इन दिनों आम चुनाव-2024 की धूम है। इस दौरान बड़ी संख्या में चुनावी जनसभाओं, रोड शो और चुनाव प्रचार के अनेक माध्यमों का उपयोग किया जा रहा है, परंतु लोगों के बीच चुनाव को लेकर गलत ढंग से विडियो एडिट करके पेश किया जा रहा है, जो निहायत खतरनाक है और यह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं है। इस बार के अनुभव बताते हैं कि इससे भाजपा को काफी नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई है, परंतु दूसरी ओर इसके जवाब में भाजपा ने जो धर्म आधारित कैंपेन शुरू की है, वह उसकी विश्वसनीयता को प्रभावित करने के लिए काफी है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में आम चुनाव किसी भी धार्मिक कार्यक्रमों, सभाओं और जुलूसों से बड़ा जश्न है। परंपरा कहती है कि इसमें आम मतदाता ईमानदारी से भाग लें और अपना जन प्रतिनिधि चुनें, जो स्वतंत्र लोकतंत्र का तकाजा है, फिलहाल आम चुनावों के बीच राजनीतिक पारा चरम पर है। सियासी पार्टियां मतदाताओं को लुभाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं, इसमें टेक्नोलोजी भी बहुत बड़ा असर डाल रही है। इसीलिए मौजूदा लोकसभा चुनाव को भारत का पहला एआई चुनाव कहा जा रहा है। पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि फेक वीडियोज में नकली आवाज के जरिए जानबूझ कर नेताओं को ऐसी बातें कहते हुए दिखाया जा रहा है, जिनके बारे में वे सोच भी नहीं सकते। उन्होंने इसे समाज में तनाव पैदा करने की साजिश बताया। भारत की पुलिस पहले ही ऐसे फेक विडियोज की छानबीन कर रही है जिनमें बॉलीवुड के कुछ अभिनेताओं को प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना करते हुए दिखाया गया है, लेकिन हाल में उनके पास ऐसा एक और विडियो पहुंचा जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को यह कहते हुए दिखाया गया है कि भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को मिलने वाले आरक्षण को खत्म कर देगी। यह करोड़ों लोगों के लिए बेहद संवेदनशील मामला है। इसके बाद खुद शाह ने एक्स पर अपने भाषण के फेक और असली विडियो को पोस्ट किया। उन्होंने इस वीडियो के पीछे विपक्षी कांग्रेस पार्टी का हाथ बताया, हालांकि इस बारे में उन्होंने सबूत पेश नहीं किया। उन्होंने कहा कि पुलिस को इस मामले से निपटने के लिए आदेश दे दिए गए हैं। पुलिस की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि इस मामले में कुल नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है, इनमें छह लोग विपक्षी कांग्रेस पार्टी की सोशल मीडिया टीम से बताए जाते हैं, जिनका संबंध असम, गुजरात, तेलंगाना और नई दिल्ली से है, उन पर इस विडियो पोस्ट करने के आरोप हैं। कांग्रेस के पांच कार्यकर्ताओं को जमानत पर रिहा कर दिया गया है, लेकिन नई दिल्ली की साइबर पुलिस ने शुक्रवार को इस फेक विडियो को शेयर करने के आरोप में कांग्रेस के राष्ट्रीय सोशल मीडिया कॉर्डिनेटर अरुण रेड्डी को गिरफ्तार किया, उन्हें तीन दिन की हिरासत में लिया गया है। इसके बाद एक्स पर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने रिलीज अरुण रेड्डी के साथ अपना विरोध जताना शुरू कर दिया। कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर ने रेड्डी की गिरफ्तारी को सत्ता की तरफ से ताकत का निरंकुश इस्तेमाल बताया है। भारत के आम चुनाव में 1 अरब के करीब मतदाता हैं और इनमें से करीब 80 करोड़ इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं। इसीलिए इंटरनेट पर गलत जानकारी के प्रसार को रोकना बहुत ही जटिल काम है। इसके लिए पुलिस और चुनाव अधिकारियों को लगातार नजर रखनी पड़ती है। जब भी किसी मामले में जांच शुरू होती है तो उन्हें फेसबुक और एक्स को विडियो हटाने के लिए कहना पड़ता है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि सत्ता की भूख ने सियासत करने वालों के चेहरे पर से नकाब हटा दी, फिर राजनेताओं को शर्म नहीं है तो आम जनता क्या कर सकती है।
फेक विडियो और चुनाव
