प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने आज एक आंकड़ा जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि वर्ष 1950 से लेकर वर्ष 2015 तक की अवधि में देश में हिंदुओं की जनसंख्या में 7.82 प्रतिशत की कमी हुई है। इसी अवधि यानी 65 वर्ष में देश में मुसलमानों की आबादी में 43.15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जारी आंकड़े के अनुसार वर्ष 1950 में देश में हिंदुओं की आबादी 84 प्रतिशत थी, जो अब घटकर 78 प्रतिशत रह गई है। इसी तरह मुसलमानों की जनसंख्या 1950 में 9.84 प्रशित थी, जो अब बढ़कर 14.09 प्रतिशत हो गई है। सलाहकार परिषद द्वारा जारी आंकड़े के बाद देश का सियासी माहौल गरम हो गया है। भाजपा ने अब इसे चुनावी मुद्दा बना दिया है। हालांकि विपक्षी पार्टियां अब इस मुद्दे पर सधी प्रतिक्रिया दे रही हैं। हिंदुओं की घटती जनसंख्या को देखते हुए देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने की मांग उठने लगी है। कुछ विपक्षी नेताओं ने आंकड़ा जारी करने के समय को लेकर सवाल उठाना शुरू किया है। लोकसभा चुनाव होने के कारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसको लेकर विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस पर हमलावर हैं। इधर भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर जोरदार हमला करते हुए कहा है कि देश में अवैध बांग्लादेशियों एवं रोहिंग्या घुसपैठियों के कारण देश का माहौल बिगड़ रहा है। भाजपा नेता साक्षी महाराज ने आरोप लगाया है कि देश में बड़ी संख्या में या तो हिंदू गायब हो रहे हैं या उनका धर्मांतरण हो रहा है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस के राज्य में हिंदुओं को प्रताड़ित किया जा रहा है। आंकड़े जारी होने के बाद लोकसभा चुनाव 2024 के लिए ध्रुवीकरण की पिच तैयार हो गई है। प्रथम चरण के मतदान के बाद से ही भाजपा ने आरक्षण एवं कल्याणकारी योजनाओं को हिंदू-मुस्लिम के नजरिए से देखना शुरू कर दिया है। जहां कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियां जातिगत समीकरण को मजबूत करने के लिए जातीय सर्वेक्षण की बात उठा रही है, उसी तरह भाजपा अब पूरी तरह हिंदू मतदाताओं पर फोकस कर रही है। अपनी चुनावी सभाओं में प्रधानमंत्री कांग्रेस पर हमला बोलते हुए अल्पसंख्यक समुदाय को निशाने पर ले रहे हैं। प्रथम चरण में मतदान का प्रतिशत कम होने से भी भाजपा को यह भय सता रहा है कि कहीं उसके वोटर भी तो उदासीन रवैया नहीं अपना रहे हैं। प्रधानमंत्री ने भी देश के मतदाताओं से भारी संख्या में आकर मतदान करने की अपील की है। हिंदुओं की घटती जनसंख्या को लेकर स्वामी जितेन्द्रानंद ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, किंतु कोर्ट ने यह कहकर याचिका खारिज कर दी कि कानून बनाने का अधिकार केवल भारतीय संसद को है। जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए असम सरकार ने बाल विवाह एवं बहु विवाह पर रोक लगा दी है। उत्तराखंड की तरह देश के दूसरे हिस्सों में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की मांग भी पुरजोर तरीके से उठ रही है। केंद्र सरकार इस चुनाव के बाद यूसीसी लागू करने के मुद्दे पर बड़ा फैसला ले सकती है। भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में यूसीसी को शामिल किया है। पार्टी मुसलमानों के लिए अलग से आरक्षण लाने के खिलाफ है। मालूम हो कि कांग्रेस सरकार ने मुसलमानों के लिए विशेष आरक्षण की घोषणा की थी जिस पर कोर्ट ने प्रतिबंध लगा दिया। अब चुनाव के वक्त फिर यह मुद्दा जोर-शोर से उठ रहा है। हिंदुओं की आबादी घटना निश्चित रूप से गंभीर चिंता का विषय है। देश को एक ऐसे कानून की जरुरत है जिसके द्वारा जनसंख्या को नियंत्रित किया जा सके। यूसीसी के लागू होने से इस दिशा में काफी मदद मिल सकती है।
हिंदुओं की घटती जनसंख्या
