भारत में भीषण गर्मी और लू की वजह से सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है और अस्पतालों में हीट स्ट्रोक से पीडि़त मरीजों की भीड़ बढ़ती जा रही है। वैसे पिछले दिनों लगातार बारिश होने की वजह से पूर्वोत्तर राज्यों में देश के अन्य भागों से कम गर्मी पड़ रही है और गर्मी चढ़ भी रही है तो बारिश आकर उसे सामान्य कर देती है, परंतु देश के अन्य भागों के लोग इतने सौभाग्यशाली नहीं हैं। राजधानी दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में यह स्थिति देखी जा सकती है। उत्तर प्रदेश में पिछले पांच-छह दिनों के भीतर अलग-अलग जगहों पर करीब 371 लोगों की मौत हो चुकी है। दिल्ली समेत कई अन्य राज्यों का भी हाल यही है। जानकार चेता रहे हैं कि प्रकृति और पर्यावरण की लगातार हो रही उपेक्षा और बढ़ते ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण चरम मौसम से जुड़ी ऐसी घटनाएं भविष्य में और आम हो जाएंगी। जानकार बताते हैं कि 11 से 19 जून के बीच दिल्ली में भीषण गर्मी के कारण 192 बेघर लोगों की मौत हुई। दिल्ली में पिछले दो-तीन दिनों के भीतर 50 से ज्यादा लावारिस शव मिले हैं। गर्मी और लू को इन मौतों की वजह माना जा रहा है।
हालांकि, ज्यादातर मामलों में आधिकारिक रूप से यही कहा जा रहा है कि पोस्टमॉर्टम के बाद मौत की असली वजह पता चलेगी, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि मौतों के पीछे मुख्य वजह लू और गर्मी ही है। उत्तर प्रदेश के कई शहरों में स्थिति भयावह हो चुकी है। 18 जून को तो एक दिन में ही 170 लोगों की मौत हीट स्ट्रोक से हो गई। प्रदेश के कई जिलों में पारा 47-48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका था। 19 जून की देर शाम आंधी के बाद हल्की बूंदा-बांदी से गर्मी से राहत जरूर मिली है, लेकिन हीट स्ट्रोक की मार झेल रहे लोग अभी भी यूपी के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती हैं। हीट स्ट्रोक के मामले जून के महीने में काफी ज्यादा बढ़ गए हैं। अस्पतालों में मरीजों की लंबी कतारें हैं। अस्पतालों में बिस्तरों की सीमित संख्या के कारण सिर्फ उन्हीं रोगियों को भर्ती किया जा रहा है, जिनकी हालत ज्यादा गंभीर है, जिन मरीजों की हालत थोड़ी-बहुत स्थिर दिख रही है, उन्हें दवा देकर घर भेज दिया जा रहा है। स्थानीय मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक 18 जून को प्रयागराज के एसआरएन अस्पताल की मोर्चरी में दो डीप फ्रीजर भर जाने के बाद शवों को हॉल में ही एक के ऊपर एक रख दिया गया।
दिनभर में 36 शवों का पोस्टमॉर्टम किया गया, जबकि 50 शव बिना पोस्टमॉर्टम के ही रह गए। लू और भीषण गर्मी के कारण स्थिति यह है कि कोई चलते-चलते रास्ते में ही गिर जा रहा है, तो कोई बीच सफर में दम तोड़ दे रहा है। यहां तक कि ड्राइवर और कंडक्टर समेत बसों के कई कर्मचारियों की भी हीट स्ट्रोक के चलते मृत्यु हो चुकी है। मौतों की बढ़ती संख्या के बीच शवदाह गृहों और पोस्टमॉर्टम गृहों में भी काफी संख्या में शव दिख रहे हैं। नोएडा-गाजियाबाद से लेकर प्रयागराज तक में ऐसी स्थिति देखी जा सकती है। प्रचंड गर्मी को देखते हुए प्रशासन लोगों से सावधानी बरतने की अपील कर रहा है। संभव होने पर तेज धूप के घंटों में दोपहर 12 से तीन बजे तक बाहर ना निकलने की सलाह दी जा रही है। अगर निकलना जरूरी हो, तो सिर ढकने और खूब पानी पीने को कहा जा रहा है।
यहां तक कि शवदाह गृहों और कब्रिस्तानों में भी लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। शवदाह गृहों में बड़ी संख्या में शव वैसे ही जलते दिख रहे हैं, जैसे कि कोविड की दूसरी लहर में दिख रहे थे। दिल्ली के अलग-अलग शवदाह गृहों और कब्रिस्तानों में 19 जून को 200 से ज्यादा शव अंतिम संस्कार के लिए लाए गए। सरकार की तरफ से बार-बार लोगों से अपील की जा रही है कि गर्मी से बचाव के लिए शरीर ढककर ही घरों से बाहर निकलें और ज्यादा-से-ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करें। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि भीषण गर्मी और लू को देखते हुए आम जन, मवेशी और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए हर स्तर पर इंतजाम किए जाएं। सार्वजनिक जगहों, बाजारों, मुख्य मार्गों पर पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए गए हैं। साथ ही मुख्यमंत्री ने अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों में लू से प्रभावित लोगों का तत्काल इलाज किए जाने का भी निर्देश दिया है।