इन दिनों युद्धग्रस्त यूक्रेन और गाजा में काफी समस्याएं हैं, जिनमें सबसे बड़ी समस्या महिलाएं और बच्चों की मौत है। छोड़ी गईं मिसाइलें और ड्रोन ने पूरी इंसानियत को हिलाकर रख दिया है। रोते, बिलखते बच्चों और उनके अपनों के खोने के गम ने पूरी व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया है, परंतु दुर्भाग्य है कि विश्व के बड़े-बड़े क्षत्रपों को इन मजलूम बच्चों की कोई चिंता नहीं है। कभी-कभी समझ नहीं आता कि आज दुनिया को क्या हो गया है। कराहती इंसानियत वैश्विक चौधरियों को क्यों नहीं प्रभावित करती हैं। इजरायल त्रासदी के बाद जिस तरह अमरीका, ब्रिटेन और फ्रांस ने इतिहास को समझे बिना गाजा पर इजरायली हमलों का समर्थन किया, उसका कतई समर्थन नहीं किया जा सकता। यदि इजरायल पर हमास का हमला सही नहीं है, उसी तरह फिलीस्तीन पर इजरायल के हमले को सही करार नहीं दिया जा सकता। उल्लेखनीय है कि कम से कम बीते 30 वर्षों से दुनिया उस दौर से गुजर रही है, जब कई कोनों में हिंसा एवं सशस्त्र संघर्ष अपने चरम पर है। यूक्रेन में युद्ध और गाजा में इजरायल- हमास युद्ध समेत अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमरीका और यूरोप में लगभग 110 सशस्त्र संघर्ष चल रहे हैं, इनमें से कई युद्ध शहरों के अंदर और भीड़-भाड़ वाले इलाके में हो रहे हैं। कई युद्ध क्षेत्रों में उपयोग किए जा रहे मिसाइल और ड्रोन हमलों से नागरिकों, स्कूलों,अस्पतालों और बच्चों के शेल्टर यानी ठिकाने भी प्रभावित हो रहे हैं। आधुनिक युग में हो रही भू-राजनीतिक लड़ाइयों में पहले से कहीं अधिक बच्चे पीड़ित हैं। दुर्भाग्यवश बच्चों को आधुनिक संघर्षों का असमान रूप से खामियाजा भुगतना पड़ रहा है, इनमें से कुछ प्रभाव शारीरिक होते हैं। युद्ध क्षेत्र में रह रहे कई बच्चों को वहां से आश्रय स्थल तक लाया जाता है, इनमें से कुछ को हमलावरों की ओर से किए गए यौन शोषण का भी सामना करना पड़ता है, लेकिन शारीरिक घावों के अलावा युद्ध क्षेत्र में रहने वाले बच्चों को मनोवैज्ञानिक परेशानियों से भी गुजरना पड़ता है। उदाहरण के तौर पर यूक्रेन के सीमावर्ती इलाकों में दो साल पहले शुरू हुए रूस के आक्रमण के बाद बच्चों ने 3000 से 5000 घंटे, जो सात महीने के बराबर है, भूमिगत आश्रय स्थलों में बिताए हैं। परिणामतः डर, आक्रोश और अपने प्रियजनों से बिछड़ने के मिश्रित प्रभाव बच्चों पर व्यापक रूप से असर डालते हैं। 40 प्रतिशत बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। इसके परिणाम बहुत ही व्यापक होते हैं। युद्ध का परिणाम लाखों लोगों के लिए भविष्य में मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालने वाला हो सकता है। यूक्रेन में कड़ी निगरानी के तहत एक संघर्ष स्थल में सामाजिक कार्यकर्ता इस बात से चिंतित हैं कि रूस यूक्रेन युद्ध की लंबी खींचतान बच्चों के विकास में बाधक बन रही है। जानकार कहते हैं कि विज्ञान इस चिंता को दूर कर सकता है। तनाव भरी जिंदगी से गुजर रहे शुरुआती जीवन के लोगों में वयस्क होने पर तंत्रिका तंत्र और विकास संबंधी असामान्यताएं आ सकती हैं। बचपन में हुआ आघात तनाव और भय की प्रतिक्रियाओं को बदल देता है, इससे वयस्क होने पर मस्तिष्क तनाव के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है। कुल मिलाकर वयस्कों में तनाव का खतरा अधिक होता है क्योंकि उनमें विकास की संभावना कम होती है। बचपन में मस्तिष्क विकास के तथाकथित संवेदनशील दौर से गुजरता है। इस अवधि में दुख या चिंता के कारण खुद में ही सिमटना या फिर अपने परिवार से दूर होना और सामाजिक और भावनात्मक रूप से अलग-अलग होना बच्चों के विकास को गड़बड़ कर देता है। काश, इस पर हमारे शासनाध्यक्ष ध्यान देते और युद्धग्रस्त क्षेत्रों के बच्चों और महिलाओं की त्रासदी को कम करने के लिए काम करते।
गमगीन बचपन
