाज हिंसक हो ही नहीं सकता। हिंदुओं पर आरोप लगाकर कांग्रेस ने अपने चरित्र, अपनी सोच को उजागर किया है। मोदी ने कहा कि हिंदुओं में शक्ति की परंपरा है। देश में शक्ति की पूजा होती है। कांग्रेस पर हमला करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस हिंदुओं को आतंकवादी साबित करने की घटिया सोच रखती है। हिंदू धर्म को डेंगू और मलेरिया कहने वाले लोगों के साथ खड़ी कांग्रेस से क्या उम्मीद की जा सकती है? उन्होंने कहा कि आज से 131 साल पहले स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में कहा था कि मुझे गर्व है कि मैं उस धर्म से आता हूं जिसमें दुनिया को सहिष्णुता और वैश्विक स्वीकृृति दिखाई गई है। विवेकानंद ने शिकागो में कहा था कि हिंदू के कारण ही भारत की विविधता पनपी है और पनप रही है। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि देश के हिंदुओं के साथ किये गए इस कारनामे को जनता शताब्दियों तक भूलने वाली नहीं है। हिंदुस्तान शदियों से शक्ति की उपासना करता है। विपक्ष पर हमला बोलते हुए मोदी ने कहा कि एक सोची-समझी रणनीति के तहत हिंदुओं का मजाक उड़ाना, उन्हें नीचा दिखाना अपना फैशन बना लिया है। चुनाव प्रचार से पहले तथा बाद में विपक्ष के कई नेताओं ने हिंदू देवी-देवताओं पर अभद्र टिप्पणी की, जिसको स्वीकार नहीं किया जा सकता है। देवी-देवताओं का अपमान गहरी चोट पहुंचाने वाली है। अब हिंदू समाज को यह सोचना है कि अपमान करने वालों का यह बयान संयोग है या कोई प्रयोग की तैयारी है। प्रधानमंत्री ने विपक्ष के सभी आरोपों पर करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार तुष्टीकरण की जगह संतुष्टीकरण के रास्ते पर काम कर रही है। तीसरे कार्यकाल के लिए मतदाताओं ने जो समर्थन दिया है, उसके लिए हम पहले के दोनों कार्यकाल के मुकाबले ज्यादा तेजी से काम करेंगे। भारत को दुनिया की तीसरी अर्थ-व्यवस्था बनाने तथा 2047 तक विकसित राष्ट्र का सपना पूरा करना हमारी पहली प्राथमिकता है। मालूम हो कि 18वीं लोकसभा में विपक्ष ज्यादा मजबूती के साथ उभर कर सामने आया है। यही कारण है कि विपक्षी पार्टियां इस बार मोदी सरकार पर ज्यादा हमला करेगी। सरकार को हर मौके पर विपक्ष के कड़े विरोध का सामना करना पड़ेगा। इसकी शुरुआत स्पीकर के चुनाव से हो चुकी है। आगे का टकराव डिप्टी स्पीकर के चुनाव के वक्त होना तय है।