ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने भारत की विविधता पर पूर्वोत्तर भारत, दक्षिण भारत एवं पश्चिमी भारत के लोगों पर विवादित बयान दिया है। अंग्रेजी दैनिक ‘द स्टेट्समैन’ को दिए साक्षात्कार में पित्रोदा ने कहा था कि पूर्वोत्तर के लोगों का चेहरा चीनी नागरिकों जैसा, दक्षिण भारत के लोगों का चेहरा अफ्रीकी लोगों जैसा तथा पश्चिम भारत के लोगों का चेहरा अरबी लोगों जैसा लगता है। उत्तर भारत के लोग गोरे होते हैं। पित्रोदा ने भारत के लोगों के रीति-रिवाज, खान-पान एवं धर्म के बारे में भी बात की। पित्रोदा के इस बयान को भारतीय जनता पार्टी ने तुरंत लपक लिया तथा उसे चुनावी मुद्दा बना दिया। उनके इस बयान के बाद सियासी तूफान आना निश्चित था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वारंगल में अपनी चुनावी सभा के दौरान पित्रोदा के बयान को लेकर कांग्रेस पर बड़ा हमला किया। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के लोगों को लेकर ऐसी टिप्पणी करना कांग्रेस की घटिया सोच को दर्शाता है। मालूम हो कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मतदान बाकी है। भाजपा आंध्र प्रदेश में छह लोकसभा सीटों तथा दस विधानसभा सीटों पर प्रतिद्वंद्विता कर रही है। आंध्र प्रदेश में भाजपा का तेलगुदेशम पार्टी एवं जनसेना के साथ चुनावी तालमेल है। तेलंगाना की सभी 17 सीटों पर भाजपा को उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है। ऐसी स्थिति में भाजपा पित्रोदा की विवादित टिप्पणी को चुनावी मुद्दा बनाने से पीछे नहीं हटेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस का वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी का समर्थन न करना उसकी नस्लीय सोच को दर्शाता है। असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा इस मामले में कहां पीछे रहने वाले हैं। उन्होंने कहा कि मैं पूर्वोत्तर भारत से हूं तथा भारतीय जैसा लगता हूं। उन्होंने कहा कि विविधता के बावजूद सभी भारतीय एक हैं। इससे पहले विरासत टैक्स को लेकर दिये गए बयान पर काफी विवाद उठा था। उन्होंने कहा था कि भारत में भी अमरीका की तरह विरासत टैक्स लगना चाहिए। अमरीका में माता-पिता के मृत्यु के बाद उसके बच्चे को उसकी कुल संपत्ति का केवल 45 प्रतिशत भाग ही मिलता है। बाकी संपत्ति सरकार के हिस्से में चली जाती है। इस मुद्दे को भी प्रधानमंत्री ने लगातार चुनावी सभाओं में उठाया और कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो आपकी संपत्ति को घुसपैठियों एवं अल्पसंख्यकों को सौंप देगी। हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा तो पहले से ही चुनावी सभाओं में प्रमुखता से उठता रहा है। अब नस्लीय टिप्पणी भी बड़ा चुनावी मुद्दा बन चुका है। यही कारण है कि कांग्रेस सहित इंडी गठबंधन के दूसरे सहयोगी भी सैम पित्रोदा के बयान से पल्ला झाड़ रहे हैं। कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश, शिवसेना (उद्धव) की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी, आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह तथा डीएमके के नेता ने भी इसे पित्रोदा का व्यक्तिगत बयान बताकर अपने को किनारा कर लिया है। लोकसभा चुनाव के वक्त इस तरह के विवादास्पद बयान देने से कांग्रेस की छवि को धक्का लगा है। कांग्रेस को इस मामले में पित्रोदा पर नकेल कसना चाहिए। भाजपा कांग्रेस सहित विपक्ष के इस प्रकार के बयान को छोड़ने वाली नहीं है। इंडी गठबंधन के दूसरे सहयोगी दलों को भी इस मामले में गंभीर होने की जरुरत है। भारत विविधता वाला देश है जिसमें सभी धर्मों, संप्रदायों, जातियों के लोग मिलजुल कर रहते हैं तथा देश के विकास में योगदान देते हैं। भारत की यही विविधता देश के लोकतंत्र को मजबूत करती है। इस तरह की नकारात्मक टिप्पणियों से परहेज करने की जरुरत है।
पित्रोदा के बयान पर बवाल
