18वीं लोकसभा के स्पीकर पद को लेकर सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) तथा विपक्षी गठबंधन (इंडी) के बीच टकराव बढ़ गया है। पहले सरकार ने स्पीकर के सर्वसम्मति से चुनाव के लिए विपक्षी दल के नेताओं के साथ बैठक की थी। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को पार्टी ने विपक्षी दलों के नेताओं के साथ विचार-विमर्श के लिए अधिकृत किया था। राजनाथ ङ्क्षसह ने इस बारे में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिार्जुन खड़गे तथा कुछ अन्य विपक्षी नेताओं के साथ बैठक की थी। लेकिन विपक्ष सत्ताधारी दल के स्पीकर पद के उम्मीदवार ओम प्रकाश बिड़ला को समर्थन देने के बदले डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष  को देने का आश्वासन चाहता था। भाजपा का कहना था कि डिप्टी स्पीकर के मुद्दे पर समय आने पर विचार होगा, किंतु विपक्षी दल मानने को तैयार नहीं है।

इसका नतीजा यह हुआ है कि भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में पहली बार लोकसभा के स्पीकर पद के लिए 26 जून को वोटिंग होने जा रहा है। आज 25 जून को राजग की तरफ से पूर्व स्पीकर ओम बिड़ला को उम्मीदवार बनाया गया है। दूसरी तरफ विपक्षी पार्टियों की ओर से केरल के तिरुवनंतपुरम जिले के मावेलीक्कारा लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के सांसद के सुरेश को उम्मीदवार बनाया गया है। यह सबको मालूम है कि संख्या बल के आधार पर राजग उम्मीदवार बिड़ला की जीत निश्चित है किंतु इस बार विपक्ष हर मुद्दे पर सरकार के साथ टकराव की मुद्रा में है। ओम बिड़ला राजस्थान के कोटा से सांसद हैं तथा वे 17वीं लोकसभा में भी स्पीकर थे। कोटा से वे वर्ष 2014 से ही चुनाव जीतते आ रहे हैं। इससे पहले वे 2003 में कोटा विधानसभा क्षेत्र तथा 2008 एवं 2013 में कोटा दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीत चुके हैं।

लोकसभा के पिछले सत्र के दौरान स्पीकर के रूप में उनका प्रदर्शन अच्छा रहा था। दूसरी तरफ कांग्रेस के उम्मीदवार के. सुरेश आठवीं बार लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंचे हैं। सर्वप्रथम उन्होंने 1989 में नौवीं लोकसभा के लिए चुनाव जीता था। उसके बाद 1991, 1996, 1999 में चुनाव जीत चुके हैं जबकि 1998 तथा 2004 में उनको हार का मुंह देखना पड़ा था। अगर संख्या का हिसाब देखा जाय तो के. सुरेश की हार निश्चित है। विपक्षी पार्टियां हर मुद्दे पर सरकार को घेरने की पूरी तैयारी में है। सबसे पहले प्रोटेम स्पीकर के मुद्दे पर ही विपक्षी दलों ने सरकार को घेरना शुरू किया था। इस बार सरकार ने ओडिसा से भाजपा के सांसद भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर बनाया था किंतु कांग्रेस सहित विपक्षी दलों का कहना था कि यह पद के. सुरेश को मिलना चाहिए था।

आज सुबह कांग्रेस के महासचिव के.सी वेणुगोपाल तथा द्रमुक के नेता टीआर बालु की राजनाथ ङ्क्षसह के साथ हुई बैठक बेनतीजा खत्म हो गई। उसके बाद से ही ऐसा लगना लगा कि स्पीकर के चुनाव पर जोर आजमाइश निश्चित रूप से होगी। ऐसा लगता है कि सत्ताधारी भाजपा डिप्टी स्पीकर का पद अपने सहयोगी पार्टी तेलुगू देशम को देना चाहती है। अभी तक इस बारे में कोई खुलासा नहीं हुआ है। इस मुद्दे को लेकर पक्ष-विपक्ष के बीच वाक्युद्ध शुरू हो गया है। जहां विपक्षी दलों ने सरकार की नियत पर सवाल उठाया है। वहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तथा संससदीय मामलों के मंत्री किरेन रेजीजू का कहना है कि विपक्ष जान-बूझकर मामले को उलझा रहा है। विपक्ष को पहले अपने गिरेबां में झांककर देखना चाहिए। नड्डा ने कहा कि तेलंगाना, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु व केरल में विपक्षी दलों का शासन है, वहां राज्यविधानसभा के स्पीकर एवं डिप्टी स्पीकर सत्ता पक्ष से हैं। ऐसी स्थिति में विपक्ष को लोकसभा स्पीकर के लिए अलग तर्क देने का नैतिक अधिकार नहीं है।